कोरोना काल में घर लौटे देवाशीष पंत की युवाओं को पहाड़ में ही बेहतर शिक्षा और रोजगार देने पहल रंग लाई है, उनके द्वारा शुरू किए गए मानस कॉलेज ऑफ साइंस टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट (MCSTM) को सोवन सिंह जीना विश्वविद्यालय ने मान्यता दे दी है अब यहां के युवाओं को पिथौरागढ़ में ही रोजगार और बेहतर शिक्षा देने में वह सफल हो रहे हैं।
सीमांत जिले पिथौरागढ़ से पलायन का मुख्य कारण बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार का नहीं होना है। कोरोना काल के दौरान घर लौटे एक युवा ने इन सब चीजों को महसूस करते हुए एक संकल्प लिया और मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी छोड़कर पिथौरागढ़ में मानस कॉलेज ऑफ साइंस टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट (MCSTM) की स्थापना कर सीमांत के युवाओं को जिले में ही एक बेहतर विकल्प देने की ठानी है।
पिथौरागढ़ के युवक देवाशीष पंत की जिद और संकल्प का ही नतीजा है कि आज उनका यह संस्थान जहां 50 से अधिक युवाओं को रोजगार दे रहा है तो वही सीमांत के होनहार बच्चे घर में ही रहकर रोजगार परक शिक्षा भी ग्रहण कर रहे हैं।
देवाशीष पंत मल्टीनेशनल कंपनी में अच्छे पैकेज और पद पर कार्य कर रहे थे जब साल 2020 में लगे कोरोना लॉकडाउन के चलते वह अपने घर पिथौरागढ़ वापस लौटे तो उन्होंने महसूस किया कि जिले के लाखों होनहार युवा यही रह कर कुछ कर गुजरने की तमन्ना रखते हैं। लेकिन रोजगार और अच्छी शिक्षा न होने के चलते वे पहाड़ छोड़ने को मजबूर हैं।
तब देवाशीष पंत को लगा कि अगर पिथौरागढ़ जैसे छोटे शहर में यहां के युवाओं को रोजगार के बेहतर विकल्प और बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके तो इससे अच्छा और क्या हो सकता है। तब उन्होंने पिथौरागढ़ में ही उच्च शिक्षा देने की पहल शुरू की और उसी का नतीजा यह रहा कि उनका शुरू किया गया मानस कॉलेज ऑफ साइंस टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट (MCSTM) को पिथौरागढ़ के पहले प्राइवेट महाविद्यालय के रूप में मान्यता मिली है। अब यह कॉलेज एसएसजे यूनिवर्सिटी का एक कैम्पस है। देवाशीष पंत मानस कॉलेज ऑफ साइंस टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट के डायरेक्टर हैं।
देवाशीष पंत, ने बताया कि तीन रोजगार परक विषयों के साथ शुरू किये गये इस महाविद्यालय में अब तीन नए विषयों को भी मंजूरी मिल गयी है। जिले के छात्रों को अपने ही घर में शिक्षा और रोजगार से जोड़ने के उद्देश्य से शुरू किया गया यह संस्थान गरीब छात्र छात्राओं को भी शुल्क में छूट प्रदान कर रहा है।
उन्होंने बताया कि पढ़ाई पूरी होने के बाद इस कॉलेज ने 50 से अधिक कम्पनियों में प्लेसमेंट देने की तैयारी भी कर रखी है। देवाशीष पंत ने कहा कि इस कॉलेज में जिले के ही हाई क्वालीफाई टीचर की नियुक्ति की है। जो देश के अलग-अलग हिस्सों में रहकर नौकरी कर रहे थे। लेकिन अब उन्हें अपने ही शहर में अपने विषय को पढ़ाने का मौका मिला है।
न्यूट्रीशियन एंड हैल्थ केयर साइंस की प्रोफेसर डॉ ज्योति महर का कहना है कि पहाड़ के युवाओं को पहाड़ में रहकर ही कुछ करने की सोच के साथ शुरू किए गए देवाशीष पंत के सपने को पूरा करने में उनके पिता और शिक्षाविद् डॉ अशोक कुमार पंत का भी पूरा साथ रहा है।
देवाशीष पंत ने बताया कि कोरोना काल में जब उनके दिमाग में यह आईडिया आया तो सबसे पहले उन्होंने अपने पिता के साथ ही उसे साझा किया और पिता के सहयोग के बाद ही वे यहां के युवाओं को पहाड़ में रोकने में कुछ हद तक सफल भी हो रहे हैं।
वहीं देवाशीष पंत के पिता डॉ अशोक कुमार पंत भी मानते हैं कि पहाड़ में पलायन की समस्या सबसे गंभीर है। ऐसे में सीमांत क्षेत्र के युवाओं को यहां रोकना और भी जरूरी है। जिसके लिए उन्होंने युवाओं को अपने जिले में ही बेहतर शिक्षा और रोजगार उपलब्ध कराने के बारे में सोचा। डॉ अशोक कुमार पंत मानस कॉलेज ऑफ साइंस टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट के चेयरमैन हैं।
डॉ अशोक कुमार पंत ने बताया कि राज्य बनने के बाद उत्तराखंड में पलायन की विभीषिका किसी से छुपी नहीं है। हर साल लाखों की तादात में युवा रोजगार और शिक्षा की तलाश में पहाड़ छोड़ देते हैं।
ऐसे में कोरोना काल के दौरान घर लौटे पिथौरागढ़ के देवाशीष पंत की पहल उन तमाम लोगों के लिए एक नजीर है जो पहाड़ और पहाड़ के लोगों के लिए कुछ करना चाहते हैं। निश्चित ही उनकी इस पहल से पहाड़ के युवाओं को घर पर ही बेहतर शिक्षा के साथ ही रोजगार के अवसर मिल रहे हैं।
Leave a Comment
Your email address will not be published. Required fields are marked with *