उत्तराखंड में तेजी से बढ़ने लगे ब्लैक फंगस के मामले, सरकार ने घोषित की महामारी

उत्तराखंड में तेजी से बढ़ने लगे ब्लैक फंगस के मामले, सरकार ने घोषित की महामारी

उत्तराखंड की तीरथ सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। कोरोना संक्रमण के प्रभाव के कारण राज्य में म्यूकरमाइकोसिस के मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी, म्यूकरमाइकोसिस का कोविड-19 के साइड इफेक्ट के रूप में सामने आने तथा कोरोना एवं म्यूकरमाइकोसिस का एकीकृत उपचार किए जाने के लिए पूर्व में घोषित महामारी कोविड-19 के अंतर्गत ही म्यूकरमाइकोसिस को संपूर्ण राज्य में महामारी घोषित किया गया है।

ब्लैक फंगस के लगातार मामले आते देख उत्तराखंड सरकार ने इसे महामारी घोषित कर दिया है। शनिवार को इस संबंध में राज्य सरकार की ओर से आदेश भी जारी कर दिए गए। प्रदेश में सामने आए केस की बात करें तो अब तक कुल 5 लोगों की जान जा चुकी है।

शुक्रवार को ब्लैक फंगस से एम्स ऋषिकेश में दो और हिमालयन अस्पताल जॉलीग्रांट में एक महिला की इलाज के दौरान मौत हो गई। कोरोना के कहर से पहले से प्रभावित राज्य में ब्लैक फंगस के मामले तेजी से आने लगे हैं। एम्स ऋषिकेश में ही इसके 61 केस मिले हैं। सरकार ने तय किया है कि कोरोना के साथ ही इसका भी इलाज होगा।

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ब्लैक फंगस से इन लोगों को ज्यादा खतरा

ब्लैक फंगस के 5 हजार से ज्यादा मामले देश में सामने आ चुके हैं और 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। एक तरह से कोरोना काल में यह एक नई महामारी ही है। देश के साथ-साथ राज्य सरकारें भी अपने स्तर पर अलर्ट हो गई हैं। जानकारों की मानें तो डाइबिटीज वाले ऐसे लोग जो कोरोना से संक्रमित हो गए हैं उन्हें ब्लैक फंगस की चपेट में आने का खतरा ज्यादा रहता है। म्यूकरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस उन्हीं लोगों पर अटैक करता है जिनकी इम्युनिटी कमजोर होती है। वहीं, डाइबिटीज के मरीज स्टेरॉइट का इस्तेमाल करते हैं इसलिए उनका इम्युनिटी लेवल कम हो जाता है इस कारण ब्लैक फंगस का खतरा ज्यादा रहता है।

भारत सरकार BlackFungus बीमारी के उपचार के लिए फंगल-रोधी दवा एम्फोटेरिसिन-बी की आपूर्ति और उपलब्धता बढ़ाने के लिए सक्रिय रूप से हरसंभव प्रयास कर रही है। देश के भीतर पांच अतिरिक्त उत्पादकों को इसके उत्पादन के लिए लाइसेंस दिया गया है।

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म्यूकरमाइकोसिस, जिसे ब्लैक फंगस संक्रमण के रूप में भी जाना जाता है, यह कोई नई बीमारी नहीं है। इस तरह के संक्रमण महामारी से पहले भी सामने आए थे। हालांकि इसका प्रसार बहुत कम था। अब कोरोना के कारण, दुर्लभ लेकिन घातक फंगल संक्रमण के मामले बड़ी संख्या में सामने आ रहे हैं। कोरोनावायरस एसोसिएटेड म्यूकरमाइकोसिस (सीएएम) रोग उन रोगियों में पाया जा रहा है जो या तो ठीक हो रहे हैं या कोविड -19 से उबर चुके हैं।

एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि पहले, म्यूकरमाइकोसिस आमतौर पर मधुमेह से पीड़ित लोगों में पाया जाता था। यह एक ऐसी स्थिति है जहां किसी के रक्त शर्करा (ग्लूकोज) का स्तर असामान्य रूप से बहुत अधिक होता है। कीमोथेरेपी के दौर से गुजरने वाले कैंसर के मरीज, जिनका प्रत्यारोपण हुआ है, और इम्यूनोसप्रेसेन्ट (प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करने वाली दवाएं) लेने वाले लोगों में भी यह संक्रमण पाया जाता है। लेकिन अब कोविड-19 और इसके इलाज के कारण इसके मामलों की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है।

आंखों और नाक के आसपास दर्द और लाली, बुखार (आमतौर पर हल्का), नाक से खून बहना, नाक या साइनस में अवरोध, सिरदर्द, खांसी, सांस की तकलीफ, खून की उल्टी, मानसिक स्थिति में बदलाव और देखने की क्षमता में आंशिक नुकसान जैसे लक्षणों को नजरअंदाज न करें।

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