प्रसून जोशी और अजय भट्ट की उपस्थिति में उत्तराखंड की आंचलिक फीचर फिल्म ‘चक्रव्यूह’ का प्रोमो रिलीज

प्रसून जोशी और अजय भट्ट की उपस्थिति में उत्तराखंड की आंचलिक फीचर फिल्म ‘चक्रव्यूह’ का प्रोमो रिलीज

प्रसून जोशी ने कहा, उत्तराखंड आंचलिक फिल्म निर्माण में निःसन्देह अच्छा काम कर रहा है। शूटिंग के लिए सिर्फ शांत और अच्छी जगह ही काफी नहीं है प्रतिभाओं को सामने लाया जाना चाहिए और उन्हें उत्तराखंड फिल्म निर्माण को आर्थिक लाभ के लिए उन्मुख बनाने सहित बडे लक्ष्यों को चुनना चाहिए।

सी एम पपनैं

जोधा फिल्मस के बैनर तले उत्तराखंड की गढ़वाली, कुमांउनी व जौनसारी तीन बोली-भाषाओं में निर्मित आंचलिक फीचर फिल्म ‘चक्रव्यूह’ का प्रोमो 8 अगस्त 2023 को नई दिल्ली महादेव रोड स्थित फिल्म डिविजन सभागार में मुख्य अतिथि केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड अध्यक्ष व ख्यातिरत गीतकार, संगीतकार एवं लेखक प्रसून जोशी, विशिष्ट अतिथि केन्द्रीय रक्षा व पर्यटन राज्य मंत्री अजय भट्ट, पूर्व केन्द्रीय कपड़ा राज्यमंत्री व अल्मोडा-पिथौरागढ सांसद अजय टम्टा, पूर्व मुख्यमंत्री उत्तराखंड हरीश रावत, सु-प्रसिद्ध उद्यमी व पूर्व आईएएस महेश पांडे, उद्यमी व समाजसेवी नरेन्द्र लड़वाल, समाजसेवी मोहन लाल बली तथा विश्व ब्राह्मण फेडरेशन अध्यक्ष व उद्यमी तथा समाजसेवी के सी पांडे के साथ-साथ निर्मित फिल्म यूनिट के सभी कलाकारों, आमंत्रित बुद्धिजीवियों, पत्रकारों, लेखको, रंगकर्मियों, आंचलिक फिल्म कलाकारों, कला प्रेमियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं से खचाखच भरे सभागार में रिलीज किया गया।

मंच संचालकों हेम पंत, अजय सिंह बिष्ट व अमन डोभाल द्वारा जनगीत – उत्तराखंड मेरी मातृभूमि, पितृभूमि तेरी जै जै कारा मय्यर हिमाला…. का गायन करने के बाद फिल्म प्रमाणन बोर्ड द्वारा प्रमाणित उत्तराखंड की तीन बोली-भाषाओं में निर्मित फीचर फिल्म ’चक्रव्यूह’ का प्रोमो रिलीज किया गया।

मंच संचालक अमन डोभाल द्वारा इस अवसर पर अवगत कराया गया उत्तराखंड राज्य गठन के बाद जौनसारी बोली-भाषा की यह पहली फिल्म है।
रिलीज किए गए प्रोमो को देखने के बाद कुमाऊनी बोली-भाषा में बोलते हुए केन्द्रीय रक्षा व पर्यटन राज्यमंत्री अजय भट्ट द्वारा कहा गया, गढ़वाली, कुमांउनी व जौनसारी बोली-भाषाओं में थोड़ा बहुत अंतर जरूर है, संस्कृति हम सबकी एक जैसी है, हम सबके रिश्ते सदा मजबूत रहने चाहिए।

अजय भट्ट द्वारा कहा गया, फिल्म प्रोमो अच्छा लगा। तीनों बोली-भाषाओं को 8वीं अनुसूची में लाने के लिए उन्होंने संसद में इस पर सवाल रखा, अवगत कराया। निर्मित फीचर फिल्म की सराहना कर, पूरी टीम को अजय भट्ट द्वारा शुभकामना दी गई। अहवान किया गया, सब कलाकारों व निर्माताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए हर उत्तराखंडी को यह फिल्म देखनी चाहिए।

