माणा गांव में सरस्वती नदी के किनारे बना मां सरस्वती का भव्य मंदिर, भीम पुल के पार पांडवों की 12-12 फीट की मूर्तियां भी लगेंगी

माणा गांव में सरस्वती नदी के किनारे बना मां सरस्वती का भव्य मंदिर, भीम पुल के पार पांडवों की 12-12 फीट की मूर्तियां भी लगेंगी

एमआईटी विश्व शांति विश्वविद्यालय पुणे के संस्थापक और चांसलर प्रो. विश्वनाथ कराड के प्रयासों से माणा गांव में मां सरस्वती के इस भव्य मंदिर की स्थापना की गई है। इसके साथ ही यहां भीम पुल के पार स्वर्गरोहणी मार्ग पर धर्मराज युधिष्ठिर के श्वान तथा द्रोपदी संग पांच पांडवों की 12-12 फीट ऊंची भव्य मूर्तियां भी लगाई जा रही हैं।

हिंदुओं की आस्था के उद्गम स्थलों में से एक बद्रीनाथ धाम के समीप माणा गांव में सरस्वती नदी के किनारे एमआईटी विश्व शांति विश्वविद्यालय पुणे की ओर से मां सरस्वती के भव्य मंदिर का निर्माण किया गया है। महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, नालंदा विश्वविद्यालय के कुलाधिपति और भारत के पहले सुपर कंप्यूटर परम 8000 के जनक पदम भूषण डा. विजय पी भटकर की मौजूदगी में इस मंदिर में मां सरस्वती, भगवान विट्ठल, संत ज्ञानेश्वर की मूर्तियों का अनावरण किया गया। एमआईटी विश्व शांति विश्वविद्यालय पुणे के संस्थापक और चांसलर प्रो. विश्वनाथ कराड के प्रयासों से माणा गांव में मां सरस्वती के इस भव्य मंदिर की स्थापना की गई है। इसके साथ ही यहां भीम पुल के पार स्वर्गरोहणी मार्ग पर धर्मराज युधिष्ठिर के श्वान तथा द्रोपदी संग पांच पांडवों की 12-12 फीट ऊंची भव्य मूर्तियां भी लगाई जा रही हैं।

ऐसी मान्यता है कि पांडवों ने अपनी पत्नी द्रोपदी के साथ माणा गांव से आगे सतोपंत होते हुए अपनी अंतिम यात्रा के लिए प्रस्थान किया था। 12 साल पहले प्रो. कराड और पद्मभूषण डा. विजय भटकर ने संकल्प लिया था कि सरस्वती नदी के इस पावन स्थल पर एक भव्य मंदिर का निर्माण किया जाएगा। अपने इसी संकल्प के अनुसार भारत के दो बड़े शिक्षाविदों ने यहां इस मंदिर का निर्माण कराया है। इस मंदिर में मां सरस्वती के अलावा संत ज्ञानेश्वर और भगवान विट्ठल की मूर्तियां स्थापित की गई हैं। इस कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथियों में भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष अनिल गोयल, उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र के निदेशक डा. महेंद्र प्रताप सिंह बिष्ट के अलावा देवस्थानम बोर्ड से बीडी सिंह, पूर्व चेयरमैन बद्री क्षेत्र बलदेव सिंह मेहता, माणा गांव के सरपंच पीतांबर सिंह मोल्फा मौजूद रहे।

पौराणिक मान्यता है कि अलकनंदा और सरस्वती नदी के पावन संगम, केशव प्रयाग के निकट माणा गांव में भगवान वेदव्यास ने भगवान गणेश के संग मिलकर वेदों की रचना की थी।

 

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