DRDO का कमाल, पहाड़ के इस सपूत ने कोरोना से जंग में बनाए एक से बढ़कर एक ‘हथियार’

DRDO का कमाल, पहाड़ के इस सपूत ने कोरोना से जंग में बनाए एक से बढ़कर एक ‘हथियार’

हिल-मेल EXCLUSIVE: देश में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। ऐसे में कोरोना से संक्रमित लोगों की जान बचाने के साथ ही चुनौती अग्रिम मोर्चे पर कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे लोगों और आम लोगों को भी सुरक्षित करने की है। इस मिशन में DRDO ने एक शानदार भूमिका निभाई है।

नवंबर-दिसंबर 2019 से पहले तक दुनिया जानलेवा कोरोना वायरस से अनजान थी। जब यह फैला तो फैलता ही चला गया क्योंकि कोई भी देश इससे निपटने के लिए तैयार नहीं था। हालांकि भारत में कोरोना की दस्तक से पहले ही एक एजेंसी ऐसी थी जिसने संभावित खतरे को भांपते हुए इस दिशा में सोचना शुरू कर दिया था। जी हां, उस सरकारी संस्थान का नाम है डीआरडीओ यानी रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन। पहले केस से लेकर अब तक अलग-अलग तरह की जरूरतें और चुनौतियां आती गईं पर भारतीय वैज्ञानिकों ने उसका सटीक तोड़ निकाला। आज हम आपको बताने जा रहे हैं पहाड़ के सपूत और डीआरडीओ के एक ऐसे वैज्ञानिक के अनुसंधान के बारे में जिसने देशवासियों को कोरोना से लड़ने में काफी मदद की।

मूल रूप से अल्मोड़ा के जोशीखोला के संजीव जोशी डीआरडीओ चेयरमैन के प्रौद्योगिकी सलाहकार हैं। उन्होंने और डीआरडीओ के अन्य वैज्ञानिकों ने मिलकर डिसइंफेक्शन की तकनीक इजाद की। पीपीई किट तैयार किया। डब्लूएचओ की गाइडलाइन के हिसाब से सैनिटाइजर, मास्क और ऐसी ढेरों चीजें ईजाद की।

बिना छुए काम करने वाली सैनिटाइजर मशीन

सबसे पहले बात एक ऐसी मशीन की करते हैं जो बिना छुए आपके हाथ को सैनिटाइज करने का काम में इस्तेमाल हो रही है। जी हां, यह कॉन्टैक्टलेस सैनिटाइजर डिस्पेंसर मशीन बिना किसी टच के 20 सेकंड तक सैनिटाइजर निकालती है। तमाम इमारतों में दीवार पर लगाए गए ऐसी मशीनों से इमारत में घुसने वाला शख्स अपने आप को डिसइन्फेक्ट कर पा रहा है। संजीव जोशी बताते हैं कि इस मशीन को दूसरी एजेंसियों में भी भेजा गया है।

 

VIDEO COURTESY: ANI

ऐंटी कोरोना हेल्मेट ही समझिए…

डीआरडीओ ने ऐसा हेड गियर बनाया है जिसे डॉक्टरों ही नहीं, कोरोना के खतरे से दूसरे लोगों को बचाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। डीआरडीओ ने एक आधुनिक फेसशील्ड बनाई है। गौर करने वाली बात यह है कि भारत में इकलौती फेस शील्ड है जो छींटे और छोटी बूंद के लिए इंटरनेशनल ANSI/ISEA स्टैंडर्ड पर टेस्ट की गई है।

 

