पहाड़ की महिलाओं में विशेष ऊर्जा, हर कठिनाई को कर लेती हैं पार: माताश्री मंगला

पहाड़ की महिलाओं में विशेष ऊर्जा, हर कठिनाई को कर लेती हैं पार: माताश्री मंगला

हिल-मेल टीवी पर आयोजित वेबीनार में ‘द हंस फाउंडेशन’ की संस्थापक माताश्री मंगला ने कहा, आज के समय में घर में बच्ची का जन्म होता है तो लोग पढ़ाई और शादी की चिंता करने लग जाते हैं। मेरा कहना है कि ये सब चिंता मत करो। हम सब मिलकर अपनी बेटियों को आगे बढ़ाएंगे। अब तक मैं 20 हजार लड़कियों की शादी करा चुकी हूं।

‘मैं महिला हूं और महिलाओं की तकलीफ समझती हूं। मैं चाहती हूं कि ज्यादा से ज्यादा महिलाएं हंस फाउंडेशन से जुड़ें और राज्य एवं देश को प्रगति को राह पर आगे बढ़ाने में अपना योगदान करें।’ हिल-मेल द्वारा ‘समृद्धि, विकास एवं महिलाएं’ विषय पर आयोजित वेबीनार में देश के अग्रणी दानदाना संगठन ‘द हंस फाउंडेशन’ की संस्थापक माताश्री मंगला ने यह बातें कहीं और उत्तराखंड की महिलाओं को हरसंभव मदद मुहैया कराने का भरोसा दिलाया।

उन्होंने कहा, यह बड़ी खुशी की बात है कि नए साल में सबका ध्यान महिलाओं की तरफ गया है। मैं ‘हिल मेल’ का इसके लिए धन्यवाद करती हूं। वे पहाड़ के विकास, महिलाओं के जीवन और स्वास्थ्य की बातें कर रहे हैं तो खुशी हो रही है कि कम से कम आज के समय में हम सब मिलकर अपने राज्य और देश की महिलाओं के लिए सोच रहे हैं। महिलाएं फाइनेंस विभाग की रीढ़ की हड्डी हैं। आज अगर हर महिला अपने आप को तीलू रौतेली की शक्ति के रूप में सोचे तो शायद वह किसी भी संकट से मुक्ति पा सकती है और अपने राज्य व समृद्ध जीवन के लिए बड़ा योगदान कर सकती है।

माताश्री मंगला ने कहा कि नए साल में हम सबका यही उद्देश्य होना चाहिए कि पहाड़ में हम महिलाओं को समृद्ध जीवन दे सकें जिससे आने वाली पीढ़ी भी उसका फायदा उठाए और एक नए युग की शुरुआत हो सके। हमें बहुत कुछ करना है। हम यह नहीं सोच रहे कि कितना कर लिया, हम यह सोच रहे कि अभी कितना दूर चलना है। हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं जिससे महिलाओं के स्वास्थ्य और विकास के लिए काम करते रहें। महिला के अंदर वह शक्ति है कि हम भगवान को भी सबसे पहले मां की शक्ति के रूप में याद करते हैं- त्वमेव माता, पिता त्वमेव…। पहाड़ की महिलाओं में विशेष ऊर्जा है, हर कठिनाई को वह पार करती हैं। हमने भी जहां-जहां अस्पतालों की शुरूआत की तो महिलाओं व स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान किए। लवाड़ में मल्टी स्किल डिवेलपमेंट कॉम्पलेक्स बना रहे हैं, जिसमें कोशिश है कि केरल की नर्स की तरह उत्तराखंड को नर्सिंग हब के तौर पर तैयार किया जाए।

उन्होंने कहा, आज लड़कियां पायलट बन रही हैं, नर्स बन रही हैं, कंप्यूटर कोर्स कर रही हैं, बड़ी खुशी होती है कि लड़कियां हमारे लड़कों से बहुत आगे जा चुकी हैं। शिक्षा में उन्होंने मुकाम हासिल किया है। उत्तराखंड की महिलाओं के लिए तीन चीजें मेरे जेहन में आती हैं- पहला स्वास्थ्य, दूसरा गांवों में छोटी-छोटी परेशानियां होती हैं जिसे वे नहीं बता सकतीं। इसके लिए हमने मेडिकल फेसिलिटी की शुरूआत की है। आज 21 स्पेशल मोबाइल वैन हैं जो खेतों तक जाकर उत्तराखंड की महिलाओं तक सेवा कर रही हैं। जब फीमेल नर्स और डॉक्टर होती हैं तो महिलाएं अपनी बातें आसानी से रख सकती हैं। सबसे बड़ी समस्याएं तब होती थी कि जब महिलाएं बच्चों को जन्म देती थीं, उस समय उनके पास कोई हेल्प नहीं होती थी। इसके लिए हमने मिडवाइफ को प्रमोट किया है। पहाड़ी इलाकों का कामकाज महिलाओं से सीधे तौर पर जुड़ा है। भोजन बनाने के लिए, बच्चों की देखभाल और सभा के आयोजन में भी महिलाएं आगे दिखती हैं।

