कुल देवी की पूजा करने पैतृक गांव पहुंचे NSA अजीत डोभाल, ज्वाल्पा देवी के भी दर्शन किए

कुल देवी की पूजा करने पैतृक गांव पहुंचे NSA अजीत डोभाल, ज्वाल्पा देवी के भी दर्शन किए

2019 के जून महीने में भी अजीत डोभाल पांच साल बाद अपने परिवार के साथ उत्तराखंड स्थित पैतृक गांव पहुंचे थे। इससे पहले, 2014 में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किए जाने के बाद भी वह अपनी कुलदेवी की पूजा में शामिल होने आए थे।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल तीन दिन के दौरे पर उत्तराखंड पहुंचे हैं। 2014 में एनएसए बनाए जाने के बाद वह तीसरी बार वह पौड़ी जिले में स्थित अपने पैतृक गांव घीड़ी पहुंचे। यह पहला मौका है जब वह नवरात्रि के मौके पर अपनी कुलदेवी बाल कुंवारी के दर्शनों के लिए आए।

गुरुवार शाम करीब 7:30 बजे अजीत डोभाल अपनी पत्नी अरुणी डोभाल के साथ ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन पहुंचे। यह उनका निजी दौरा था, इसलिए इससे मीडिया को दूर रखा गया। शुक्रवार सुबह पौड़ी के लिए रवाना होने से पहले वह परमार्थ आश्रम में यज्ञ में शामिल हुए। यह यज्ञ स्वामी चिदानंद सरस्वती ने संपन्न कराया। इसके बाद वह शक्तिपीठ ज्वाल्पा देवी के दर्शनों के लिए पहुंचे। यहां उन्होंने विधिविधान से पूजा की और इसके बाद मंदिर समिति और पुजारियों से बातचीत भी की। मंदिर में दर्शनों के बाद वह पौड़ी रवाना हो गए।

शनिवार सुबह वह अपनी कुल देवी के दर्शन के लिए पैतृक गांव घीड़ी पहुंचे। हमेशा की तरह एनएसए डोभाल ने अपनी यात्रा के लिए किसी तरह का प्रोटोकॉल लेने से इनकार किया है। वह दिल्ली से ऋषिकेश पहुंचे, जहां से सड़क मार्ग से शुक्रवार को पौड़ी जिले में मौजूद मां ज्वाल्पा देवी के दर्शनों को पहुंचे। इसके बाद एनएसए डोभाल ने अपने पैतृक गांव घीड़ी पहुंचकर कुल देवी बाल कुंवारी मंदिर में पूजा अर्चना की।

अपने पैतृक गांव में एनएसए अजीत डोभाल

शक्तिपीठ मां ज्वाल्पा देवी के दर्शन भी किए

इस मौके पर उन्होंने कहा कि वह जल्द ही गांव के अपने पैतृक घर को फिर से दुरुस्त करवाएंगे। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की इस यात्रा को पूरी तरह निजी रखा गया है। अपनी इस यात्रा के दौरान उन्होंने उत्तराखंड सरकार से किसी भी तरह का कोई सरकारी प्रोटोकॉल लेने से इनकार कर दिया। हालांकि केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री का रैंक होने के साथ ही वह जेड प्लस सुरक्षा कैटेगरी में आते हैं।

इससे पहले, पिछले वर्ष भी जून में अजीत डोभाल पांच साल बाद अपने परिवार के साथ उत्तराखंड स्थित पैतृक गांव पहुंचे थे। 2014 में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किए जाने के बाद जून 2014 में भी वह अपनी कुल देवी की पूजा में शामिल होने गांव आए थे।

 

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1 Comment

  • Pradeep Joshi
    October 23, 2020, 5:06 pm

    Nice post

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