देश के 36 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में से 27 आपदा के अति जोखिम वाले राज्य है और 58 प्रतिशत भूभाग साधारण से लेकर अति उच्चतम तीव्रता वाले भूकंप संभावना ग्रस्त क्षेत्र है, इसके अलावा 12 प्रतिशत बाढ़ कटाव वाला क्षेत्र है जहां नदी कटाव करके बहती है।
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नई दिल्ली में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के 17 वें स्थापना दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। इस साल के स्थापना दिवस का विषय ‘हिमालयी क्षेत्र में आपदा घटनाओं का सोपानन प्रभाव’ है। इस अवसर पर अमित शाह ने आपदा मित्र योजना की प्रशिक्षण नियमावली और आपदा मित्र व सामान्य चेतावनी प्रोटोकॉल के योजना दस्तावेज का विमोचन किया। समारोह में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, अजय कुमार मिश्रा और निशिथ प्रामाणिक, केंद्रीय गृह सचिव, एनडीएमए के सदस्य व अधिकारी, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल के महानिदेशेक (एनडीआरएफ) और केंद्रीय गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ देशभर से आपदा प्रबंधन से जुड़े लोग वर्चुअल माध्यम से शामिल हुए।
इस अवसर पर केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि एनडीएमए और इसकी क्रियान्वयन ऐजेंसी के रूप में राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) ने पिछले 17 वर्षों में देश के आपदा प्रबंधन के इतिहास को बदलने और पूरे देश की संवेदनशीलता को आपदा प्रबंधन के साथ जोड़ने का काम किया है और ये बहुत बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि 130 करोड़ लोगों के देश में, जहां हर राज्य में अलग-अलग मौसम, कई नदियां, पहाड़, लंबे समुद्री तट हैं, इस स्थिति में अगर हम जनता और समाज की संवेदनशीलता, आपदाओं से बचने के लिए वैज्ञानिक व्यवस्थाओं का सूत्रपात और इन व्यवस्थाओं को नीचे तक स्वीकारने की मानसिकता तैयार नहीं कर पाते हैं तो हमें बहुत बड़ी जानहानि और आधारभूत ढांचे की हानि की तैयारी रखनी होगी। लेकिन इन 17 वर्षों में इस क्षेत्र में काफी परिवर्तन आया है।
गृह मंत्री ने एनडीएमए द्वारा शुरू की गईं दो नई पहल – आपदा मित्र और कॉमन अलर्ट प्रोटोकॉल – के बारे में कहा कि आपदा मित्र योजना बहुत ही महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि एनडीएमए को दुनियाभर में आपदा के जोखिम को न्यूनतम करने के लिए हुए शोध या गुड प्रैक्टिस की स्टडी करनी चाहिए और उन्हें हमारे देश की परिस्थितियों तथा चुनौतियों के अनुसार परिवर्तित कर एक कार्यपद्धति में ढालकर लोगों तक ले जाना। अमित शाह ने कहा कि कई प्रयासों और सरकार द्वारा बेहतरीन सुविधाएं उपलब्ध कराने के बावजूद आपदा आते ही एनडीएमए, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ जैसी ऐजेंसियों द्वारा तुरंत कार्रवाई कर पाना मुश्किल है। आपदा के समय तुरंत कार्रवाई करनी है तो वो देश की जनता, समाज और गांव-गांव में प्रशिक्षित आपदा मित्र ही कर सकते हैं और ये एक बहुत अच्छा कॉन्सेप्ट है।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आपदा मित्र के सहयोग से जनता को तैयार करना और जिन लोगों में आपदा के खिलाफ लड़ने, दूसरों के लिए काम करने और अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों को बचाने का जज्बा है, ऐसे लोगों को एकत्रित करके उनका स्किल अपग्रेडेशन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आपदा मित्र का क्रियान्वयन 25 राज्यों के 30 बाढ़ग्रस्त जिलों में प्रयोगात्मक रूप में किया गया है। 5500 आपदा मित्रों और आपदा सखियों को बाढ़ से बचाव के लिए तैयार करने का काम किया गया है। जिन्हें तैराकी आती है, उनका इसके लिए चयन किया गया और जहां भी बाढ़ आई, इन्होंने बहुत अच्छा काम किया।