बदरीनाथ धाम के कपाट पूरे विधि विधान के साथ शीतकाल के लिए हुए बंद

बदरीनाथ धाम के कपाट पूरे विधि विधान के साथ शीतकाल के लिए हुए बंद

इस बार सबसे अधिक 38 लाख रिकार्ड तीर्थयात्री बदरी-केदार पहुंचे है। जिनमें से आज कपाट बंद तक 18 लाख 40 हजार से अधिक तीर्थयात्री बदरीनाथ धाम पहुंचे है।

विश्व प्रसिद्ध श्री बदरीनाथ धाम के कपाट श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय की उपस्थिति में आज पूजा-अर्चना के पश्चात कार्तिक शुक्ल षष्ठी श्रवण नक्षत्र में शीतकाल हेतु बंद हो गए है। कुछ दिन पहले हुई बर्फबारी के बाद कपाट बंद होने के दौरान आज मौसम साफ रहा। कपाट बंद होने के अवसर पर बद्रीनाथ मंदिर को फूलों से सजाया गया था। सिंहद्वार परिसर में गढ़वाल स्काट के बैंड की भक्तिमय धुनों से संपूर्ण बदरीनाथ गुंजायमान हो रहा था। जय बदरी विशाल के उदघोष गूंज रहे थे। कपाट बंद के समय साढ़े पांच हजार से अधिक श्रद्धालुजन तीर्थयात्री कपाट बंद होने के साक्षी बने।

कपाट बंद के पश्चात बदरीनाथ से रविवार 19 नवंबर प्रात श्री उद्धव जी, श्री कुबेर जी की देव डोली पांडुकेश्वर तथा आदिगुरू शंकराचार्य जी की गद्दी श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ प्रस्थान करेगी। कपाट बंद होने के अवसर पर श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा तथा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दिशा-निर्देशन में इस यात्रा वर्ष बद्रीनाथ-केदारनाथ यात्रा ऐतिहासिक रही है।

इस बार सबसे अधिक 38 लाख रिकार्ड तीर्थयात्री बदरी-केदार पहुंचे है। जिनमें से आज कपाट बंद तक 18 लाख 40 हजार से अधिक तीर्थयात्री बदरीनाथ धाम पहुंचे है। उन्होंने यात्रा में योगदान करने वाले सभी व्यक्तियों, संस्थानों को बधाई दी है।

मुख्य कार्याधिकारी योगेंद्र सिंह ने बताया कि कपाट खुलने की तिथि से 17 नवंबर 2023, शुक्रवार देर रात तक 18 लाख 36 हजार 519 तीर्थयात्री बदरीनाथ धाम पहुंचे है जोकि पिछले सभी यात्रा वषों में सबसे अधिक है। कपाट बंद होने की प्रक्रिया 14 नवंबर से शुरू हो गयी थी। इस दिन श्री गणेश जी के कपाट बंद हुए। 15 नवंबर को आदि केदारेश्वर तथा आदि गुरु शंकराचार्य मंदिर के कपाट बंद हुए।

16 नवंबर को खडग पुस्तक पूजन तथा 17 नवंबर को महालक्ष्मी जी की पूजा कढ़ाई भोग संपन्न हुआ। 18 नवंबर रोज की तरह प्रातः महाभिषेक के बाद बालभोग लगा। दिन में 11 बजे राजभोग लगा। उसके बाद मंदिर बंद नहीं हुआ। पौने एक बजे अपराह्न सायं कालीन पूजा शुरू हुई। पौने दो बजे रावल जी ने स्त्री रूप धारण कर लक्ष्मी जी को बद्रीनाथ मंदिर गर्भगृह में विराजमान किया।

इससे पहले श्री उद्धव जी एवं श्री कुबेर जी मंदिर प्रांगण में विराजमान हुए। सवा दो बजे सायं कालीन भोग तथा शयन आरती संपन्न हुई। ढाई बजे से साढ़े तीन बजे तक रावल द्वारा कपाट बंद की रस्म पूरी करते हुए भगवान बदरीविशाल को माणा महिला मंडल द्वारा हाथ से बुना गया ऊंन का घृत कंबल औढा़या। तीन बजकर तैतीस मिनट पर श्री बदरीनाथ मंदिर गर्भगृह तथा मुख्य सिंह द्वार के कपाट रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी द्वारा शीतकाल हेतु बंद कर दिए गए।

इसके साथ ही कुबेर जी रात्रि प्रवास हेतु बामणी गांव चले गए। इस दौरान बदरीनाथ धाम के धर्माधिकारी आचार्य राधा कृष्ण थपलियाल तथा वेद पाठी रविंद्र भट्ट द्वारा रावल के साथ पूजा-अर्चना संपन्न की गयी। कपाट बंद होने के अवसर पर मंदिर समिति उपाध्यक्ष किशोर पंवार, मंदिर समिति सदस्य वीरेंद्र असवाल, भास्कर डिमरी, सदस्य आशुतोष डिमरी, सुभाष डिमरी, पुलिस अधीक्षक रेखा यादव, मुख्य कार्याधिकारी योगेंद्र सिंह, उपजिलाधिकारी/डिप्टी सीईओ कुमकुम जोशी, प्रभारी अधिकारी अनिल ध्यानी, ईओ नगर पंचायत सुनील पुरोहित, मंदिर अधिकारी राजेंद्र चौहान, थाना प्रभारी लक्ष्मी प्रसाद बिजल्वाण, एई गिरीश देवली मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ आदि मौजूद रहे।

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