मुख्य अतिथि प्रसून जोशी द्वारा फिल्म की पूरी टीम को बधाई देते हुए व्यक्त किया गया, अपनी बोली-भाषा से आत्मीयता का तार जुड़ता है। जब भी हम पहाड़ की संस्कृति की बात करते हैं, एक चैरिटी की बात सामने आती है। किसी को बीड़ा उठाना होता है व युवाओं को आगे आना होता है। उत्तराखंड में संस्कृति की बात करते हैं तो कुछ और ही नजर आता है, युवा नहीं जुड़ते हैं। उत्तराखंड का दर्द स्वयं बढ़ रहा है, मिथ्या होगी।

उत्तराखंड के कलाकार फिल्म बनाए व प्रदेश की अर्थ व्यवस्था को जनरेट करे। मनोरंजन उद्योग के रूप में इंडस्ट्री को बढ़ाना होगा। मूल भाव रखने होंगे, भाव सीखने की जरूरत नहीं है। भाव नैसर्गिक रूप में सामने आते हैं। सरलता से गीत गाए जाते हैं। यही पहाड़ की संस्कृति है। सहजता किसी से सीखने की जरूरत नहीं है।

प्रसून जोशी ने कहा, उत्तराखंड आंचलिक फिल्म निर्माण में निःसन्देह अच्छा काम कर रहा है। शूटिंग के लिए सिर्फ शांत और अच्छी जगह ही काफी नहीं है प्रतिभाओं को सामने लाया जाना चाहिए और उन्हे उत्तराखंड फिल्म निर्माण को आर्थिक लाभ के लिए उन्मुख बनाने सहित बडे लक्ष्यों को चुनना चाहिए। व्यक्त किया गया, बडी फिल्म बनाना मसक्कत करना है।

प्रसून जोशी द्वारा अवगत कराया गया, उन्हें एक बार एक फिल्म में ढाई वर्ष का समय लगा। कहा उत्तराखंड में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। पहाड में नदी मुश्किल है, संघर्ष सिखाती है, पहाड़ के लोग छल नही सिखाते हैं। उत्तराखंड की संस्कृति वैश्विक फलक पर बहुत उंची है। जितना प्रयास करे, करते रहे।
प्रसून जोशी ने कहा, तीन बोली-भाषाओं में प्रोमो काटे, फिल्म में और काम हो सकता है, फिल्म को तीन बार प्रमाणित करे। अपनी संस्कृति से जुडे। बिना संस्कृति के कुछ नहीं है।

प्रसून जोशी द्वारा एक रचना सुनाई गई – उखडे उखडे क्यों हैं, वृक्ष सूख जावोगे…. जिन पैरों में मिट्टी होगी धूल सजेगी, उन्हीं के आगे एक दिन विश्व झुकेगा। जितना तुम झुकना सीखोगे….यदि तुम पर यौवन आयेगा… शुष्क शुष्क से क्यों हैं…. जड़ का होना और जड़ होना अलग है, जड़ के बिना चेतन कहा हो सकते हैं, सिमटे क्यों हो वृक्ष… जितनी गहरी जडे तुम्हारी उतनी हरियाओगे।

अपना वक्तव्य समाप्त करने से पूर्व प्रसून जोशी द्वारा आश्वासन दिया गया, वे उत्तराखंड के सुधी जनो द्वारा किसी भी फिल्म प्रयास में अपना पूर्ण समर्थन और सहयोग का वायदा करते हैं। हरीश रावत द्वारा भी फिल्म की पूरी टीम को शुभकामनाएं दी गई।

फिल्म आयोजकों द्वारा अवगत कराया गया निर्मित फिल्म ’चक्रव्यूह’ को नेपाली भाषा में भी जल्द ही रिलीज किया जायेगा। बहुत जल्द उत्तराखंड सहित दिल्ली एनसीआर में फिल्म के शो दर्शकों की सुविधानुसार विभिन्न सभागारों में प्रदर्षित किए जायेंगे।

प्रोमो के इस अवसर पर फिल्म से जुडे सभी टीम सदस्यों को मंच पर आमन्त्रित कर परिचय कराया गया। फिल्म निर्माता संजय जोशी व सुधीर धर, पटकथा, संवाद, गीत व फिल्म निर्देशिका सुशीला रावत, कोरियोंग्राफर अंकुश सकलानी, प्रोडक्शन मैनेजर और कंट्रोलर खुशाल सिंह बिष्ट और मुकुंद धर, कैमरा मैन ध्रुव त्यागी, संगीतकार राजेन्द्र चौहान, गायक कलाकारों में कल्पना चौहान, रोहित चौहान, अमित खरे व शिवानी भगवत, फिल्म के अदाकारों में पदमेन्द्र रावत, राजेश नौगाई, रणबीर चौहान, खुशहाल सिंह बिष्ट, अजय बिष्ट, कुलदीप असवाल, जितेन्द्र प्रताप सिंह, किरन लखेडा, वंदना सुंदरियाल, भावना नेगी व पिंकी नैथानी।

