CDS जनरल बिपिन रावत बोले, मिलिट्री पुलिस महज शुरूआत, आगे महिलाओं को और भागीदारी मिलेगी

CDS जनरल बिपिन रावत बोले, मिलिट्री पुलिस महज शुरूआत, आगे महिलाओं को और भागीदारी मिलेगी

CDS जनरल बिपिन रावत ने हिल-मेल के वेबीनार में कहा कि महिला और पुरुष की अलग-अलग शक्तियां और कमजोरियां होती हैं। ऐसे में अगर हम महिला शक्ति का पुरुष शक्ति के साथ सामंजस्य बिठाएं तो ऐसी शक्ति उभरकर आएगी जिससे और ताकत मिलेगी।

फौज में अफसर ग्रेड के नीचे महिलाओं को मौका मिलना चाहिए। कोर ऑफ मिलिट्री पुलिस तो महज शुरूआत है। आगे महिलाओं को और भागीदारी मिलेगी। सेना में महिलाओं और पुरुषों के योगदान से ताकत और बढ़ेगी। हम दोहरे मापदंड से महिलाओं को नहीं देख सकते। परमानेंट कमीशन को लेकर हमें खुशी है। धीरे-धीरे इसे और बढ़ावा मिलता रहेगा। यह बातें देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ (CDS) जनरल बिपिन रावत ने हिल-मेल द्वारा ‘समृद्धि, विकास एवं महिलाएं’ विषय पर आयोजित वेबीनार के दौरान कही।

CDS जनरल रावत ने कहा, महिला और पुरुष की अलग-अलग शक्तियां और कमजोरियां होती हैं। ऐसे में अगर हम महिला शक्ति का पुरुष शक्ति के साथ सामंजस्य बिठाएं तो ऐसी शक्ति उभरकर आएगी जिससे और ताकत मिलेगी। हमने देखा है कि महिलाओं में ऐसी शक्ति होती है, जो पुरुष में नहीं होती है। महिलाएं जिस भी काम में जुट जाती हैं, उनका ध्यान इधर-उधर नहीं भटकता। खासकर आजकल हम देख रहे हैं कि साइबर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तैयारी करनी है, इन सब क्षेत्रों में महिलाओं की भूमिका अहम है। हम जो भी कार्रवाई करते हैं, पुरुषों के साथ महिलाओं को भी जाना पड़ता है। अगर महिलाएं नहीं होती हैं तो पुलिस या सिविल से लोगों को लेना पड़ता है और इससे काम में देरी होती है।

अपने बात रखते हुए CDS जनरल रावत ने कहा, नारी शक्ति का उत्तराखंड में बड़ा प्रभाव रहा है। हम सब आज के दिनों में बचेंद्री पाल, बसंती देवी ऐसी नारियों के बारे में तो जानते हैं, पर आज मैं उन नारियों के बारे में जानकारी देना चाहूंगा जिन्होंने उत्तराखंड को एकजुट करने में बहुत योगदान दिया है। हम जानते हैं कि झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, जीजाबाई, नगालैंड में रानी गाइदिनल्यू… ऐसी कई महान नारियां हुई हैं, जिन्होंने देश में नाम कमाया है। हमारे उत्तराखंड की भी एक ‘लक्ष्मीबाई’ रही हैं जिन्हें तीलू रौतेली के नाम से जाना जाता है। उन्होंने और उनके परिवार ने उत्तराखंड को एकजुट करने के लिए अहम प्रयास किए। मैं आपसे कई साल पुरानी बातें उजागर कर रहा हूं। तीलू रौतेली का परिवार उत्तराखंड से था, उनके पिताजी भूपसिंह और माता माहेश्वरी थीं। उनके दो भाई थे। उस वक्त अरब देशों की ओर से भारत में युद्ध किया जा रहा था और देश के कई इलाकों में कब्जा किया जा रहा था। ऐसे में उनके परिवार ने एक सेना तैयार की और उत्तराखंड पर अरब का कब्जा होने से रोका। तीलू रौतेली के नाम से लोकगीत भी मशहूर है… ‘धका धैं धैं तीलू, हे तीलू रौतेली धका धैं धैं।‘वह जब 15 साल की थीं, तभी उनकी सगाई रचा दी गई। उस वक्त उत्तराखंड पर आक्रमण हो रहे थे और लड़ते हुए उनके दो भाई घायल हो गए और बाद में दम तोड़ दिया। तीलू के होने वाले पति की भी मृत्यु हो गई। इसके बाद तीलू ने दोबारा कभी शादी के बारे में नहीं सोचा।

