लॉकडाउन और उसके बाद के हालात के मद्देनजर हिल मेल द्वारा शुरू की गई ‘ई-रैबार’ पहल के लाइव सत्र में 29 अप्रैल को हमारे मेहमान थे ओएनजीसी के निदेशक (एचआर) देश दीपक मिश्रा। उन्होंने उत्तराखंड से पलायन और लोगों को वापस गांवों में बसाने को लेकर महत्वपूर्ण विचार रखे।
ई-रैबार को जबरदस्त रिस्पांस मिल रहा है। लोग एक घंटे की लाइव चर्चा को फेसबुक, यूट्यूब, ट्विटर और वेबसाइट पर न सिर्फ देख रहे हैं बल्कि अपने लाइव सवाल भी रख रहे हैं। इस क्रम में 29 अप्रैल को प्रसारित लाइव शो में चर्चा के दौरान ओएनजीसी के पूर्व निदेशक (एचआर) देश दीपक मिश्रा ने अपनी बातें साझा कीं। उन्होंने कहा कि पिछले 10 साल में उत्तराखंड से करीब 4 लाख लोगों ने बाहर पलायन किया है। इनमें से ज्यादातर लोग नोएडा, दिल्ली, गुरुग्राम जैसे शहरों में गए हैं।
उन्होंने कहा कि अभी प्रदेश सरकार के पास इनका कोई डाटा नहीं है कि वे कहां हैं और इस समय क्या कर रहे हैं। अगर इस जानकारी को हासिल कर सकें तो ये महत्वपूर्ण होगा क्योंकि ये लोग 500 से ज्यादा गांवों से गए हैं। अगर हम इनके बारे में जानकारी हासिल कर सकें कि इनकी पढ़ाई क्या है, इनका सैलरी ब्रैकेट क्या है, किस फील्ड में काम कर रहे हैं और फिर उसके आधार पर सरकार स्कीम बनाए और उन्हें जोड़ने की कोशिश करे।
डीडी मिश्रा ने कहा कि हमारी सबसे बड़ी चिंता यह होनी चाहिए कि 4 लाख पलायन किए लोगों में से 70 प्रतिशत लोगों के प्रोफाइल को हम तैयार करें और फिर स्कीम बनाकर निश्चित रूप से उन्हें वापस ला सकते हैं। समझने वाली बात यह है कि इसमें 50 फीसदी लोग रोजगार, 15 फीसदी लोग शिक्षा और बाकी लोग मेडिकल सुविधाओं के लिए बाहर गए हैं। इसमें रोजगार सबसे बड़ा मुद्दा उभरकर सामने आता है।
उन्होंने कहा कि आप कृषि सेक्टर के लिए ही उन लोगों को वापस ला सकते हैं वरना गांव तो खाली हो जाएंगे। अगर 2 से ढाई लाख पलायन किए लोगों को वापस गांवों में लाया जाए तो ये बड़ी बात हो सकती है और इससे ग्रामीण सेक्टर में संभावनाएं और विकास तेजी से बढ़ेगा।
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