कोरोना काल उत्तराखंड को लेकर एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। सरकारी रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रदेश में लड़के और लड़कियों के जन्म में गैप कितना बढ़ता जा रहा है। जी हां, लिंगानुपात राष्ट्रीय औसत से भी कम है।
जन्म के समय लिंगानुपात के मामले में पहाड़ी प्रदेश उत्तराखंड सबसे फिसड्डी राज्यों में से एक है। नीति आयोग द्वारा हाल में जारी किए गए सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) रिपोर्ट के मुताबिक राज्य का लिंगानुपात 840 रहा है जबकि राष्ट्रीय औसत 899 है। सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले राज्यों में छत्तीसगढ़ है जहां जन्म पर लड़के-लड़कियों का अनुपात 958 है, जो राष्ट्रीय औसत से काफी ज्यादा है।
नीति आयोग की रिपोर्ट में बताया गया है कि केरल में लिंगानुपात 957 और वह देश में दूसरे स्थान पर है। पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में, जहां लिंगानुपात कम रहा है, उनकी पोजीशन सुधरी है। हरियाणा में 1000 लड़कों के अनुपात में 843 लड़कियों का जन्म दर्ज किया जबकि पंजाब में यह आंकड़ा 890 पहुंच गया।
कुल मिलाकर नीति आयोग सूचकांक में केरल 75 अंकों के साथ टॉप प्रदर्शन करने वाला राज्य रहा जबकि बिहार 52 अंकों के साथ सबसे नीचे रहा। देश का कुल एसडीजी सूचकांक 2019 के 60 से 6 अंक सुधरकर 2020-21 में 66 पहुंच गया है।
उधर, नीति आयोग के सतत विकास लक्ष्य भारत सूचकांक 2020-21 में राज्य सरकारों के प्रदर्शन की रैंकिंग जारी की गई है।
हिमाचल है काफी आगे
सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले टॉप 5 स्थानों में पहला स्थान केरल को मिला है जो 75 अंक हासिल करने में कामयाब रहा है। उत्तराखंड का पड़ोसी प्रदेश हिमाचल और तमिलनाडु संयुक्त रूप से 74 अंकों के साथ दूसरे स्थान पर हैं।
राहत की बात यह है कि सबसे ज्यादा सुधार करने वाले राज्यों में हरियाणा, मिजोरम के साथ उत्तराखंड भी है। इस इंडेक्स को सतत विकास लक्ष्य के 16 लक्ष्यों को पैमाना बनाकर तैयारी किया जाता है।
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