उत्तराखंड में कंटेनमेंट जोन की संख्या बढ़ी है। बीते 3 हफ्तों में रिकवरी रेट गिरा है और एक्टिव केस बढ़े हैं। कोरोना के खिलाफ यह लड़ाई लंबी चलने वाली है। ऐसे में हमें एहतियात बरतते हुए इससे निपटना होगा।
उत्तराखंड में कोरोना का पहला मामला 15 मार्च को सामने आया था और 16 मई को कुल सक्रिय मामले 39 हो गए थे। लॉकडाउन में स्थिति ठीक रही पर धीरे-धीरे नए मामलों की रफ्तार बढ़ने लगी। अब हर रोज 100 से ज्यादा नए मरीज बढ़ रहे हैं। प्रदेश में कुल एक्टिव केस 3200 के करीब पहुंच गए हैं।
कुल पॉजिटिव मामले अब 7800 हो गए, जिनमें ठीक होने वालों की संख्या 4538 है। मौतें अब बढ़ने लगी हैं। चिंता की बात यह है कि अब कोरोना के जितने नए मामले आ रहे हैं, उसकी तुलना में ठीक होने वाले मरीजों की संख्या कम हैं। यही वजह है कि एक्टिव केस का ग्राफ बढ़ता जा रहा है।
3 अगस्त रात तक आई रिपोर्ट के अनुसार बीते 24 घंटों में कुल 207 केस आए। इनमें अल्मोड़ा से 5, चंपावत से 2, देहरादून से 38, हरिद्वार में सबसे ज्यादा 111, नैनीताल से 47, पौड़ी से 6, रुद्रप्रयाग से 1, उत्तरकाशी से 5 केस सामने आए।
डर इस बात का भी है कि कहीं कम्युनिटी ट्रांसमिशन तो शुरू नहीं हो गया है। हालांकि उत्तराखंड के लोगों को अभी इसको लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है। कुछ विशेषज्ञों ने भले ही इसको लेकर अलग-अलग बातें कही हों, पर सरकार ने अभी स्पष्ट तौर पर इसे खारिज किया है। उधर, ज्यादा मरीजों वाले दिल्ली, मुंबई और चेन्नई में कोरोना के नए मामले घटने से उम्मीद जताई जा रही है कि शायद कम्युनिटी ट्रांसमिशन का दौर न देखना पड़े।
जिलेवार लिस्ट देखें तो सबसे ज्यादा केस अब तक देहरादून से आए हैं। कुल 1775 केस में से 1280 लोग ठीक हो चुके हैं। जिले में 50 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके बाद सबसे ज्यादा मौतें नैनीताल में हुई हैं।
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