केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पीएम युवा मेंटरशिप प्रोग्राम 2.0 के तहत 41 पुस्तकों का लोकार्पण किया। शिक्षा मंत्रालय के इस पहल का उद्देश्य मेंटरशिप के माध्यम से युवा साहित्यिक प्रतिभाओं को विकसित करना है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कार्यक्रम में शामिल युवा लेखकों को बधाई दी और मेले को “ज्ञान कुंभ” बताया। उन्होंने बौद्धिक विमर्श को आकार देने में युवा लेखकों के महत्व पर जोर दिया और इस वर्ष के विषय “लोकतंत्र” पर प्रकाश डाला। मंत्री ने ओडिशा के 1857 के संग्राम की कहानी “कुडोपाली की गाथा” के हिंदी संस्करण के प्रकाशन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा यह भारत के स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण लेकिन कम चर्चित अध्याय रहा है, इसका प्रकाशन इतिहास के भूले हुए नायकों को सम्मान देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
उन्होंने नेशनल बुक ट्रस्ट (एनबीटी) से नए लेखकों को मार्गदर्शन देने के लिए युवा 3.0 मेंटरशिप योजना शुरू करने का आह्वान किया। मंत्री ने युवा पाठकों के साथ एक घंटे से अधिक समय तक बातचीत की और उनकी रुचियों और प्राथमिकताओं को जाना। उन्होंने राष्ट्रीय ई-पुस्तकालय के ग्रेडेड रीडिंग मैस्कॉट चीता से भी मुलाकात की और एप्लीकेशन के नए संस्करण के बारे में जानकारी ली। राष्ट्रीय ई-पुस्तकालय स्कूली शिक्षा विभाग, शिक्षा मंत्रालय की महत्वकांशी योजना है जिसके अंतर्गत बाल एवं किशोर पाठकों हेतु आयु वर्ग उपयुक्त गैर अकादमिक डिजिटल पुस्तकें मोबाइल और वेब बेस्ड एप्लीकेशन के माध्यम से मुफ्त उपलब्ध कराई जाती हैं।
भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा पीएम युवा मेंटरशिप कार्यक्रम के अंतर्गत संविधान की आठवीं अनुसूची में सूचीबद्ध किसी भी भाषा के साथ-साथ अंग्रेजी में पुस्तकें प्रकाशित की जाती हैं। हजारों प्रस्तुतियों में से, 41 होनहार आवेदकों को युवा 2.0 मेंटरशिप योजना के लिए चुना गया। पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में त्रिपुरा के राज्यपाल इंद्रसेन रेड्डी नल्लू, विनीत जोशी (आईएएस) (सचिव, उच्च शिक्षा), प्रो. मिलिंद सुधाकर मराठे (अध्यक्ष, एनबीटी), प्रो. एम. जगदीश कुमार (अध्यक्ष, यूजीसी), संजय कुमार (आईएएस) (सचिव, स्कूल शिक्षा) और युवराज मलिक (निदेशक, एनबीटी) का भी स्वागत किया गया। पुस्तक मेले में लेखिका लिट्टी चाको की मलयालम पुस्तक, “संगमग्राम माधवंते रंडू कृतिकाल” और एक अन्य पुस्तक “द सागा ऑफ कुडोपाली” का हिंदी संस्करण भी जारी किया गया।
एक लाख वर्ग मीटर में फैला, नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला 2025 दुनिया के सबसे बड़े पुस्तक मेलों में से एक है, और इसके आकार और पैमाने को समझने के लिए वास्तव में इसे व्यक्तिगत रूप से देखने की आवश्यकता है। दुनिया भर के प्रकाशकों के 2,000 प्रदर्शक स्टैंड और कई B2B और B2C सत्रों के साथ, यह मेला पुस्तकों और अनुवादों के माध्यम से विचारों के आदान-प्रदान, भारतीय संस्कृति, दर्शन और मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत मंच प्रदान करता है। 50 से अधिक देशों की भागीदारी ने साहित्य और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के माध्यम से भारत की सॉफ्ट डिप्लोमेसी को बढ़ाने में मदद की है। रूस से आई की कहानियां के माध्यम से रूसी पुस्तकों का प्रदर्शन मेले के अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शन मंच में आकर्षण का केंद्र बना हुआ है, साथ ही फ्रेंच, स्पेनिश और अरबी प्रकाशकों की उपस्थिति, न्यूजीलैंड, कोलंबिया, नाइजीरिया, तुर्की और अन्य देशों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी, विश्व साहित्य के लिए भारतीय पाठकों की बढ़ती रुचि को उजागर करते हैं।
मेले में ब्रिटिश व्यवसायी और लेखक साइमन मरे, कतर के लेखक, शेख फैसल बिन कासिम अल थानी, भारत में लिथुआनिया की राजदूत डायना मिकेविसिएने, भारत में अर्जेंटीना के राजदूत महामहिम डैनियल चुबुरू आदि प्रतिष्ठित लेखक और वक्ता भी शामिल हुए। हॉल 5 में पुस्तक मेले के थीम मंडप में “गणतंत्र के रूप में भारत के 75 वर्ष पूरे होने का जश्न” के जरिये, संविधान में कई अज्ञात तथ्यों और योगदानकर्ताओं पर प्रकाश डाला गया, जो वास्तव में थीम “हम, भारत के लोग” के सार को दर्शाता है। “फेस्टिवल ऑफ़ बुक फेस्टिवल्स “जैसी पहल, जो देश के विभिन्न हिस्सों से पुस्तक महोत्सवों के लिए एक मंच प्रदान करती है, राष्ट्र की साहित्यिक विविधता का प्रतिनिधित्व करती है। इस पहल के अंतर्गत इस वर्ष दस साहित्यिक महोत्सवों की भागीदारी देखी गई है, विभिन्न भाषाओं के 1,000 से अधिक साहित्यिक दिग्गज विभिन्न सत्रों में भाग ले रहे हैं, जिससे यह पुस्तक मेला वास्तव में ज्ञान और साहित्य का भव्य “महाकुंभ” बन गया है।
भारत की राष्ट्रपति डॉ. द्रौपदी मुर्मू द्वारा उद्घाटन किए गए विश्व पुस्तक मेले में त्रिपुरा के राज्यपाल श्री इंद्रसेन रेड्डी नल्लू, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के लेफ्टिनेंट गवर्नर एडमिरल देवेंद्र कुमार जोशी, संस्कृति मंत्री और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस, सांसद और लेखक डॉ शशि थरूर, जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल, मनोज सिन्हा, राज्य सभा सांसद गोविंद लालजीभाई ढोलकिया – राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ किशनराव बागड़े, तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि, भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला, भारतीय चिकित्सक और हेपेटोलॉजिस्ट शिव कुमार सरीन, अभिनेता, निर्देशक और पटकथा लेखक डॉ चंद्रप्रकाश द्विवेदी, यशपाल शर्मा, फिल्म निर्देशक – प्रकाश झा, न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह, वेंकटरमणी, आचार्य बालकिशन, आचार्य प्रशांत जैसे कई गणमान्य अतिथि अपनी उपस्थिति दर्ज़ करा चुके हैं। पुस्तक मेले में आगंतुकों को 8-9 फरवरी को मुफ्त प्रवेश की अनुमति दी गई है और पुस्तक मेले में भारी भीड़ देखी जा रही है। आयोजकों के अनुसार पुस्तक मेले में 20 लाख से अधिक पाठकों के भाग लेने की सम्भावना है।
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