केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा है नई शिक्षा नीति (NEP) उत्तराखंड के लिए वरदान साबित होगी। शिक्षा मंत्रालय उत्तराखंड सरकार के साथ मिलकर उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा उपलब्ध करवाने पर काम कर रहा है। सभी स्तरों पर बेहतर शिक्षा उपलब्ध करवाने के लिए राज्य में 13 जवाहर नवोदय विद्यालय एवं 45 केंद्रीय विद्यालय स्थापित किए जाएंगे।
देश की शिक्षा का दायित्व इस समय पहाड़ के बेटे हरिद्वार से सांसद रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ संभाल रहे हैं। यह विभाग नई शिक्षा नीति (NEP) को लेकर चर्चा में है। शिक्षा नीति को चौतरफा सराहना मिल रही है। इसके साथ ही अपने कार्यकाल में निशंक ने कई ऐसे फैसले किए हैं, जिनको सराहा जा रहा है। निशंक मूल रूप से एक कवि हैं। उन्होंने कई शैलियों एवं विधाओं में 75 से अधिक पुस्तकें लिखी है। इनका कई भाषाओं में अनुवाद हुआ है। राजनीतिक प्रतिस्पर्धा की दुनिया में एक कवि का दिमाग अपनी अद्भुत रचनात्मकता को कैसै जीवित रखता है, ‘निशंक’ इसका उदाहरण हैं। यही वजह है कि उन्हें साहित्य साधना के लिए वातायन लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। वहीं शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करने के लिए उन्हें कैंब्रिज विश्वविद्यालय द्वारा सम्मानित किया गया है। हिल-मेल के साथ साक्षात्कार में उन्होंने शिक्षा नीति, उत्तराखंड में शिक्षा व्यवस्था और कविताओं एवं सम्मान पर विस्तार से बात की।
1. साहित्यिक क्षेत्र में योगदान के लिए आपको प्रतिष्ठित ‘वातायन’ लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया, इस सम्मान के जरिये अपनी साहित्य साधना को कैसे देखते हैं?
प्रतिष्ठित वातायन पुरस्कार मिलना मेरे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है. यह पुरस्कार मेरे लिए काफी महत्व रखता है क्योंकि यह हज़ारों साल पुरानी भारतीय संस्कृति की समृद्ध परंपराओं को एक खजाने के तौर पर स्थापित करता है, जिसे साहित्य एवं भाषाई अभिव्यक्तियों के जरिये विकसित किया गया है। मैं हिंदी भाषा की बुलंदियों को ना केवल भारत में बल्कि दुनिया में बढ़ाते हुए इस पुरस्कार को पूरे देश को समर्पित करता हूं।
2. नई शिक्षा नीति में सुधारात्मक बदलावों के लिए कैंब्रिज विश्वविद्यालय ने भी आपको सम्मानित किया, इस नीति को मिल रही अंतरराष्ट्रीय सराहना पर आपकी प्रतिक्रिया क्या है?
यह बेहद प्रसन्नता की बात है कि ‘कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस’ के प्रबंध निदेशक ‘रॉड स्मिथ’ ने बेहद परिवर्तनकारी और सुधारवादी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सराहना की है। ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020’ एक सर्वोतम वैश्विक शिक्षा व्यवस्था का निर्माण कर रही है, जिसकी जड़ें भारतीय संस्कृति से जुडी हुई हैं और जिसके मूल्य पहुंच (एक्सेस), इक्विटी, गुणवत्ता, किफ़ायत (अफोर्डेबिलिटी) और जवाबदेही (एकाउंटेबिलिटी) पर आधारित हैं जिनके द्वारा यह नीति भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति के रूप में उभारेगी। “शिक्षा और अनुसंधान दुनिया के महत्वपूर्ण उपकरण हैं। भारत की शिक्षा प्रणाली का एक लंबा इतिहास रहा है। दुनिया में पहला विश्वविद्यालय 700 ईसा पूर्व में स्थापित किया गया था, जबकि, एशिया में पहला और सबसे पुराना महिला कॉलेज कोलकाता में स्थापित किया गया था। यहां तक कि त्रिकोणमिति, कैलकुलस और बीजगणित की शुरुआत भी भारत में ही हुई थी।”
3. विशेषज्ञों का मानना है कि सबसे बड़ी चुनौती नई शिक्षा नीति को धरातल पर इसके मूल स्वरूप में उतारना है, आप इसे कैसे देखते हैं?
“राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ (NEP) को लागू करना एक चुनौती नहीं है बल्कि भारत को 21वीं सदी के अनुरूप बदलने का अवसर है। इसके लिए शिक्षा मंत्रालय ‘नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ को लागू करने के लिए मिशन मोड पर काम कर रहा है। इस नीति के कार्यान्वयन को लेकर 8 सितंबर 2020 से 25 सितंबर 2020 तक अलग-अलग मंत्रियों, शिक्षाविदों, कुलपतियों के साथ प्लान ऑफ एक्शन पर विचार-विमर्श करने के लिए ‘शिक्षा पर्व’ का आयोजन किया गया था। इसके तहत, विज़िटर्स कॉन्क्लेव, गवर्नर्स कॉन्क्लेव और ‘21वीं सदी में स्कूली शिक्षा’ नाम से एक एजुकेशन कॉन्क्लेव भी आयोजित किए गए, जहां राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के राज्यपालों, शिक्षा मंत्रियों, शिक्षकों, छात्रों एवं उच्च शिक्षा संस्थानों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बारे में अवगत करवाया गया।
स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग ने एक इसके कार्यान्वयन के लिए एक ड्राफ्ट तैयार किया है, जिसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधानों के कार्यान्वयन के टास्क को, उन टास्क को पूरा करने के लिए एजेंसियों को, प्रत्येक टास्क के पूरा किए जाने की समयसीमा को और उसके आउटपुट को एक साथ जोड़ा गया है। इस नीति के कार्यान्वयन योजना का मुख्य उद्देश्य यह है कि इसको इस प्रकार से लागू किया जाए जिससे केंद्र एवं राज्य सरकारें दोनों मिलकर संयुक्त रूप से इसको लागू कर सके और इसकी निगरानी कर सकें। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की 297 टास्क की सूची राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, स्वायत्त निकायों के साथ साझा की गई है और उनसे इस पर फीडबैक मांगा गया है।
इसके अलावा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के बेहतर कार्यान्वयन के लिए स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग ने थीम-आधारित कार्यान्वयन समितियां गठित की हैं, जिनकी अध्यक्षता संबंधित संयुक्त सचिव करेंगे। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भी इसी प्रकार की समितियों के गठन के लिए कहा गया है ताकि इस नीति की कार्यान्वयन योजना को बेहतर किया जा सके और यह इसके सिद्धांतों के अनुसार ही हो। इसके अलावा 9 नवंबर 2020 से राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में वर्कशॉप की एक सीरीज भी शुरू की गई ताकि उनकी समस्याओं को सुना जाए और उनसे इस नीति के कार्यान्वयन पर नए विचार मांगे जा सकें। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन की प्रगति को देखने के लिए नियमित तौर पर समीक्षा बैठकें भी आयोजित की जाएंगी।
4. भारत के उच्च शिक्षा संस्थानों से निकले पेशेवर भले ही दुनिया में अपनी प्रतिभा को लोहा मनवा रहे हैं लेकिन वैश्विक रैंकिंग में शीर्ष पर हमारे संस्थानों की संख्या कम है, इस दिशा में क्या प्रयास किए जा रहे हैं?
माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमारा मुख्य उद्देश्य युवाओं का विकास और सशक्तिकरण रहा है। भारत ने पहली बार ‘ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स’ में शीर्ष 50 देशों में स्थान बनाया है। मध्य एवं दक्षिणी एशियाई देशों में भारत इस सूची में शीर्ष पर है। यह दूसरे देशों की तुलना में भारतीय आबादी को देखते हुए एक सराहनीय उपलब्धि है। यह एक बेहद पॉजिटिव संकेत है कि भारत ने अपने नागरिकों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने के मामले में 2010 से अब तक एक लंबा सफर तय किया है।
भारत में व्यापक बदलाव देखने को मिल रहे हैं। क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग्स 2020 में भारत के उच्च शिक्षा संस्थानों ने टॉप 100 में स्थान प्राप्त किया है, जो कि दिखाता है कि हमारे उच्च शिक्षा संस्थानों ने विश्व पटल पर अपने प्रदर्शन में सुधार किया है। ताज़ा रैंकिंग के अनुसार 26 भारतीय विभागों ने टॉप 100 में अपना स्थान बनाया वहीं 2019 में 21 ने इस सूची में अपना स्थान बनाया था। इसके अलावा, क्यूएस रैंकिंग्स की शीर्ष 50 की सूची में भी भारतीय प्रोग्रामों की संख्या बढ़ी है।
5. अब क्षेत्रीय भाषाओं में इंजीनियरिंग की पढ़ाई होगी, अभी देश के चुनिंदा आईआईटी और एनआईटी से इसकी शुरुआत होगी, यह पूरी तरह कब तक शुरू हो जाएगा?
उच्च शिक्षा सचिव की अध्यक्षता में मातृभाषा में तकनीकी शिक्षा प्रदान करने के लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया गया है। यह टास्क फोर्स हितधारकों द्वारा दिए गए सुझावों को ध्यान में रखते हुए अपनी रिपोर्ट जमा करेगी। इसके अलावा मैं इस बात पर फिर से जोर देना चाहूंगा कि कोई भी भाषा किसी पर भी थोपी नहीं जाएगी बल्कि ऐसे प्रावधान लाए जाएंगे, जिससे कि अंग्रेजी भाषा ना आने पर भी कोई मेधावी छात्र तकनीकी शिक्षा से वंचित ना रह जाए।
6. उत्तराखंड जैसे हिमालयी सूबे के लिए नई शिक्षा नीति स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराने में कितनी मददगार होगी?
