पर्वतीय क्षेत्रों में उपलब्ध संसाधनों का सदुपयोग करके गांव में ही प्रोसेसिंग करवाना और इन उत्पादों की ब्रांडिंग करके उचित बाजार उपलब्ध करवाने की संकल्पना का नाम ग्रोथ सेंटर है। स्थानीय स्तर पर व्यापक रोजगार उपलब्ध करान इसका मुख्य उद्देश्य है। यानी क्षेत्र में जिस उत्पाद की उपलब्धता है, उसे कुटीर उद्योग के तौर पर विकसित करके उत्पादन शुरू किया जाता है।
कोरोना संकट के बाद उत्तराखंड में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मंगलवार को टिहरी के जौनपुर क्षेत्र में ख्यार्सी गांव में कृषि व्यवसाय पर आधारित ग्राम निधि ग्रोथ सेंटर के भवन का लोकार्पण किया। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि हमारी सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए प्रयासरत है। मुझे खुशी है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए स्थानीय संसाधनों पर आधारित कुटीर उद्योगों के लिए ग्रोथ सेंटर की जो परिकल्पना की थी, वो धरातल पर उतर रही हैं। वर्तमान में विभिन्न क्षेत्रों में करीब 100 ग्रोथ सेंटर पर काम चल रहा है।
प्रदेश में पहले से 83 ग्रोथ सेंटर पहले से स्थापित हैं। हाल ही में राज्य के विभिन्न स्थानों पर 11 नए ग्रोथ सेंटर को मंजूरी दी गई है। इनमें पिथौरागढ़ के मुन्स्यारी में पक्षी पर्यटन, चमोली के गैरसैंण में मसाला व देवाल में शहद, नैनीताल के कोटाबाग में शहद और ऑर्गेनिक उत्पाद, रामगढ़ में खाद्य प्रसंस्करण, अल्मोड़ा में नेचुरल फाइबर, ऊधमसिंहनगर के गदरपुर में मसाला, जसपुर में दुग्ध व उच्च गुणवत्ता की रजाई, उत्तरकाशी के रैथल में साहसिक पर्यटन पर आधारित ग्रोथ सेंटर स्थापित किए जाएंगे। इसी प्रकार भीमताल में बेकरी, रामनगर में सोवेनियर, बागजला में ऐंपण के ग्रोथ सेंटर को सैद्धांतिक स्वीकृति दी गई है। इन ग्रोथ सेंटर से युवाओं और स्थानीय लोगों को आजीविका के अवसर मिलेंगे।
सरकार के एक ऐसे ही फैसले के तहत आराकोट में मंडी परिषद के माध्यम से सेब का सोर्टिंग व ग्रेडिंग सेंटर बनाया जाएगा। इससे प्रदेश के सेब उत्पादकों को अच्छी कीमत मिलेगी।
क्या है ग्रोथ सेंटर
पर्वतीय क्षेत्रों में उपलब्ध संसाधनों का सदुपयोग करके गांव में ही प्रोसेसिंग करवाना और इन उत्पादों की ब्रांडिंग करके उचित बाजार उपलब्ध करवाने की संकल्पना का नाम ग्रोथ सेंटर है। स्थानीय स्तर पर व्यापक रोजगार उपलब्ध करान इसका मुख्य उद्देश्य है। यानी क्षेत्र में जिस उत्पाद की उपलब्धता है, उसे कुटीर उद्योग के तौर पर विकसित करके उत्पादन शुरू किया जाता है। इस तरह आसपास के लोगों को इससे सीधा रोजगार मिलता है। उत्पादों की खपत लोकल मार्केट से लेकर अन्य बड़े बाजारों में भी होगी, उत्पादों के लिए मार्केटिंग चेन बनने से रोजगार भी मिलता है। इस तरह एक ग्रोथ सेंटर स्थानीय स्तर पर इकोनॉमी को जेनरेट करता है। ग्रोथ सेंटर, कृषि आधारित उत्पादों, ऊन उत्पादन, पशुपालन, मछलीपालन, दुग्ध उत्पादन, बागवानी उत्पादों, मसालों, सगंध पौधों पर आधारित हो सकते हैं। राज्य सरकार हर न्याय पंचायत में एक ग्रोथ सेंटर विकसित करने की योजना बना रही है, जिसमें से करीब 100 ग्रोथ सेंटर स्थापित हो चुके हैं। ग्रोथ सेंटर को एमएसएमई नीति के तहत उचित प्रोत्साहन भी दिया जा रहा है।
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