ई-रैबार : क्या पहाड़ में पहाड़ी अफसरों को मिले वरीयता? दो लोकप्रिय DM के जोरदार जवाब जानिए…

ई-रैबार : क्या पहाड़ में पहाड़ी अफसरों को मिले वरीयता? दो लोकप्रिय DM के जोरदार जवाब जानिए…

ई-रैबार के मंच पर आपको हर रोज पहाड़ की किसी जानीमानी शख्सियत से रूबरू होने का मौका मिल रहा है। 8 मई को लाइव शो में रुद्रप्रयाग और पौड़ी के जिलाधिकारी कार्यक्रम में शामिल हुए। सवाल यह भी आया कि क्या पहाड़ के अधिकारी पहाड़ को ज्यादा अच्छे तरीके से समझते हैं?

हिल मेल की पहल ‘ई-रैबार’ में रुद्रप्रयाग और पौड़ी के जिलाधिकारियों से भी लाइव चर्चा हुई। 8 मई 2020 को प्रसारित हुए लाइव शो में आरजे काव्य समेत कई लोगों ने हिल-मेल के अलग-अलग प्लेटफॉर्म से उत्तराखंड प्रशासन, कोरोना को लेकर तैयारियों और प्रवासी कामगारों की नौकरियों से संबंधित सवाल पूछे जिसका दोनों जिलाधिकारियों ने बखूबी जवाब दिया। इसी दौरान कई दर्शकों ने सवाल पूछा कि क्या पहाड़ के जिलों में पहाड़ से ताल्लुक रखने वाले लोगों की ही जिलाधिकारी जैसे अहम पदों पर तैनाती नहीं होनी चाहिए? दर्शकों का मत था कि ऐसा इसलिए होना चाहिए क्योंकि पहाड़ की समस्याओं को वे बेहतर तरीके से समझते हैं।

क्या यहां के जो अफसर बंगाल में हैं, वो सफल नहीं हैं… मंगेश घिल्डियाल

इस पर रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने कहा कि पहाड़ के लोग तो माइग्रेट करके देहरादून, हरिद्वार जा रहे हैं। अधिकारियों के हिसाब से बात करें तो ऐसा नहीं है कि बाहर का व्यक्ति यहां की समस्याओं को नहीं समझ पाएगा। यह अखिल भारतीय सेवा है और उत्तराखंड के कई लोग पश्चिम बंगाल और केरल में काम कर रहे हैं और हम यह नहीं कह सकते कि वे वहां सफल नहीं हैं। उन्होंने कहा कि हमारी सर्विस में सिखाया यही जाता है कि आपकी तैनाती जहां भी हो, आप वहां की परिस्थितियों, समाज, कल्चर को देखते हुए उसके लिए काम करें। यह कहना ठीक नहीं है कि बाहर के लोग अच्छा काम नहीं कर पाएंगे।

पढ़ें- रुद्रप्रयाग और पौड़ी के जिलाधिकारियों ने बताई कामगारों के हित की बात

पौड़ी के डीएम धीरज गर्ब्याल ने कही दिल को छू लेने वाली बात…

पौड़ी के जिलाधिकारी धीरज सिंह गर्ब्याल ने दिल को छू लेने वाली बात कही। उन्होंने कहा कि बहुत सारे अधिकारी ऐसे हैं जो यहीं पर सेटल्ड हो गए। यानी कहीं न कहीं उत्तराखंड उनके दिल में बसा है। अगर यही भावना होती तो रिटायरमेंट के बाद वे अपने घरों की ओर लौट जाते। ऐसी भावनाएं होनी भी नहीं चाहिए क्योंकि अफसर अपना घरबार छोड़कर आ रहा है। परिवार, रिश्तेदार सब छोड़कर वह 30-35 साल हमारे राज्य के लिए दे रहा है तो ऐसी भावनाएं नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि लोग सोचते हैं कि पहाड़ के बारे में हम ही अच्छा सोच सकते हैं लेकिन हो सकता है कि हमसे भी अच्छी सोच उनकी हो।

पूरी चर्चा के लिए नीचे दिए वीडियो पर क्लिक करें…

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