पूर्वी लद्दाख में कैसे पीछे हटने को मजबूर हुआ चीन, सेना प्रमुख ने बताई NSA डोभाल की रणनीति

पूर्वी लद्दाख में कैसे पीछे हटने को मजबूर हुआ चीन, सेना प्रमुख ने बताई NSA डोभाल की रणनीति

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के तौर पर NSA अजीत डोभाल के कौशल और रणनीति का कोई मुकाबला नहीं है। वह डोभाल ही रहे जिन्होंने डोकलाम गतिरोध, उड़ी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक, पुलवामा हमले के बाद बालाकोट एयर स्ट्राइक की रणनीति तैयार करने में मुख्य भूमिका निभाई।

दुश्मन के हर चक्रव्यूह का तोड़ भारत के जांबाज राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) और पहाड़ के सपूत अजीत डोभाल के पास है। एक बार फिर यह बात साबित हो गई है। दरअसल, पूर्वी लद्दाख में चीन के पीछे हटने को लेकर सेना प्रमुख एमएम नरवणे ने एक बड़ी बात कही है। उन्होंने कहा है कि चीन को पीछे धकेलने में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की महत्वपूर्ण सलाह काफी काम आई।

पिछले साल मई-जून के महीने से भारत और चीन की सीमा पर तनाव के हालात हैं। एक समय दोनों देश जंग की स्थिति में भी पहुंच गए थे। गलवान में सैनिकों के संघर्ष में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे। इसमें चीन को दोगुना नुकसान उठाना पड़ा था। आगे भी चीन को पूरी ताकत से जवाब देने की रणनीति तैयार करने वाले अजीत डोभाल ही थे। चीन के मुकाबले पूर्वी लद्दाख में मिरर डिप्लॉयमेंट हो या चीन पर नजर रखने के लिए ऊंची चोटियों पर सेना की मौजूदगी, इसकी रणनीति के पीछे अजीत डोभाल ही थे।

पिछले दिनों भारत और चीन के बीच सैनिकों के पीछे हटने को लेकर बनी अहम सहमति के बाद आर्मी चीफ नरवणे ने कहा है कि पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारे से भारत और चीन की सेनाओं के पीछे हटने से अंतिम परिणाम बहुत अच्छा रहा और दोनों पक्षों के लिए यह लाभकारी स्थिति है।

विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के एक वेबीनार में जनरल नरवणे ने रणनीति को सामने रखते हुए कहा कि गतिरोध की शुरुआत से ही भारत की तरफ से सभी पक्षों ने मिलकर काम किया। उन्होंने कहा कि राजनीतिक स्तर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने चीनी समकक्षों से बात की। इसी दौरान थल सेना प्रमुख ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की भूमिका की बात की। उन्होंने बताया कि NSA अजीत डोभाल की सलाह बहुत महत्वपूर्ण रही। रणनीतिक स्तर पर उनके दृष्टिकोण से हमें अपने कदम उठाने में निश्चित तौर पर मदद मिली। जनरल नरवणे ने कहा कि इसी समग्र दृष्टिकोण से चीनी सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू हुई।

लद्दाख गतिरोध के बाद चीन की किसी भी आक्रामकता पर भारत की प्रतिक्रिया क्या होगी, एनएसए डोभाल की टीम के पास इसका पूरा खाका तैयार था। यही वजह है कि भारत ने लद्दाख में जिस तरह से लंबे समय तक जमे रहने की तैयारी की, उसने चीन को हैरान कर दिया। चीन को जवाब सैन्य मोर्चे पर भी दिया जा रहा है और कूटनीतिक तरीके से भी। फिर चाहे वह पड़ोसी देशों के साथ निरंतर संपर्क हो या अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया की नौसेनाओं के साथ मालाबार अभ्यास।

कैसे बनी रणनीति

चीन के साथ चल रही तनातनी के बीच पेंगोंग सो के दक्षिणी किनारे की सामरिक रूप से अहम चोटियों पर कब्जा करने का विचार पिछले साल अगस्त में आया। बताया जाता है कि यह बैठक NSA अजीत डोभाल की अगुवाई में हुई थी। यह एक ऐसा विचार था, जो उत्तरी सीमा पर बिगड़ रहे हालात को हल करने में ‘गेमचेंजर’ साबित हुआ।

इस बैठक में यह विचार रखा गया कि भारतीय सेना को रेजांग ला, रेचेन ला, हेलमंट टॉप और अकी ला समेत सामरिक रूप से अहम चोटियों पर कब्जा कर लेना चाहिए। इस कदम से चीन को पेंगोंग सो से पीछे हटने के लिए मजबूर करने में मदद मिली।

इस बैठक में NSA डोभाल के अलावा सीडीएस जनरल बिपिन रावत, सेना प्रमुख एमएम नरवणे भी मौजूद थे। वहीं उत्तरी सीमा पर चीन के खतरे का मुकाबला करने लिए वायुसेना द्वारा किए जा रहे आक्रामक उपायों से वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया भी NSA डोभाल को लगातार अवगत करा रहे थे। स्पेशल फ्रंटियर फोर्स और सेना के जवानों ने NSA डोभाल और सेना के शीर्ष नेतृत्व की निगरानी में इस योजना को बखूबी अंजाम दिया।

संकटमोचक की भूमिका

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के तौर पर NSA अजीत डोभाल के कौशल और रणनीति का कोई मुकाबला नहीं है। वह डोभाल ही रहे जिन्होंने डोकलाम गतिरोध, उड़ी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक, पुलवामा हमले के बाद बालाकोट एयर स्ट्राइक की रणनीति तैयार करने में मुख्य भूमिका निभाई। उन्होंने पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ महीनों तक चली तनातनी में भारत के हित को सुरक्षित किया और चीन को पीछे हटने के लिए मजबूर करने की रणनीति को बखूबी अंजाम दिया। यही वजह है कि उन्हें सरकार का संकटमोचक कहा जाता है।

यहां देखें पूरा वीडियो…

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शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन के सदस्य देशों के एनएसए स्तर की वर्चुअल बैठक में पाकिस्तान के गलत नक्शा दिखाने पर अजीत डोभाल का वॉकआउट साल 2020 की सुर्खियां बना। देश के भीतर आतंकियों के नेटवर्क को ध्वस्त करना हो या अंदरूनी-बाहरी सुरक्षा को लेकर देश को अलर्ट मोड में रखना, डोभाल ने सभी को पूरे पेशेवर तरीके से अंजाम दिया।

 

1 comment
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1 Comment

  • Rajesh Pant
    February 25, 2021, 7:55 pm

    We are proud of our NSA and motivated by his achievements ??

    REPLY

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