[fvplayer id=”10″]
हरियाली इंसान को खुशी प्रदान करती है। हरियाली देखकर इंसान का तन-मन प्रफुल्लित हो उठता है। आज बाजारवाद और पूंजीवादी संस्कृति मानव को प्रकृति के विरुद्ध खड़ा कर रही है। जो प्रकृति के करीब है उसे जंगली, बर्बर और असभ्य माना जाने लगा है। वहीं, हरेला प्रकृति और मानव के बीच के संबंधों को दर्शाता है।
READ MOREलॉकडाउन से रीचार्ज हो गई प्रकृति, लॉकडाउन का पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। कई किलोमीटर दूर से पहाड़ों के मनोरम दृश्य एक नई दुनिया का आभास करा रहे हैं। ऐसा लग रहा जैसे प्रकृति रीचार्ज हो गई है।
READ MORE[fvplayer id=”10″]
हरियाली इंसान को खुशी प्रदान करती है। हरियाली देखकर इंसान का तन-मन प्रफुल्लित हो उठता है। आज बाजारवाद और पूंजीवादी संस्कृति मानव को प्रकृति के विरुद्ध खड़ा कर रही है। जो प्रकृति के करीब है उसे जंगली, बर्बर और असभ्य माना जाने लगा है। वहीं, हरेला प्रकृति और मानव के बीच के संबंधों को दर्शाता है।
READ MOREलॉकडाउन से रीचार्ज हो गई प्रकृति, लॉकडाउन का पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। कई किलोमीटर दूर से पहाड़ों के मनोरम दृश्य एक नई दुनिया का आभास करा रहे हैं। ऐसा लग रहा जैसे प्रकृति रीचार्ज हो गई है।
READ MORE