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि ये प्रयोग अभी बहुत छोटे स्तर पर हुआ है और 130 करोड़ की आबादी वाले देश में 5500 आपदा मित्र और आपदा सखी बहुत छोटी संख्या है। इससे पूरे देश को कवर नहीं किया जा सकता, इसीलिए 350 आपदा प्रभावित जिलों में हम आपदा मित्र योजना को लागू करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले 17 वर्षों में कई प्रोटोकॉल और एसओपी बनाए गए हैं इन्हें जमीन पर उतारने और आपदा के समय तुरंत कार्रवाई करने के लिए 350 जिलों में इस व्यवस्था को लागू किया जाएगा। 28 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों ने इस योजना के लिए एनडीएमए के साथ एमओयू किया है।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि भारत में आपदा प्रबंधन की यात्रा थोड़ी देर से शुरू हुई। 1995 में तत्कालीन राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन केन्द्र की स्थापना हुई और वो कृषि विभाग के अंतर्गत शुरू हुआ। उसके बाद हमारे देश में दो वर्षों में दो बड़ी घटनाएं हुईं। 1999 में ओडिशा में सुपर सायक्लोन आया और 10,000 लोग मारे गए। इसके बाद वर्ष 2001 में भुज में आए भूकंप में 14,000 लोग मारे गए। इन दोनों घटनाओं ने देश और सरकार के व्यवस्था तंत्र को झकझोर कर रख दिया और वहीं से विचार आया कि क्यों ना एक ऐसी व्यवस्था की जाए जो अपने आप में स्वतंत्र हो और ऐसी ऐजेंसियों के साथ जुड़े जो तत्काल रिस्पॉंड कर सके। उस वक्त अटल जी देश के प्रधानमंत्री थे और उन्होंने एक टास्क फोर्स का गठन किया और संयोग से उसी वक्त नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने भी गुजरात में इस पर काफी चिंतन किया और इसे एक मूर्त रूप देने की बात शुरू हुई और 2005 में एनडीएमए की स्थापना हुई, जिसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि अब पूरा दृष्टिकोण बदल गया है। पहले आपदाओं के प्रति सरकारों का दृष्टिकोण राहत-केन्द्रित था। आपदा के बाद सबकी मदद की जाए, उन्हें पैसा दिया जाए, बसाने, खाने की व्यवस्था हो, बीमारी फैलने की स्थिति में दवाओं की व्यवस्था हो। लेकिन अब, पूर्व चेतावनी, सक्रिय निवारण, पूर्व तैयारी और कम से कम जान के नुकसान पर ध्यान केन्द्रित किया जाता है। अप्रोच में आए इस बदलाव को हमें जारी रखना चाहिए और शून्य नुकसान तक पहुंचने की व्यवस्था करनी चाहिए।
अमित शाह ने कहा कि वर्ष 2016 में नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना, एनडीएमपी की शुरुआत की और देश में तैयार की गई पहली राष्ट्रीय योजना का खाका रखा। अब सरकार ने सभी एजेंसियो और विभागो, सभी छोटी से छोटी इकाईयों का एकीकरण करने की भी योजना तैयार की है। उन्होंने कहा कि चाहे कोई छोटा गांव हो या बड़ा मेट्रो शहर हो या फिर दूर-दराज का कोई जिला हो, या फिर समुद्र तट पर बसा शहर, हर जगह पर आपदा के खिलाफ लड़ने की पूरी योजना तैयार है।
अमित शाह ने कहा कि देश के 36 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में से 27 आपदा के अति जोखिम वाले राज्य है और 58 प्रतिशत भूभाग साधारण से लेकर अति उच्चतम तीव्रता वाले भूकंप संभावना ग्रस्त क्षेत्र है, 12 प्रतिशत बाढ़ का कटाव वाला क्षेत्र है जहां नदी कटाव करके बहती है। लगभग 7516 किलोमीटर समुद्री तट चक्रवात के जोखिमों से चिन्हित किया हुआ है, कृषि योग्य क्षेत्रफल में से 68 प्रतिशत भूभाग, हर तीसरे साल जहां सूखा आता है, पहाड़ी क्षेत्रों में लगभग 15 प्रतिशत भूभाग भूस्खलन के लिए सबसे जोखिम वाला क्षेत्र है।
अमित शाह ने कहा कि हमारे सामने जलवायु परिवर्तन का संभावित प्रभाव और आपदा की तीव्रता व फ्रीक्वेंसी को आपदा प्रबंधन के सामूहिक प्रयासों से रोकना दो प्रमुख चुनौतियां हैं। उन्होने कहा कि देश प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आजादी के 75 साल पूरे कर रहा है और मुझे पूरा विश्वास जताया कि इस क्षेत्र में भी हम बहुत सारे ऐसे काम करेंगे जिससे 10 साल की मंजिल एक ही साल में हासिल कर लें।
Leave a Comment
Your email address will not be published. Required fields are marked with *