उत्तराखंड में कोरोना की चाल अब डराने लगी है। घर में रहने में ही समझदारी है। हालांकि लॉकडाउन से छूट मिलने के बाद लोगों का घर से निकालना बढ़ गया है। सरकार का कहना है कि अभी कम्युनिटी ट्रांसमिशन नहीं हुआ है, प्रवासियों के लौटने से प्रदेश में कोरोना के केस बढ़े हैं।
कोरोना का बढ़ता आंकड़ा पूरे देश को टेंशन दे रहा है। पहाड़ों में भी यह तेजी से पांव पसारने लगा है। लॉकडाउन से मिली छूट से सड़कों और बाजारों में चहल-पहल बढ़ी है। इस बीच उत्तराखंड (corona in uttarakhand) में शुक्रवार को कोरोना के 13 नए मामले सामने आए। उधर, एम्स में भर्ती दो कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत भी हो गई, जिससे कुल मौतों की संख्या 16 पहुंच गई। इसके साथ ही चौंकाने वाली खबर देहरादून जिले से आई, जहां बालावाला स्थित क्वारंटीन सेंटर में मध्यप्रदेश से लौटे एक युवक ने फांसी लगा ली।
प्रदेश में इस समय कोरोना संक्रमण के 1658 मामले हो चुके हैं। सबसे ज्यादा केस देहरादून और नैनीताल में सामने आए हैं। एक अच्छी बात यह है कि इनमें से 888 लोग स्वस्थ भी हो चुके हैं। शुक्रवार को जिन कोरोना संक्रमितों की मौत हुई है, उनमें से एक महिला गाजियाबाद की रहने वाली थी, जो पैनक्रियाज का इलाज कराने सोमवार को एम्स आई थी।
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अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश प्रशासन के मुताबिक गोविंदपुरम गाजियाबाद (उत्तरप्रदेश) से आई 25 वर्षीय युवती का सैंपल लिया गया था। गुरुवार को इसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई, जिसके बाद उसे कोविड वॉर्ड में शिफ्ट कर दिया गया, जहां उनकी मौत हो गई। उनके पति को सीमा डेंटल कॉलेज में क्वारंटीन किया गया है।
56 साल के कोरोना संक्रमित एक और मरीज की भी मौत हो गई। 5 जून को इनकी बेटी की रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई थी। एम्स प्रशासन के मुताबिक मुंबई में ड्राइवर का काम करने वाले यह शख्स मूल रूप से लखवाड़ घनसाली टिहरी गढ़वाल के निवासी हैं। 25 मई को वह अपनी पत्नी, बेटी और मां के साथ मुंबई से लौटे थे।
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इन सभी को मुनिकीरेती के तपोवन स्थित एक होटल में क्वारंटीन किया गया था। 28 मई को इन्हें सांस लेने में तकलीफ हुई और कफ की शिकायत हुई थी। एक जून को उन्हें एम्स की ओपीडी में लाया गया। इनका सैंपल लिया गया, जिसके बाद एम्स में भर्ती करते हुए वेंटिलेटर के सपोर्ट में रखा गया। इनकी कोविड रिपोर्ट में कुछ भी साफ नहीं हुआ। चार जून को इनका फिर सैंपल जांच के लिए भेजा गया। छह जून को इनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई, जिसके बाद इन्हें आइसीयू में भर्ती कर दिया गया।
एम्स के जनसंपर्क अधिकारी हरिश मोहन थपलियाल ने बताया कि इन्हें फेफड़ों के साथ हार्ट की भी समस्या हुई। इनकी हालत निरंतर बिगड़ती गई। गुरुवार की रात उन्होंने दम तोड़ दिया। आपको बता दें कि कोरोना की अब तक कोई दवा या वैक्सीन नहीं बनी है। देखा यह जा रहा है कि जिन लोगों को पहले से गंभीर बीमारी होती है, उन्हें यह ज्यादा प्रभावित करता है।
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