जम्मू-कश्मीर में पिछले कुछ दिनों हुई आतंकी घटनाओं से राज्य के हालात चिंताजनक हो गए हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने हाल में इसे लेकर मैराथन बैठक की थी। टॉप काउंटर-टेरर एक्सपर्ट्स की कई टीमें कश्मीर भेजी जा चुकी हैं। आज की घटना ने दिखा दिया है कि पाक समर्थित आतंकियों के मंसूबे कितने खतरनाक हैं।
जम्मू कश्मीर में पिछले एक हफ्ते से आतंकवादियों ने कई मासूमों की निर्मम हत्याएं की हैं। निशाने पर खासतौर से कश्मीरी पंडित, सिख और गैर-कश्मीरी हिंदू हैं। लेकिन आज जिस तरह से पुंछ जिले में सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ हुई। यह एक टारगेट किलिंग और सेना के साथ उनका वार गेम चल रहा है और यह खेल बिना पाकिस्तान की मर्जी के नहीं हो सकता।
जम्मू के पुंछ जिले में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच जारी मुठभेड़ में सेना के पांच जवान शहीद हो गए हैं। सैन्य प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल देवेंद्र आनंद के मुताबिक खुफिया सूचना के आधार पर आज सुबह भारतीय सेना ने पुंछ के सुरनकोट क्षेत्र में तलाशी अभियान शुरू किया था। इसी दौरान मुठभेड़ शुरू हो गई।
उन्होंने कहा कि सुबह से ही सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच यहां मुठभेड़ चल रही है। विशेषज्ञों की राय में सुरक्षाबलों के लिए अब हर दिन चुनौती वाली है क्योंकि सर्दियां बढ़ने और अफगानिस्तान पर तालिबान का राज होने के बाद से जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाएं बढ़ गई हैं।
अब ऐसा लग रहा है कि आतंकियों के आका ने अफगानिस्तान में अपनी चाल कामयाबी से चलने के अब अपनी ताकत जम्मू कश्मीर में झोंक दी है। पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन घाटी को लहूलुहान करने में जुट गए हैं। पुंछ में जो पांच जवान शहीद हुए हैं, उनमें नायब सुबेदार जसविंदर सिंह, मंदीप सिंह, गुज्जन सिंह, सरज सिंह और वैसाख एच शामिल हैं।
जम्मू-कश्मीर में पिछले कुछ दिनों हुई आतंकी घटनाओं से राज्य के हालात चिंताजनक हो गए हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने हाल में इसे लेकर मैराथन बैठक की थी। टॉप काउंटर-टेरर एक्सपर्ट्स की कई टीमें कश्मीर भेजी जा चुकी हैं। ये आतंकी हमलों में शामिल पाकिस्तान समर्थित स्थानीय मॉड्यूल को बेअसर करने में पुलिस की मदद कर रही हैं। आज की घटना ने दिखा दिया है कि पाक समर्थित आतंकियों के मंसूबे कितने खतरनाक हैं।
कुछ दिनों पहले सुरक्षा एजेंसियों ने एक पाकिस्तानी आतंकवादी को जिंदा पकड़ लिया था। उसका नाम अली बाबर है। उसने सुरक्षा अधिकारियों को बताया था कि उसके घर में कोई कमाने वाला नहीं था। फैक्ट्री में उसकी मुलाकात एक लड़के से हुई। वो लड़का लश्कर के लिए काम करता था। बाबर को पैसों की जरूरत थी। लड़के ने 20 हजार रुपये दिए। इसके बाद जिहाद के लिए तैयार रहने को कहा।
हाल ही खुफिया एजेंसी की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और आतंकी संगठनों ने युवाओं की आतंकी संगठनों में भर्ती के लिए नई रणनीति बनाई है। कश्मीरी युवाओं को अब पत्थर फेंकने के बजाय ग्रेनेड फेंकने के लिए उकसाया जा रहा है। यह युवाओं का टेस्ट भी है। आतंकी संगठन चाहते हैं कि संगठन में शामिल होने से पहले युवा किसी न किसी वारदात को अंजाम दें।
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद सभी देशों में सबसे बड़ी चिंता का कारण यह था कि आंतकी समूह धरती का इस्तेमाल अपने गलत मंसूबों के लिए न करें। वहीं, पाकिस्तान समर्थित जिहादी आतंकवादियों के अफगानिस्तान से कश्मीर में प्रवेश करने की खबर सामने आई थी, जो सभी कि चिंताओं को और बढ़ा रही थी। इसको लेकर यूरोपियन फाउंडेशन फार साउथ एशियन स्टडीज ने चिंता जताई थी।
यूरोपियन फाउंडेशन फार साउथ एशियन स्टडीज ने आशंका व्यक्त करते हुए कहा था कि अफगानिस्तान में तालिबान कब्जे के बाद पाकिस्तान समर्थित और प्रशिक्षित ‘जिहादी’ आतंकवादियों को कश्मीर भेज दिया जाएगा। जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के चल रहे 48वें नियमित सत्र में संगठन के निदेशक और एक कश्मीरी जुनैद कुरैशी ने परिषद का ध्यान अफगानिस्तान की गंभीर स्थिति और जम्मू कश्मीर पर इसके प्रभावों पर नजर डाली थी।
जुनैद कुरैशी ने कहा, ‘1989 में जब सोवियत संघ ने काबुल छोड़ा तो कई इस्लामी लड़ाकों को अन्य देशों में जाना पड़ा और कइयों को कश्मीर में भेजा गया। 32 साल बाद अफगानिस्तान पर तालिबान ने कब्जा कर लिया है। तो ऐसे में काफी संख्या में लोग बेरोजगार हो गए हैं।’
जुनैद ने कहा, ‘1990 के दशक में जब पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी, आईएसआई द्वारा प्रशिक्षित, इन जिहादियों आतंकियों को कश्मीर में फिर से भेजा गया था, अब हमें परेशान करने के लिए वापस आ गए हैं।’ इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसे स्थिति को देखते हुए जम्मू और कश्मीर के लोगों के बीच डर है। जुनैद ने कहा कि कश्मीरी अफगानों के साथ खड़े हैं, लेकिन तालिबान और आतंकवाद के खिलाफ हैं।
भारत को आशंका थी कि तालिबान राज में खाली और बेरोजगार हो चुके जिहादी कहीं कश्मीर की ओर अपना मुंह न मोड़ लें। अमेरिका और पश्चिमी देशों की चिंता है कि अफगानी धरती से अल कायदा फिर अपना फन न उठाने लगे। अब समय आ गया है कि पूरे विश्व को आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर लड़ना होगा। अगर ऐसा नहीं हुआ तो आने वाले समय में आतंकवादी अन्य देशों में भी खून खराबा कर सकते हैं। जिसमें आम नागरिकों को नुकसान होगा और लोगों के मन में भय का माहौल व्याप्त होगा।
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