प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में नई शिक्षा नीति को मंजूरी दी गई है। इसें विद्यार्थियों के हित में और कई बाधाओं को दूर करने का प्रयास किया है। सोशल मीडिया पर लगातार इसकी चर्चा हो रही है। आइए जानते हैं कि आखिर पढ़ाई-लिखाई कैसे बदलने वाली है….
मोदी सरकार ने नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी है। कैबिनेट की बैठक में लिए गए इस फैसले की जानकारी देश के मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने देश को दी। इसके साथ ही लोगों की प्रतिक्रियाएं भी आने लगीं। शिक्षा जगत ही नहीं, फिल्म और दूसरे क्षेत्रों के लोगों ने भी नई शिक्षा नीति का स्वागत किया। नई नीति में कला और संस्कृति को महत्व दिए जाने पर पार्श्व गायिका आशा भोसले ने ट्वीट कर खुशी जाहिर की। डॉ. निशंक ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में हम #NewIndia के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमारी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत के स्वर्णिम भविष्य का मार्ग प्रशस्त करेगी।
आइए जानते हैं कि नई शिक्षा नीति की बड़ी बातें-
– देश की नई शिक्षा नीति में अब छात्रों के सामने विज्ञान, कॉमर्स और आर्ट के रूप में कोई रुकावट नहीं होगी। विज्ञान या इंजीनियरिंग के छात्र भी अपनी रुचि के अनुसार कला या संगीत जैसे विषयों का चयन कर सकते हैं।
– 34 साल बाद देश में नई शिक्षा नीति आई है। इससे पहले शिक्षा नीति को 1986 में तैयार किया गया और 1992 में संशोधित किया गया था।
– शिक्षा क्षेत्र में खर्च को जीडीपी का 6 प्रतिशत करने और उच्च शिक्षा में साल 2035 तक सकल नामांकन दर 50 फीसदी पहुंचने का लक्ष्य है।
– लॉ और मेडिकल शिक्षा को छोड़कर उच्च शिक्षा के लिए सिंगल रेग्युलेटर (एकल नियामक) रहेगा। नई शिक्षा नीति में मल्टीपल एंट्री और एग्जिट (बहु स्तरीय प्रवेश एवं निकासी) व्यवस्था लागू की गई है। दरअसल, आज अगर चार साल इंजीनियरिंग पढ़ने या 6 सेमेस्टर पढ़ने के बाद किसी कारणवश छात्र आगे नहीं पढ़ पाते हैं तो कोई उपाय नहीं होता, लेकिन मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम में 1 साल के बाद सर्टिफिकेट, 2 साल के बाद डिप्लोमा और 3-4 साल के बाद डिग्री मिल जाएगी।
– जो छात्र रिसर्च में जाना चाहते हैं उनके लिए 4 साल का डिग्री प्रोग्राम होगा, जबकि जो लोग नौकरी में जाना चाहते हैं वे तीन साल का ही डिग्री प्रोग्राम करेंगे।
– नई व्यवस्था में एमए और डिग्री प्रोग्राम के बाद एमफिल करने से छूट की भी व्यवस्था की गई है। हिन्दी और अंग्रेजी भाषाओं के अलावा 8 क्षेत्रीय भाषाओं में भी ई-कोर्स होगा। वर्चुअल लैब के कार्यक्रम को आगे बढ़ाया जाएगा।
– मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम अब शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है।
– शिक्षा (टीचिंग, लर्निंग और एसेसमेंट) में तकनीकी को बढ़ावा दिया जाएगा। तकनीकी के माध्यम से दिव्यांगजनों में शिक्षा को बढ़ावा दिया जाएगा।
– बोर्ड परीक्षा के भार को कम करने की नई नीति में पहल की गई है। बोर्ड परीक्षा को दो भागों में बांटा जा सकता है जो वस्तुनिष्ठ और विषय आधारित हो सकता है। शिक्षा का माध्यम पांचवीं कक्षा तक मातृभाषा, क्षेत्रीय भाषा या घर की भाषा में हो। बालिकाओं के लिए लैंगिक शिक्षा कोष की बात कही गई है।
– बच्चों के रिपोर्ट कार्ड के स्वरूप मे बदलाव करते हुए समग्र मूल्यांकन पर आधारित रिपोर्ट कार्ड की बात कही गई है। हर कक्षा में जीवन कौशल परखने पर जोर होगा ताकि जब बच्चा 12वीं कक्षा में निकलेगा तो उसके पास पूरा पोर्टफोलियो होगा।
– नई शिक्षा नीति को लेकर समाज के सभी वर्गों के 2.25 लाख सुझाव आए थे और जो सुझाव आए उनका व्यापक विश्लेषण किया गया था।
1 comment
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Harish Aswal
July 31, 2020, 2:11 amसभी छात्र/छात्राए अभिभावक , शिक्षक /शिक्षकायें को बहुत बहुत शुभकामनॉए यह प्रस्ताव माननीया रमेश पोखरियाल जी के अत्यंत प्रयास से हुआ है ,
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