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उत्तराखंड में हरेला का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, हरेला पर्व में लोग खूब सारे पेड़ पौधे लगाते हैं और धरती को हरी भरी रहे इसके लिए कोशिश करते हैं।
READ MOREहरेला पर्व के अवसर पर विचार गोष्ठी आयोजन किया गया। इस विचार गोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि जीवन का अधिकार संविधान से पूर्व पर्यावरण से जुड़ा हुआ है। हम पर्यावरण की रक्षा करेंगे तो पर्यावरण हमारी रक्षा करेगा। ऐसा विकास किस काम का जो विनाश की कगार पर ले जाए। विकास कार्य पर्यावरण की महत्ता को समझ कर किया जाए, न कि निजी स्वार्थों व लाभ को देखकर।
READ MOREहरियाली इंसान को खुशी प्रदान करती है। हरियाली देखकर इंसान का तन-मन प्रफुल्लित हो उठता है। आज बाजारवाद और पूंजीवादी संस्कृति मानव को प्रकृति के विरुद्ध खड़ा कर रही है। जो प्रकृति के करीब है उसे जंगली, बर्बर और असभ्य माना जाने लगा है। वहीं, हरेला प्रकृति और मानव के बीच के संबंधों को दर्शाता है।
READ MOREमुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरेला पर्व के अवसर पर मालदेवता देहरादून में आयोजित ‘शहीदों के नाम पौधरोपण’ कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने वृक्षारोपण किया।
READ MOREउत्तराखंड में हरेला पर्व पर वृक्षारोपण के लिए 50 लाख पौधों को लगाए जाने का लक्ष्य तय किया गया है, इसमें वन विभाग के अलावा बाकी तमाम महकमे भी शामिल होंगे। सभी विभागों को हरेला पर जिम्मेदारी दी दी गयी है।
READ MOREमुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हरेला सुख-समृद्धि व जागरुकता का भी प्रतीक है। पर्यावरण बचाने की संस्कृति की ऐसी सुंदर झलक देवभूमि उत्तराखंड में ही दिखती है। आने वाली पीढ़ी को शुद्ध हवा व वातावरण मिल सके इसके लिए सबको वृक्षारोपण एवं पर्यावरण संरक्षण की ओर ध्यान देना होगा।
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उत्तराखंड में हरेला का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, हरेला पर्व में लोग खूब सारे पेड़ पौधे लगाते हैं और धरती को हरी भरी रहे इसके लिए कोशिश करते हैं।
READ MOREहरेला पर्व के अवसर पर विचार गोष्ठी आयोजन किया गया। इस विचार गोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि जीवन का अधिकार संविधान से पूर्व पर्यावरण से जुड़ा हुआ है। हम पर्यावरण की रक्षा करेंगे तो पर्यावरण हमारी रक्षा करेगा। ऐसा विकास किस काम का जो विनाश की कगार पर ले जाए। विकास कार्य पर्यावरण की महत्ता को समझ कर किया जाए, न कि निजी स्वार्थों व लाभ को देखकर।
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