पीपीई किट में पसीने की समस्या भी की दूर

एक और महत्वपूर्ण अनुसंधान संजीव जोशी ने किया है, जिसकी चर्चा हिल-मेल के कार्यक्रम ई-रैबार में भी हुई थी। दरअसल, लाइव चर्चा में सफदरजंग अस्पताल के डॉ. वीके तिवारी ने डीआरडीओ के वैज्ञानिक जोशी से कहा था कि वह कुछ ऐसा बनाएं जिससे पीपीई किट पहनने के बाद उलझन या कहें कि सांस लेने में आसानी हो। एक तरह से एयर सर्कुलेशन सही हो। जोशी ने उस समय भी कहा था कि वह खुद इस तकनीक पर काम कर रहे हैं लेकिन अब उन्होंने देश के सामने पेश किया है। इसका नाम सुमेरू- पैक्स हैं जिसे पीपीई किट में एयर सर्कुलेशन के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

उन्होंने PPE के अंदर 500 ग्राम का छोटा बैकपैक बनाया है, जो पर्सनल एयर सर्कुलेशन सिस्टम के जरिए पसीने से तर-बतर आदमी को आराम देकर और ठंडा रखता है। ये उत्पाद अस्पतालों में लंबे समय तक PPE कवर पहनने वाले मेडिकल कर्मचारियों के लिए उपयोगी है।

डीआरडीओ का कोरोना पर ‘ब्लास्टर अटैक’

डीआरडीओ ने अल्ट्रा स्वच्छ नाम से एक ऐसी डिसइन्फेक्शन यूनिट बनाई है जो पीपीई किट, इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम्स समेत कई तरह की चीजों को कोरोना से मुक्त कर सकती है। DRDO ने भारी संक्रमण वाले क्षेत्रों के त्वरित और रसायन मुक्त कीटाणुशोधन के लिए एक अल्ट्रा वॉयलेट डिसइंफेक्सन टावर विकसित किया है।

यूवी ब्लास्टर नाम का यह उपकरण एक यूवी आधारित क्षेत्र सैनिटाइजर है, जिसे डीआरडीओ की दिल्ली स्थित प्रतिष्ठित प्रयोगशाला लेजर साइंस एंड टेक्नोलॉजी सेंटर ने बनाया है। खास बात यह है कि इसे नैनीताल के डा. अनूप साह ने बनाया है। वह LASTEC लैब में काम करने वाले वैज्ञानिक हैं। 

 

यूवी ब्लास्टर प्रयोगशालाओं और कार्यालयों में इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, कंप्यूटर और अन्य गैजेट जैसे उच्च प्रौद्योगिकी वाली सतहों में उपयोगी है, जो रासायनिक विधियों से कीटाणुशोधन के लिए उपयुक्त नहीं हैं। यह उत्पाद हवाई अड्डों, शॉपिंग माल, मेट्रो, होटलों, कारखानों, कार्यालयों आदि ऐसे क्षेत्रों के लिए भी प्रभावी है, जहां लोगों की आवाजाही खासी ज्यादा होती है।

यूवी आधारित क्षेत्र सैनिटाइजर को वाईफाई लिंक का इस्तेमाल करते हुए लैपटॉप/मोबाइल के माध्यम से दूरस्थ परिचालन के द्वारा उपयोग किया जा सकता है। इस उपकरण में 360 डिग्री प्रकाश के लिए 254 एनएम वेवलेंथ पर छह लैम्प होती हैं, जिसमें हरेक लैम्प की क्षमता 43 वाट यूवी-सी पावर है। कमरे के भीतर विभिन्न स्थानों पर उपकरण लगाकर लगभग 12×12 फुट आकार के एक कमरे को लगभग 10 मिनट और 400 वर्ग फुट के कमरे को 30 मिनट में कीटाणुमुक्त किया जा सकता है।

अचानक कमरा खुलने या मानवीय दखल पर यह सैनिटाइजर बंद हो जाता है। उत्पाद की एक अन्य विशेषता उसका हाथ से होने वाला परिचालन है।

Hill Mail
ADMINISTRATOR
PROFILE

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked with *

विज्ञापन

[fvplayer id=”10″]

Latest Posts

Follow Us

Previous Next
Close
Test Caption
Test Description goes like this