राज्यसभा में पीएम ने कहा कि कोरोना की लड़ाई जीतने का यश किसी सरकार को नहीं जाता है, किसी व्यक्ति को नहीं जाता है लेकिन हिंदुस्तान को तो जाता है। गर्व करने में क्या जाता है? विश्व के सामने आत्मविश्वास से बोलने में क्या जाता है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि जल, थल, नभ, अंतरिक्ष भारत हर क्षेत्र में अपनी रक्षा के लिए अपने सामर्थ्य के साथ खड़ा है। सर्जिकल स्ट्राइक हो या एयर स्ट्राइक भारत की कैपेबिलिटी को दुनिया ने देखा है। उन्होंने राज्यसभा में कोरोना वॉरियर्स, कोरोना वैक्सीन, दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान समेत लोकतांत्रिक सिद्धांतों की चर्चा करते हुए भारत के सामर्थ्य की बात की।
उन्होंने कहा, ‘हमारा लोकतंत्र किसी भी मायने में वेस्टर्न इंस्टीट्यूशन नहीं है। ये एक ह्यूमन इंस्टीट्यूशन है। भारत का इतिहास लोकतांत्रिक संस्थानों के उदाहरणों से भरा पड़ा है। प्राचीन भारत में 81 गणतंत्रों का वर्णन मिलता है। भारत के राष्ट्रवाद पर चौतरफा हो रहे हमले से आगाह करना जरूरी है। भारत का राष्ट्रवाद न तो संकीर्ण है, न स्वार्थी है, न आक्रामक है। ये सत्यम, शिवम, सुंदरम के मूल्यों से प्रेरित है।’ ये वक्तव्य आजाद हिंद फौज की प्रथम सरकार के प्रथम प्रधानमंत्री नेताजी सुभाष चंद्र बोस का है।
उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य है कि जाने-अनजाने में हमने नेताजी की इस भावना को, उनके आदर्शों को भुला दिया है। उसका परिणाम है कि आज हम ही, खुद को कोसने लगे हैं। हमने अपनी युवा पीढ़ी को सिखाया नहीं कि ये देश लोकतंत्र की जननी है। हमें ये बात नई पीढ़ी को सिखानी है।
भाषण के दौरान पीएम ने महाकवि मैथिली शरण गुप्त की कविता कहते हुए कहा, ‘अवसर तेरे लिए खड़ा है, फिर भी तू चुपचाप पड़ा है। तेरा कर्मक्षेत्र बड़ा है। पल-पल है अनमोल, अरे भारत उठ आंखें खोल।’ लेकिन मैं सोच रहा हूं कि 21 सदी के आरंभ में अगर गुप्त जी को लिखना होता तो क्या लिखते। मैं कल्पना करता हूं कि वह लिखते-
अवसर तेरे लिए खड़ा है,
तू आत्मविश्वास से भरा पड़ा है।
हर बाधा हर बंदिश को तोड़,
अरे भारत, आत्मनिर्भरता के पथ पर दौड़
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर राज्यसभा में धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि पूरा विश्व अनेक चुनौतियों से जूझ रहा है। शायद ही किसी ने सोचा होगा कि ऐसी चुनौतियों के बीच मानव जाति को ऐसे कठिन दौर से गुजरना होगा। राज्य सभा में करीब 13-14 घंटे तक 50 से अधिक माननीय सदस्यों ने अपने बहुमूल्य विचार रखे इसलिए मैं सभी आदरणीय सदस्यों का हृदय पूर्वक आभार व्यक्त करता हूं।
पीएम ने कहा कि अनेक चुनौतियों के बीच राष्ट्रपति जी का इस दशक का प्रथम भाषण हुआ। लेकिन ये भी सही है जब पूरे विश्व पटल की तरफ देखते हैं, भारत के युवा मन को देखते हैं तो ऐसा लगता है कि आज भारत सच्चे में एक अवसरों की भूमि है। अनेक अवसर हमारा इंतजार कर रहे हैं। जो देश युवा हो। जो देश उत्साह से भरा हुआ हो। जो देश अनेक सपनों को लेकर संकल्प के साथ सिद्धि को प्राप्त करने के लिए प्रयासरत हो। वो देश इन अवसरों को कभी जाने नहीं दे सकता।
उन्होंने कहा कि कोरोना की लड़ाई जीतने का यश किसी सरकार को नहीं जाता है, किसी व्यक्ति को नहीं जाता है। लेकिन हिंदुस्तान को तो जाता है। गर्व करने में क्या जाता है? विश्व के सामने आत्मविश्वास से बोलने में क्या जाता है?
भारत के लिए दुनिया ने बहुत आशंकाएं जतायी थीं। विश्व बहुत चिंतित था कि अगर कोरोना की इस महामारी में अगर भारत अपने आप को संभाल नहीं पाया तो न सिर्फ भारत पूरी मानव जाति के लिए इतना बड़ा संकट आ जाएगा, ये आशंकाएं सभी ने जताई।
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