चकबंदी यानी जमीन के मालिक यानी किसान की जमीन के बिखरे खेतों को एक करना। उत्तराखंड में काफी समय से इसकी मांग हो रही है। सीएम ने कहा है कि वह इस दिशा में तेजी से काम करने जा रहे हैं। चकबंदी से पहले बंदोबस्ती शुरू होगी।
उत्तराखंड में चकबंदी को लेकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अहम घोषणा की है। उन्होंने कहा कि जल्द ही बंदोबस्ती शुरू होगी। सीएम ने बताया कि 1961 के बाद बंदोबस्ती नहीं हो पाई है इसलिए हम बंदोबस्ती करेंगे जिससे खातों के बारे में क्लियर हो जाएगा। कहां पर कौन, कितना काबिज है, क्या अधिकार है यह सब पता चल जाएगा।
उन्होंने कहा कि चकबंदी में सबसे बड़ी बाधा बंदोबस्ती का न होना है इसलिए हम जल्द ही बंदोबस्ती करेंगे। सीएम रावत ने कहा कि चकबंदी होने से जो भी हम गतिविधि करना चाहते हैं चाहे वह कृषि हो या कुछ और, तो ठीक रहेगा।
भूमि पर मालिकाना हक न होने से महिलाओं को स्वरोजगार वाली योजनाओं में ऋण लेने में मुश्किल हो रही है। त्रिवेंद्र सरकार इस दिशा में भी काम करने जा रही है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा है कि भूमि पर पुरुष के साथ महिलाओं का भी अधिकार हो, इस संबंध में सरकार जल्द निर्णय लेगी। प्रदेश में भूमि बंदोबस्त की प्रक्रिया भी जल्द शुरू की जा रही है। इससे भूमि की स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। साथ ही संकेत दिए कि भूमि बंदोबस्त के बाद राज्य में पूर्ण चकबंदी लागू की जाएगी।
ड्रोन मैपिंग की है तैयारी
आपको बता दें कि उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में कृषि भूमि की चकबंदी के लिए सरकार थ्री डी मैपिंग कराने की दिशा में भी काम कर रही है। इससे कृषि भूमि के खसरा नंबर की वास्तविक स्थिति का पता लग सकेगा। राजस्व विभाग सर्वे ऑफ इंडिया के माध्यम से थ्री डी मैप तैयार कर रहा है। पहाड़ों में चकबंदी न होने के कारण सरकार की अनुबंध खेती की योजना भी नहीं बढ़ पा रही है। गांवों में ड्रोन के जरिये एरियल सर्वे भी कराने का प्लान है।
चकबंदी से क्या फायदे समझिए
उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों की बिखरी जोतों को एक करने के लिए यह बड़ा कदम है। इसके बाद किसानों को एक ही स्थान पर खेती के योग्य बड़ी जोत मिल सकेगी। पलायन के पीछे एक वजह यह भी बताई जाती है कि किसानों के पास बिखरे हुए खेत हैं। प्रदेश सरकार ने वर्ष 2016 में सदन में भूमि चकबंदी एवं भूमि-व्यवस्था विधेयक पारित किया था। इसमें देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल व ऊधमसिंह नगर को छोड़ शेष नौ जिलों को शामिल किया गया। कृषि, उद्यानीकरण व पशुपालन की जमीन को भी इसके दायरे में लाने का निर्णय लिया गया। अब सीएम रावत के ऐलान के बाद लोगों को उम्मीद बढ़ी है कि जल्द ही बड़ी जोत में खेती का सपना साकार हो सकेगा।
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