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पलायन का दंश झेल रहे उत्तराखंड के गांवों में लॉकडाउन एक नई उम्मीद बनकर आया है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह के निर्देश पर ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग द्वारा तैयार की गई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि लौटकर आए 30 फीसदी लोगों ने लॉकडाउन खुलने और स्थिति सामान्य होने के बाद भी गांव में ही रुकने की इच्छा जताई है।
READ MOREप्रवासियों को भेजे पत्र में कहा है कि हमारे पूर्वजों ने पहाड़ों को काटकर खेत बनाए, उन खेतों को उपजाऊ बनाकर हमारा पालन-पोषण किया है। आज यही खेती हमारी भागमभाग की जिंदगी के कारण बंजर पड़ी है।
READ MOREलॉकडाउन के बाद उत्तराखंड के 10 जिलों में 59360 लोग अपने गांवों की ओर लौटे हैं। सबसे ज्यादा पौड़ी, अल्मोड़ा, टिहरी, चंपावत और पिथौरागढ़ में लोगों की वापसी हुई है। सबसे अच्छी बात यह है कि इनमें से करीब 30 फीसदी लोग अब दोबारा शहरों का रुख नहीं करना चाहते।
READ MOREसबसे ज्यादा पौड़ी, अल्मोड़ा, टिहरी, चंपावत और पिथौरागढ़ में लोगों की वापसी हुई है। ग्राम विकास विभाग के डेटा के अनुसार, पौड़ी में सबसे ज्यादा 12039 लोग लॉकडाउन के बाद लौटकर आए। वहीं अल्मोड़ा में 5487, टिहरी में 5276, चंपावत में 5070 और पिथौरागढ़ में 5035 लोग लौटकर आए।
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पलायन का दंश झेल रहे उत्तराखंड के गांवों में लॉकडाउन एक नई उम्मीद बनकर आया है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह के निर्देश पर ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग द्वारा तैयार की गई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि लौटकर आए 30 फीसदी लोगों ने लॉकडाउन खुलने और स्थिति सामान्य होने के बाद भी गांव में ही रुकने की इच्छा जताई है।
READ MOREप्रवासियों को भेजे पत्र में कहा है कि हमारे पूर्वजों ने पहाड़ों को काटकर खेत बनाए, उन खेतों को उपजाऊ बनाकर हमारा पालन-पोषण किया है। आज यही खेती हमारी भागमभाग की जिंदगी के कारण बंजर पड़ी है।
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