जैसे इंसानों की सेहत को लेकर हमें जानकारी मिलती है, उसी प्रकार किस मिट्टी में कौन सी फसल अच्छी होगी। क्या है खासियत। इसकी जानकारी के लिए उत्तराखंड में मिट्टी संग्रहालय है। यह तो आपको पता ही होगा कि प्रदेश में 8 तरह की मिट्टी पाई जाती है। पढ़िए पूरी स्टोरी….
उत्तराखंड एक कृषि प्रधान राज्य है, यहां की एक बड़ी जनसंख्या आज भी कृषि कार्यों से जीवन-यापन करती है। यहां की जलवायु के अनुरूप सभी प्रकार की खेती हो जाती है। अनाज, सब्ज़ी और फलों की खेती मुख्य है। राज्य में आठ प्रकार की मिट्टी पाई जाती है। मिट्टी का पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण योगदान है लेकिन पिछले कुछ सालों से मिट्टी की उर्वरता में लगातार गिरावट आ रही है जिसे लेकर कई शोध कार्य भी जारी हैं।
इसी विषय को ध्यान में रखते हुए वन अनुसंधान केंद्र हल्द्वानी में मिट्टी संग्रहालय बनाया गया है। यह राज्य का पहला मिट्टी संग्रहालय है जिसमें मिट्टी पर शोध कर इसकी खासियत को उजागर किया गया है। अब राज्य के अलग-अलग हिस्सों में की जाने वाली खेती और बागवानी करने वाले लोगों इस शोध के जरिए सही आकलन और जानकारी पा सकते हैं।
राज्य के हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र में इन मिट्टियों पर शोध किया गया। मिट्टी की उर्वरता, मिट्टी में मिलने वाले जीवाणु, रासायनिक व भौतिक गुण, अम्लीयता, घनत्व, पोषक तत्वों का प्रतिशत आदि पर शोध करने के बाद अनुसंधान केंद्र में ही मिट्टी संग्रहालय बनाया गया। इसमें मिट्टियों के सभी गुणों की जानकारी दी गई है। इसमें एक अलग मॉडल तैयार कर मिट्टी की अलग-अलग परतों को दर्शाया गया है।
मिट्टी पर किये गए शोधों से स्पष्ट है कि राज्य में लगातार कट रहे पेड़, प्रदूषण और खेती में रसायनों के प्रयोग से मिट्टी की उर्वरता में गिरावट आ रही है। ऐसे में जागरूकता लाने के लिए उत्तराखंड राज्य के अलग-अलग हिस्सों से आठ प्रकार की मिट्टी मंगाकर इस पर शोध कर मिट्टी संग्रहालय बनाया गया है।
इसमें मिट्टी की खासियत को उसके प्रयोग के साथ बताया गया है ताकि लोगों को मिट्टी के महत्व के बारे में जानकारी लेने में आसानी हो सके। साथ ही इस शोध में मिट्टी की नमी को बनाये रखने के लिए उपयोगी भूमिगत जल के संरक्षण और इसे बनाये रखने के सम्बन्ध में भी जानकारी दी गई है।
(इनपुट- रजनी मेहता)
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