हाल में उत्तराखंड में सल्ट उपचुनाव हुआ था, उस समय माना जा रहा था कि सीएम तीरथ चुनाव लड़ सकते हैं। अब यह सवाल पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि उस समय वह कोरोना से पीड़ित थे और उन्हें समय नहीं मिला। उत्तराखंड के ताजा सियासी घटनाक्रम पर पढ़िए यह रिपोर्ट
उत्तराखंड के अलग राज्य बनने के बाद से ही मुख्यमंत्री लगातार बदलते रहे हैं। 4 महीने पहले अचानक भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री पद से हटाकर सांसद तीरथ सिंह रावत को कमान सौंप दी। यह जानते हुए कि वह विधानसभा सदस्य नहीं है और ऐसी स्थिति में उन्हें 6 महीने के भीतर सदस्यता पाने के लिए चुनाव लड़ना होगा। कोरोना काल में आखिर उत्तराखंड की सियासत में यह कैसा संक्रमण काल चल रहा है, आइए समझते हैं।
10 मार्च को सीएम बनाए गए तीरथ
पौड़ी से सांसद तीरथ 10 मार्च को मुख्यमंत्री बने। उन्हें 10 सितंबर तक विधानसभा का सदस्य बनना था। इस समय राज्य में विधानसभा की दो सीटें हैं जहां उपचुनाव होने हैं- गंगोत्री और हल्द्वानी। शुरुआत से ही कहा जा रहा था कि तीरथ सिंह रावत गंगोत्री सीट से उपचुनाव लड़ सकते हैं। आम आदमी पार्टी ने रिटायर्ड कर्नल अजय कोठियाल जैसे दिग्गज कैंडिडेट को उतारकर सियासी लड़ाई को रोचक बना दिया था लेकिन अब ऐसा कहा जाने लगा कि फरवरी-मार्च में विधानसभा चुनाव को देखते हुए शायद ही निर्वाचन आयोग उपचुनाव कराए।
अब क्या होगा
तीरथ ने जिस संवैधानिक संकट का हवाला देते हुए इस्तीफा दिया उससे साफ है कि अब विधासभा सीटों पर उपचुनाव नहीं होगा। ऐसे में अगला मुख्यमंत्री वह बनेगा, जो विधायक हो। आज विधायक दल की बैठक बुलाई गई है। शाम तक नए नेता पर फैसला हो सकता है।
इस लिहाज से देखें तो सीएम रावत 111 दिन ही सीएम रह पाए। उन्होंने शनिवार रात 11 बजे के करीब राजभवन जाकर गवर्नर को अपना इस्तीफा सौंप दिया। हालांकि शाम से ही अटकलें लगने लगी थीं कि दिल्ली में उनकी ताबड़तोड़ मुलाकातों से जाहिर है कि वह कुर्सी छोड़ने वाले हैं।
अचानक उन्होंने 10 बजे के करीब प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की पर इस्तीफे पर कुछ नहीं कहा। वह अपनी सरकार के फैसलों की जानकारी देते रहे।
कुल मिलाकर मुख्यमंत्री के विधानसभा पहुंचने में सबसे बड़ा संवैधानिक संकट यह है कि विधानसभा चुनावों में एक साल से कम समय बचा हो तो उपचुनाव नहीं कराए जाते हैं। अब सवाल यह उठ रहे हैं क्या बीजेपी को यह पहले नहीं पता था?
अब नए मुख्यमंत्री को लेकर धन सिंह रावत समेत कई नेताओं के नाम पर अटकलें लगाई जाने लगी हैं। एक संभावना यह भी है कि पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को वापस मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है।
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