माताश्री मंगला ने बताया कि अभी हमने ‘मां’ योजना शुरू की है, जिसमें हर महिला को हम मां के रूप में देखते हैं और रोजगार के अवसर मुहैया कराने पर काम करते हैं। हाल ही में मैं विदेश से लौटी हूं, वहां मुझे किसी ने नेटल लीफ की चाय बनाकर दी। हम उन चीजों से अनजान हैं, हमें शहरों में यह कहते हुए शर्म आती है कि हम बाड़ी या झंगोरे की खीर खा रहे हैं। पर मैंने जब अमेरिका में नेटल लीफ की चाय पी तो उसके बारे में पूछताछ कराई कि ये क्या है। मेरे पर्सनल डॉक्टर आए थे, जो गुजरात से हैं। उन्होंने बताया कि ये आपके ही उत्तराखंड की पत्ती है- कंडाली। कंडाली यहां जंगलों में उग रही है। मेरी सास कंडाली की भुजी खाती थीं, कहती थीं कि यह दवाई है। हमने यहां छोड़ दी पर विदेश में 5-6 डॉलर की चाय पीकर आ रहे हैं। मैंने कहा कि हम उत्तराखंड में कंडाली को प्रमोट कर सकते हैं और इसमें महिलाओं को जोड़ सकते हैं।

उन्होंने कहा, अभी हमने खाद्य सामग्री को लेकर नई योजना शुरू की है, जिसकी विदेश में ज्यादा मांग है। अभी हमने सतपुली अस्पताल में फ्री डायलिसिस सेंटर शुरू किए हैं। रात में 2-3 बजे फोन आते थे कि किस तरह मरीज को डायलिसिस के लिए देहरादून लाएं। जबसे शुरूआत हुई है, बड़ी संख्या में लोग आ रहे हैं, इससे उनका पैसा और समय दोनों बच रहा है। किडनी की वहां पर बड़ी समस्याएं आ रही हैं।

माताश्री मंगला ने कहा कि हंस फाउंडेशन ने महिलाओं के लिए मातृ छाया कार्यक्रम शुरू किया है। लड़कियों के स्कूलों में सैनिटरी पैड, 3 हजार बाथरूम का इंतजाम किया है। इसी बच्ची को कल मां भी बनना है और पूरे परिवार को संभालना है। अभी हमने शिवांश खाद योजना शुरू की है, जो ऑर्गेनिक है। यूपी में भी कई हजार महिलाओं को इसका सदस्य बनाया है। 18 दिन में घर में ही तैयार हो जाती है और आपकी कोई भी सब्जी में कीड़ा नहीं लगेगा और शहरों तक आप उसे पहुंचा सकते हैं। हंस फाउंडेशन ने कोविड के माहौल में 20 हजार लोगों को सुदूर इलाकों में राशन के पैकेट पहुंचाएं जिसमें महिलाओं ने काफी योगदान किया। पहाड़ पर सौर ऊर्जा उपलब्ध कराई जिससे वहां बच्चे पढ़ सकें। हंस जलधारा पीएम मोदी की योजना है, इसमें हमने सहयोग किया है। आज सुदूर इलाकों में 317 गांवों में हंस जलधारा पहुंच रही है। 117 गावों में घर-घर नल लग गया है। नर्सिंग सुविधा, सिलाई केंद्र, शौचालय तमाम सुविधाएं महिलाओं के लिए तैयार की गई है। आज के समय में घर में बच्ची का जन्म होता है तो लोग पढ़ाई और शादी की चिंता करने लग जाते हैं। मैंने कहा कि ये सब चिंता मत करो, अब तक मैं 20 हजार लड़कियों की शादी करा चुकी हूं। मैं महिला हूं और महिलाओं की तकलीफ समझती हूं। जरूरतमंद महिलाओं को कृत्रिम अंग दिए गए हैं। मैं चाहती हूं कि फाउंडेशन से और भी महिलाएं जुड़ें और राज्य व देश प्रगति की राह पर बढ़े। कोरोना काल में लोग पहाड़ पर अपने घरों की ओर लौटे तो हालात देख लोगों की आंखों में आंसू आ गए। घर टूटे हैं, छत नहीं है। आज फिर से प्रयास हो रहा है। हमने 1700 घरों को रंग कर पेंट किया जिससे एक नई ऊर्जा मिल जाए। मैं सबका धन्यवाद देती हूं। कहीं भी आपको लगता है कि हम कुछ कर सकते हैं तो हंस फाउंडेशन हमेशा तैयार है।

हिल-मेल के इस वेबीनार में माताश्री मंगला के साथ सीडीएस जनरल बिपिन रावत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सलाहकार भास्कर खुल्बे, एनडीएमए के सदस्य राजेंद्र सिंह, प्रख्यात जागर गायिका बसंती देवी बिष्ट, गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी, राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान के निदेशक डा. मनमोहन सिंह चौहान, प्रख्यात संगीतकार एवं संस्कृति मर्मज्ञ डा. माधुरी बड़थ्वाल, एयरमार्शल रिटा. एमएस बुटोला, उत्तराखंड सरकार में राज्यमंत्री दीप्ति रावत और टिहरी की एसएसपी तृप्ति भट्ट और वरिष्ठ पत्रकार मनजीत नेगी शामिल हुए। इस कार्यक्रम का संचालन मशहूर रेडियो जॉकी और ओहो रेडियो उत्तराखंड के संस्थापक काव्य ने किया।

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