शराब की दुकानों पर लग रही लंबी कतारों को देखते हुए उत्तराखंड सरकार भी कीमतों में 60 प्रतिशत तक का इजाफा करने पर विचार कर रही है। इससे राज्य सरकार को अपना राजस्व बढ़ाने में मदद मिलेगी।
लॉकडाउन 3.0 की शुरुआत जरूरी वस्तुओं की बिक्री की छूट के साथ हुए। लेकिन सबसे ज्यादा हैरान करने वाली तस्वीरें शराब की दुकानों के बाहर से आईं। 40 दिन से ज्यादा समय से शराब की बिक्री पर लगी रोक हटने के बाद लोग दुकानों पर टूच पड़े। शराब की दुकानों के बाहर सोशल डिस्टेंसिंग की अनिवार्यता के नियम की धज्जियां उड़ाई गईं, उसने हर राज्य सरकार को फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया है। ऐसे में लोगों की भीड़ को नियंत्रित करने और ज्यादा राजस्व जुटाने के लिए उत्तराखंड सरकार शराब के दाम में 60% अतिरिक्त कर लगाने पर विचार कर रही है।
सूत्रों के अनुसार, शासन स्तर पर इस पर विचार हो रहा है और अगर शराब की दुकानों पर भीड़ इसी तरह जारी रही तो इससंबंध में आदेश जारी कर दिए जाएंगे। उत्तराखंड में शराब के दाम में 50 से 60 प्रतिशत तक बढ़ सकते हैं। दिल्ली सरकार पहले ही लॉकडाउन के दौरान शराब पर 70 प्रतिशत कोरोना टैक्स बढ़ाने का फैसला कर चुकी है।
हिल-मेल ने आबकारी विभाग में अपर आयुक्त पीएस गर्ब्याल से कीमतों में इजाफे के बारे में जानकारी न होने की बात कही। उन्होंने कहा कि शासन के स्तर से अभी तक इस संबंध में कोई आदेश नहीं आया है। अगर यह आता है तो विभाग इस संबंध में कदम उठाएगा।
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दरअसल, उत्तराखंड सरकार ऐसा कर एक तीर से दो निशाने साधने की कोशिश में है। एक तरफ शराब की कीमतें बढ़ाने से सरकार का खजाना बढ़ेगा तो वहीं दुकानों के बाहर जमा होने वाली भीड़ भी कम होगी।
उत्तराखंड के कई शहरों में शराब की दुकानों के बाहर सोशल डिस्टेंसिंग तार-तार होने से प्रदेश के कई अधिकारियों और नेताओं ने चिंता जताई है। सोशल मीडिया पर कुछ लोग तो सवाल भी उठाने लगे कि ठेके खुलवाने की जरूरत ही क्या थी। अगर कोरोना का संक्रमण फैलने लगेगा तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?
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आपको बता दें कि प्रदेश में शराब की 628 दुकानें स्वीकृत हैं। इस वित्तीय वर्ष में सरकार ने 3600 करोड़ रुपये के आबकारी राजस्व का लक्ष्य निर्धारित किया है। 451 दुकानों की नीलामी हो चुकी है, शेष दुकानों की नीलामी भी जल्द किए जाने की योजना है।
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