कोरोना काल ने देश को झकझोर कर रख दिया। बड़ी संख्या में लोगों ने अपने चहेतों को खो दिया। लोगों की जिंदगियां बचाने के लिए सरकारों, अधिकारियों, कर्मचारियों और डॉक्टरों के अलावा भी कुछ लोग हैं, जो दिन रात सांसें को रुकने से बचाने के लिए मिशन मोड में काम कर रहे हैं।
कोरोना के इस मुश्किल भरे दौर में हर एक शख्स अपने स्तर पर लड़ाई लड़ रहा है। महामारी में सबसे ज्यादा गरीब, बेसहारा, बुजुर्गों और दूर-दराज में रहने वाले लोगों पर मार पड़ी है। सरकार और सामाजिक संगठन तो अपनी भूमिका निभा ही रहे हैं, इसके साथ-साथ कुछ लोग मिशन मोड में लगातार जनसेवा में जुटे हैं। मददगारों की फेहरिस्त में ऐसा ही एक नाम है अनिल बलूनी का।
भाजपा की मीडिया टीम के प्रभारी और राज्यसभा सदस्य बलूनी इस दौरान लोगों के संपर्क में रहे और जिस तरह से संभव हुआ पहाड़ के लोगों की मदद करते रहे। कोरोना की दूसरी लहर आई और जब ऑक्सीजन और दूसरे जरूरी चिकित्सा उपकरण कम पड़ने लगे तो उन्होंने देश ही नहीं, विदेश में बसे भारतीयों से संपर्क कर उनसे मदद मांगी जिससे पहाड़ के लोगों को बचाया जा सके।
वह लगातार मदद मंगवा रहे हैं जिससे उत्तराखंड के लोगों को कोरोना काल में तकलीफ कम हो। हाल में उनके कनाडा के मित्रों द्वारा भेंट किए गए 50 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर दिल्ली पहुंचे और उसे ट्रक से तत्काल उत्तराखंड भेज दिया गया। उनकी पहल पर उत्तराखंड एसोसिएशन सिंगापुर ने मेडिकल उपकरणों की खेप भेजी। मई में उनकी सांसद निधि से ऑक्सीजन कंसंट्रेटर का ट्रक पौड़ी मुख्यालय पहुंचा, जहां से पौड़ी, चमोली, अल्मोड़ा और पिथौरागढ़ जनपद के चिकित्सालयों में इसे पहुंचाया गया।
मई के पहले सप्ताह में अनिल बलूनी के प्रयास से लंदन से ऑक्सीमीटर की खेप आई। ब्रिटेन में रहने वाले प्रवासी उत्तराखंडी बंधुओं की संस्था ‘उत्तराखंड वेलफेयर एसोसिएशन’ ने भारतीय दूतावास के माध्यम से 200 ऑक्सीमीटर भेजे।
इससे पहले जब उत्तराखंड में कोरोना के मामलों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही थी, उन्होंने ऑक्सीजन सिलेंडर का एक ट्रक गुजरात से देहरादून भिजवाया। उन्होंने निजी संबंधों और मित्रों के सहयोग से एक ट्रक ऑक्सीजन सिलिंडर की व्यवस्था की है। ऑक्सीजन कंसंट्रेटर खरीद के लिए बलूनी ने सांसद निधि से दिए 50 लाख रुपये भी दिए। उन्होंने चिट्ठी भेजकर नोडल अधिकारी और पौड़ी के कलेक्टर विजय जोगदंडे को इस संबंध में तत्काल कार्यवाही करने को कहा।
कोरोना से पहले पहाड़ के सरोकारों से जुड़े रहे
अनिल बलूनी हमेशा पहाड़ से जुड़े मुद्दे पर अपने स्तर से प्रयास करते रहे हैं। यही वजह कि उन्हें केंद्रीय मंत्रालयों से संपर्क कर कई योजनाओं की शुरुआत उत्तराखंड में करवाई है। उनकी पहल पर रेल मंत्रालय ने कोटद्वार – दिल्ली के मध्य चलने वाली जनशताब्दी एक्सप्रेस का नाम सिद्धबली जनशताब्दी एक्सप्रेस रखा और टनकपुर- दिल्ली के मध्य चलने वाली जनशताब्दी एक्सप्रेस का नाम पूर्णागिरी जनशताब्दी एक्सप्रेस हो गया है। कोरोना काल की परेशानी हो, चमोली आपदा या लिपुलेख से कैलाश मानसरोवर यात्रा की पहल अपने कार्यों की वजह से ही वह जनता के चहेते बने हुए हैं।
उत्तराखंड में विश्वस्तरीय कैंसर हॉस्पिटल की कोशिश
उत्तराखंड में विश्वस्तरीय कैंसर हॉस्पिटल के लिए भाजपा नेता जी जान से जुटे रहे। भाजपा की राष्ट्रीय मीडिया टीम के प्रभारी अनिल बलूनी के प्रयासों को उस समय बड़ा बल मिला जब टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन रतन टाटा ने उन्हें पत्र लिखकर इस काम में सहयोग करने पर हामी भरी। कैंसर से उबरने के बाद से अनिल बलूनी राज्य में इसका एक विश्व स्तरीय अस्पताल स्थापित करवाने के मुहिम में जुड़े हैं।
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