उन्होंने कहा, पहाड़ में कौथिग मेला होता था। एक दिन तीलू का भी मन मेले में जाने का हुआ। तब उनकी मां ने कहा कि मेले में जाने का विचार बदल और अपने भाई और होने वाले पति की मौत का बदला ले। अगर तुम सफल रही तो दुनिया में तेरा नाम अमर हो जाएगा। यह सुनकर तीलू ने लड़ाई की तैयारी शुरू की और अपनी एक सेना तैयार की। खेरागढ़ से होते हुए कठीरी सेना के साथ उन्होंने 7 साल तक मुकाबला किया। तिकोली खाल में पहले उन्होंने मोर्चा संभाला, उसके बाद भिलाऊभान, चकरौता, सराईखेत समेत कई इलाकों पर कब्जा कर लिया और अरब शासन को उत्तराखंड में आने से रोका। उनकी घोड़ी काले रंग की थी। चकरौता के आसपास एक बार अरब शिविर लगाकर बैठे थे, युद्ध को 7 साल हो गए थे, उस दौरान अचानक धोखे से हमला किया गया और वह 22 साल की उम्र में शहीद हो गईं। छोटी सी उम्र में ही उन्होंने उत्तराखंड के इतिहास में अपना नाम दर्ज करा दिया। ऐसी हमारी नारी शक्तियों के बारे में जानकारी होनी चाहिए। तीलू रौतेली अकेली नहीं हैं, ऐसी कई महान विभूतियां हुई हैं।

CDS  रावत ने कहा, पिछले कुछ वर्षों में हमने देखा है कि उत्तराखंड की इकॉनमी को ‘मनीऑर्डर इकॉनमी’ कहा जाता था। हमारे इलाके में ज्यादा उन्नति नहीं हो पाई थी। बॉर्डर का इलाका था तो वहां पाबंदियां थीं और हम इनर लाइन परमिट नहीं दिया करते थे। चार धाम तक ही पर्यटक सीमित रह जाते थे, अन्य इलाकों में जाना मुश्किल हो जाता था। ऐसे में उत्तराखंड के पुरुष बाहर नौकरी करते थे। घरबार, बच्चों का रहन-सहन, खेती, गाय-बकरियों की देखभाल नारियों के जिम्मे होता था। इस तरह से उन्होंने हमारे उत्तराखंड को आज इस स्थिति में पहुंचाया है। अगर वे लोग हताश हो जाते तो आज उत्तराखंड का क्या हाल होता इस पर विचार करना मुश्किल है। धीरे-धीरे उत्तराखंड में प्रगति हुई है। माता श्री मंगला जी का इसमें बहुत बड़ा योगदान है। उनकी पूरी कोशिश है कि प्रदेश में स्कूल, अस्पताल बनें और नौजवानों को बाहर जाने की जरूरत न पड़े। रिवर्स माइग्रेशन की बड़ी वजह यही है कि हमारे यहां उन्नति तेजी से हो रही है। हमारे मुख्यमंत्री और अन्य की पूरी कोशिश है कि प्रदेश तेजी से आगे बढ़े। टिहरी, धरासूं, पौड़ी, नैनीताल सब जगह काफी काम हो रहा है। ऐसे में कहा जा सकता है कि उत्तराखंड उन्नति करता रहेगा। हमें याद रखना चाहिए कि मुश्किल वक्त में नारी शक्ति ने उस समय मोर्चा नहीं संभाला होता तो आज हम इस स्थिति में नहीं पहुंच पाते। नारी शक्ति ने आने वाली पीढ़ियों को हौसला दिया, खेती की, बच्चों की परवरिश की।

हालांकि देहरादून, नैनीताल की तरफ पहाड़ से काफी माइग्रेशन हो रहा है। कई बार जब मैं उत्तराखंड के लोगों से मिलता हूं और पूछता हूं कि आप कहां के रहने वाले हैं। कुछ लोग ऐसे हैं जिन्हें अपने गांव की जानकारी देने में शर्म महसूस होती है। वे बताते हैं कि देहरादून, चमोली या नैनीताल का बताते हैं लेकिन जब पूछिए कि गांव कहां है। तो वह कहते हैं कि आप जानते नहीं होंगे- मैं सैंण गांव का हूं। इस पर मैं जवाब देता हूं कि मैं भी सैंण गांव का हूं। गांव के बारे में जानकारी देने में आपको खुशी होनी चाहिए। गांव से निकलकर आप जिस भी ओहदे पर पहुंचते हैं, आपको जन्मभूमि नहीं भूलनी चाहिए। ‘हिल मेल’ के मंच से मैं उत्तराखंड की नारी शक्ति को नमन और बहुत-बहुत धन्यवाद करना चाहता हूं।

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हिल-मेल के इस वेबीनार में CDS जनरल रावत के अतिरिक्त हंस फाउंडेशन की संस्थापक एवं आधात्मिक गुरुमाता माताश्री मंगला, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सलाहकार भास्कर खुल्बे, एनडीएमए के सदस्य राजेंद्र सिंह, प्रख्यात जागर गायिका बसंती देवी बिष्ट, गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी, राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान के निदेशक डा. मनमोहन सिंह चौहान, प्रख्यात संगीतकार एवं संस्कृति मर्मज्ञ डा. माधुरी बड़थ्वाल, एयरमार्शल रिटा. एमएस बुटोला, उत्तराखंड सरकार में राज्यमंत्री दीप्ति रावत और टिहरी की एसएसपी तृप्ति भट्ट और वरिष्ठ पत्रकार मनजीत नेगी शामिल हुए। इस कार्यक्रम का संचालन मशहूर रेडियो जॉकी और ओहो रेडियो उत्तराखंड के संस्थापक काव्य ने किया।

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