पथरीले शहरों में प्रदूषण और तमाम परेशानियों से जूझती जिंदगी हर समय दो पल का सुकून पाने की ख्वाहिश रखती है। ऐसे में लोग गांव की ओर रुख करते हैं। इन दिनों उत्तराखंड में विलेज टूरिज्म तेजी से उभर रहा है। लोग दाल-चावल, खेती, गांव का रहन-सहन देखने और समय बितान के लिए चमोली आ रहे हैं।
विलेज टूरिज्म के नए कॉन्सेप्ट के साथ जनपद चमोली के दशोली ब्लॉक के सुदूर गांव ईरानी में नई पहल हुई है। यहां अपने संसाधनों से ही सुंदर होम स्टे तैयार कर पर्यटकों को रुकने की व्यवस्था की गई है। जैविक अनाजों और जैविक सब्जियों के लाजवाब स्वाद के साथ गांव की शुद्ध ताजी हवा और यहां की खूबसूरती पर्यटकों को आकर्षित कर रही है।
यह जगह सड़क मार्ग से 5 किलोमीटर पैदल की दूरी पर खूबसूरत नंदा घुंघुटी के तल पर स्थित है। 4 दिन पहले ग्राम पंचायत ईरानी में होम स्टे का लुत्फ उठाने अंडमान निकोबार से अमर और हैदराबाद से विशु पहुंचे।
उन्होंने यहां 4 दिनों तक ईरानी गांव में रहकर गांव की जीवनशैली को जाना समझा। गांव की संस्कृति, गांव का खानपान और रीति रिवाज उन्हें खूब पसंद आया।
दूर शहर की आबोहवा से निकलकर आए इन लोगों ने गांव की परंपरा और खेती-बाड़ी की जानकारी ली।
विलेज टूरिज्म के तहत इन लोगों ने गांव के लोगों के साथ मिलकर खेती बाड़ी भी समझी। हल चलाना, चौलाई की बुवाई, पाटा चलाना एवं बीज बोने जैसा काम भी किया।
साथ ही उन लोगों को स्थानीय जैविक उत्पादों से बने व्यंजनों जिसमें कोदे की रोटी, चौलाई की रोटी, कंडाली का साग, चंद्रा की सब्जी, लेंगुड़ा की सब्जी, घर के बने चावल, छांछ, मक्खन, घर के बने पापड़ जैसे लजीज खाना दिया गया जो उन्हें बहुत पसंद आया।
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