रिद्धिमा पांडे, छोटी उम्र में पर्यावरण संरक्षण की बड़ी पैरोकार

रिद्धिमा पांडे, छोटी उम्र में पर्यावरण संरक्षण की बड़ी पैरोकार

हरिद्वार में गंगा किनारे रहने वाली रिद्धिमा पानी के साथ बहते कचरे को देखकर परेशान हुईं। केदारनाथ आपदा को जान कर नन्ही रिद्धिमा के मन में पर्यावरण को लेकर बहुत से सवाल उमड़ने लगे और वह उनके जवाबों की पड़ताल करने लगीं। रिद्धिमा के पिता दिनेश पांडे ने उन्हें राह दिखाई।

हरिद्वार की रिद्धिमा पांडे स्कूल जाने की उम्र में अपनी और दुनियाभर की सरकारों को पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रही हैं। अच्छी बात यह है कि इस नन्ही पर्यावरण कार्यकर्ता की बात गौर से सुनी भी जा रही है। पिछले वर्ष संयुक्त राष्ट्र क्लाइमेट एक्शन समिट के दौरान दुनियाभर से बुलाए गए 16 बच्चों में से रिद्धिमा भी एक थी। यहीं पर ग्रेटा थनबर्ग का भाषण बहुत लोकप्रिय हुआ। रिद्धिमा पांडे ने भी बढ़ते कार्बन उत्सर्जन, कटते पेड़ों को लेकर अपनी आवाज़ उठाई।

हरिद्वार में गंगा किनारे रहने वाली रिद्धिमा ने बहते पानी के साथ बहते कचरे को देखकर परेशान हुईं। केदारनाथ आपदा को जान कर नन्ही रिद्धिमा के मन में पर्यावरण को लेकर बहुत से सवाल उमड़ने लगे और वह उनके जवाबों की पड़ताल करने लगीं। रिद्धिमा के पिता दिनेश पांडे ने उन्हें राह दिखाई। 2013 की आपदा के बाद रिद्धिमा ने प्रधानमंत्री कार्यालय में पत्र लिखा। बाढ़ का पानी उनके घर तक आ गया था। हर तरफ पानी ही पानी देख रिद्धिमा विचलित हो गई थी। स्कूल की किताबों के साथ वह पर्यावरण से जुड़ी बातों को जानने के लिए भी पन्ने पलटने लगीं। रिद्धिमा कहती हैं कि हमारे आसपास बड़े लोग पर्यावरण से जुड़े मुद्दों की उपेक्षा कर रहे हैं। हमारे और अन्य देश के नेता भी ऐसा ही कर रहे हैं। धरती तेज़ी से गर्म हो रही है वह चिंतित हैं कि जब ये पीढ़ी जवान होगी तो उनके पास कैसा क्लाइमेट होगा। हम बच्चों ने तो धरती की उपेक्षा नहीं की। हम अपने बड़ों की गलती का ख़ामियाजा भुगतेंगे। इसलिए वह दुनियाभर के बच्चों की खातिर पर्यावरण के मुद्दे पर अपनी बात रख रही हैं।

रिद्धिमा कहती हैं कि कोई ये नहीं सोचता कि पर्यावरण संरक्षण हमारी ज़िम्मेदारी है। सब सोचते हैं कि ये किसी और की ज़िम्मेदारी है। सब सोचते हैं कि हम क्यों पर्यावरण के लिए विरोध करें। तो जब बड़े लोग बच्चों के भविष्य की परवाह नहीं कर रहे हैं, इसलिए आज बच्चों को स्कूल जाने की जगह पर्यावरण जैसे मुद्दे पर क्लाइमेट स्ट्राइक करनी पड़ रही है।

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