गणतंत्र दिवस परेड में शामिल सूचना विभाग की झांकी को पहला और संस्कृत विभाग की झांकी को मिला द्वितीय स्थान

गणतंत्र दिवस परेड में शामिल सूचना विभाग की झांकी को पहला और संस्कृत विभाग की झांकी को मिला द्वितीय स्थान

76वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर परेड ग्राउंड में आयोजित राज्य स्तरीय मुख्य कार्यक्रम में सूचना विभाग की झांकी को पहला और संस्कृत विभाग की झांकी को मिला द्वितीय स्थान मिला।

देहरादून में गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने वाली झांकियों में सूचना विभाग की झांकी को प्रथम स्थान मिला। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि.) और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने झांकी को प्रथम स्थान मिलने पर महानिदेशक सूचना बंशीधर तिवारी को पुरस्कार प्रदान किया। परेड ग्राउंड में आयोजित राज्य स्तरीय मुख्य कार्यक्रम में 38वें राष्ट्रीय खेल पर आधारित सूचना विभाग द्वारा झांकी तैयार की गई थी। इस झांकी में उत्तराखंड में होने वाले 38वें राष्ट्रीय खेल की विभिन्न प्रतिस्पर्धाओं और उत्तराखंड के पारंपरिक खेल मलखंब को प्रदर्शित किया गया।

गणतंत्र दिवस परेड में संस्कृत विभाग की झांकी को द्वितीय स्थान मिला। भले ही उसे द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ लेकिन उसने सबका दिल जीत लिया। इस झांकी में बालक-बालिकाओं के समूह ने ना केवल वेदों का पाठ प्रदर्शित किया अपितु भारतीय ज्ञान परम्परा के अंतर्गत पुरातन संस्कृत शास्त्रों में निहित विज्ञान, खगोल शास्त्र, गणित, योग इत्यादि के द्वारा भी सुंदर चित्रण किया गया। झांकी रथ के आगे जब छात्रों का समूह शंखनाद कर आगे बढ़ रहा था तो मानो ऐसा लग रहा था कि सनातन धर्म कण कण में समा गया हो। रोगनिरोग काया हेतु छात्रों द्वारा आसनों एवं व्यायामों का प्रदर्शन कौतुहल का विषय रहा।

झांकी में संस्कृत के जीवंत चित्रण के माध्यम से राज्य की द्वितीय राजभाषा एवं संस्कृत शिक्षा के प्रचार प्रसार को प्रमुखता से प्रस्तुत किया गया। राज्यपाल ले जनरल गुरमीत सिंह, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एवं मंत्री धन सिंह रावत की उपस्थिति में सचिव संस्कृत शिक्षा उत्तराखंड दीपक कुमार व उनकी टीम को इस उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए द्वितीय पुरुस्कार से सम्मानित किया। इस मौके पर उन्होंने उत्तराखंड में संस्कृत को बढ़ावा देने में विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना की।

सचिव दीपक कुमार ने बताया कि संस्कृत शिक्षा निदेशक आनंद भारद्वाज एवं संस्कृत अकादमी के सचिव वाजाश्रावा आर्या के नेतृत्व में देहरादून एवं ऋषिकेश के विभिन्न संस्कृत विद्यालयों यथा आर्षकन्या गुरुकुल, शिवनाथ झा, गुरु रामराय, पौधा इत्यादि संस्कृत विद्यालयों एवं महाविद्यालयों के छात्र-छात्राओं एवं आचार्यों के सहयोग से ही ये कार्य संपन्न हो पाया है।

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