फीचर फिल्म प्रोमो मंच संचालन अजय सिंह बिष्ट द्वारा गढ़वाली में, हेम पंत द्वारा कुमांउनी में और अमन डोभाल द्वारा जौनसारी बोली-भाषा में बखूबी प्रभावशाली अंदाज में किया गया।

फिल्म के तीन बोली-भाषाओं के अलग-अलग प्रोमो को खचाखच भरे सभागार में उपस्थित प्रबुद्ध श्रोताओं द्वारा तालियों की गड़गड़ाहट कर सराहा गया। सभी पात्रों के अभिनय की प्रशंसा की गई। फिल्म निर्देशिका सुशीला रावत का कसा हुआ निर्देशन उनके रंगमंच व फिल्मी अभिनय के अनुभव को बया करता नजर आ रहा था जो बहुत सराहा जा रहा था।

प्रोड्यूसर संजय जोशी व सह प्रोड्यूसर सुधीर धर की गहराई युक्त गूढ़ सोच की भूरि-भूरि प्रशंसा की जा रही थी। कलाकारों का अभिनय प्रोमो में छुटपुट रूप से झलकता नजर आ रहा था। पदमेन्द्र रावत व राजेश नौगाई द्वारा व्यक्त डायलॉग प्रभावशाली छाप छोड़ते नजर आ रहे थे।

फिल्म लेखिका सुशीला रावत द्वारा ’चक्रव्यूह’ कहानी की सोच की प्रेरणा शेक्सपीयर के लोकप्रिय नाटक ’ओथोलो’ को ध्यान में रखते हुए तथा हिंदी

नाटक ’आहुति’ को आधार बना कर लिखा गया है। उक्त फिल्म का अधिकतर फिल्मांकन कुमांउ अंचल के चम्पावत की खूबसूरत वादी, पौराणिक मंदिरों, छह सौ वर्ष पुरानी हवेली, खूबसूरत गांवों, जंगल, नदी, चाय बगान इत्यादि इत्यादि मन भावन स्थानों में सम्पन्न हुई है। प्रोमो में प्रकृति के भव्य सौंदर्य से परिपूर्ण दृश्य निर्मित फिल्म को सफलता की राह दिखाते नजर आ रहे हैं।

फिल्म का प्रोमो देख कयास लगाया जा सकता है, निर्मित फिल्म सस्पैंस से लबालब है। साउंड ईफैक्ट व गीत-संगीत भी ठीक-ठाक लग रहा है। प्रोमो प्रभावशाली बने हैं, जिनका प्रभाव दूर तक जायेगा।

फिल्म में अंचल के परंपरागत वेशभूषा का प्रयोग सराहनीय कहा जा सकता है। उत्तराखंड की सिने जगत में विभिन्न विधाओं में किए गए प्रयोग व प्रयास मील का पत्थर साबित हो सकते हैं। ऐतिहासिक कालजयी कहे जा सकते हैं, कयास लगाया जा सकता है।

लोगों के जेहन में चार बोली-भाषाओं में निर्मित आंचलिक फीचर फिल्म ’चक्रव्यूह’ कितना प्रभाव डालने में सक्षम है, कितनी सफल होगी, 25 अगस्त 2023 देहरादून में पहले प्रीमीयर पर ही अवगत हो जायेगा। दिल्ली में प्रबुद्ध जनमानस व निरंतर फिल्मों से जुडे पत्रकारों द्वारा प्रोमो देखने के उपरांत जो नजरिया पेश किया गया है, उस मुताबिक यह बहुरंगी फीचर फिल्म अच्छा प्रदर्शन व व्यवसाय करने में सफल होगी।

फिल्म के सफल होने पर निश्चय ही फिल्म निर्माता संजय जोशी व सुधीर धर को बल मिलेगा, जिस प्रेरणा स्वरूप वे उत्तराखंड की आंचलिक फिल्मों की ओर ज्यादा ध्यान देकर उत्तराखंड की फिल्म इंडस्ट्री को और अधिक सशक्त व मजबूत दिशा देने की ओर कदम बढ़ायेगे सोचा जा सकता है।

1 comment

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1 Comment

  • Sunil
    August 20, 2023, 12:44 pm

    We know Sanju Joshi and his extended family.That is how we have known Uttarakhand.He is an entrepreneur who is willing to take risks.Wish him and the entire film team the very best and great success.

    REPLY

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