प्रस्तावित राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 विभिन्न सुधारों के माध्यम से शिक्षा की गुणवत्ता और उच्च शिक्षा के स्टैंडर्ड को बढ़ाने का काम करेगी जिससे छात्रों को रोजगार मिलने के अवसर बढ़ेंगे। इसका फोकस बच्चों में बुनियादी कौशल विकसित करने और उनको स्थानीय कला एवं कौशल का प्रशिक्षण देने के लिए स्थानीय लोगों को नियुक्त करने पर होगा। इसके अलावा, इस पर भी फोकस होगा कि पेशेवरों को अत्याधुनिक तकनीकी जैसे कि आर्टिफिशल टेक्नोलॉजी (एआई), 3-डी मैचिंग, बिग डाटा एनालिसिस और मशीन लर्निंग के साथ-साथ जीनोमिक स्टडीज, नैनोटेक्नोलाजी, न्यूरोसाइंस में भी तैयार किया जाए ताकि वो इन तकनीकों का प्रयोग स्वास्थ्य, पर्यावरण और सस्टेनेबल लिविंग जैसे क्षेत्रों में कर सकें और उनके लिए रोजगार के नए अवसर पैदा हो सकें।
7. उत्तराखंड में शिक्षा के बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
शिक्षा एक समवर्ती विषय है इसलिए स्कूली शिक्षा के बुनियादी ढांचे के विकास पर उत्तराखंड सरकार को ध्यान देना होगा। शिक्षा मंत्रालय उत्तराखंड सरकार के साथ मिलकर उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा उपलब्ध करवाने पर काम कर रहा है, इसके लिए मंत्रालय ने सभी स्तरों पर बेहतर शिक्षा उपलब्ध करवाने के लिए 13 जवाहर नवोदय विद्यालय एवं 45 केंद्रीय विद्यालय स्थापित करेगा। आने वाले एक साल के अंदर कैबिनेट को और केंद्रीय विद्यालय बनाने के लिए प्रस्ताव भेजे जाएंगे।
इसके अलावा 2020-21 के लिए समग्र शिक्षा अभियान के तहत 9,3069.31 लाख रुपये का बजट स्वीकृत किया गया था। पूरी प्रतिबद्धता के साथ मैं विश्वास दिलाना चाहता हूँ कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लागू होने के बाद उत्तराखंड में भी शिक्षा प्रणाली पहुंच (एक्सेस), इक्विटी, गुणवत्ता, किफ़ायत (अफोर्डेबिलिटी) और जवाबदेही (एकाउंटेबिलिटी) के मूल्यों पर ही आधारित होगी।
8. कोरोना काल के दौरान ईलर्निंग, ऑनलाइन एजुकेशन के लिए काफी प्रयास हुए, लेकिन उत्तराखंड जैसे राज्यों में अब भी कनेक्टीविटी एक बड़ा मुद्दा है, ऐसे में क्या शिक्षा मंत्रालय पहाड़ी सूबों केलिए अलग से कुछ प्रयास कर रहा है?
सुदूर क्षेत्रों के छात्रों के लिए शिक्षा की चुनौतियों को दूर करने के लिए शिक्षा मंत्रालय ने विभिन्न योजनाएं शुरू की हैं ताकि छात्रों को निरंतर शिक्षा मिलती रहे। ये योजनाएं स्कूली छात्रों से लेकर उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे छात्रों सभी के लिए हैं। डिजिटल या ऑनलाइन या ऑन-एयर एजुकेशन की पहुंच सभी तक सुनिश्चित करने के लिए 17 मई, 2020 को सरकार ने पीएम ई-विद्या’ नाम से एक व्यापक पहल शुरू की थी। इसमें दीक्षा, स्वयंप्रभा टीवी चैनल, सामुदायिक रेडियो स्टेशन, शिक्षा वाणी, डेज़ी (डिजिटली एक्सेसिबल इनफार्मेशन सिस्टम) इत्यादि जैसे प्रावधान शामिल हैं। इन सभी पहलों द्वारा 25 करोड़ स्कूली बच्चों को शिक्षा प्रणाली से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। मुझे इस बात की बेहद खुशी है कि उत्तराखंड सरकार शिक्षा मंत्रालय की पहलों को अपनाने के साथ-साथ संपर्क दीदी मोबाइल एप, व्हाट्सएप के द्वारा कक्षाओं, ज्ञानदीप प्रोग्राम, कम्युनिटी रेडियो इत्यादि द्वारा स्वयं के प्रयासों द्वारा छात्रों को मल्टी-मोडल माध्यम से शिक्षा उपलब्ध करवा रही है।
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