अनूठी पहल- “ग्वाला कक्षा” के जरिये बच्चों को फ्री शिक्षा दे रहे भास्कर जोशी

अनूठी पहल- “ग्वाला कक्षा” के जरिये बच्चों को फ्री शिक्षा दे रहे भास्कर जोशी

एक बेहतर समाज बनाने के लिए समाज के हर व्यक्ति को पढा लिखा होना जरूरी है। इसी सोच को साकार करने का काम कर रहे है अल्मोड़ा में सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत भाष्कर जोशी। भास्कर जोशी राजकीय प्राथमिक विद्यालय बजेला विकासखंड धौलादेवी जिला

एक बेहतर समाज बनाने के लिए समाज के हर व्यक्ति को पढा लिखा होना जरूरी है। इसी सोच को साकार करने का काम कर रहे है अल्मोड़ा में सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत भाष्कर जोशी।

भास्कर जोशी राजकीय प्राथमिक विद्यालय बजेला विकासखंड धौलादेवी जिला अल्मोड़ा में सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत है। बता दें यह विकासखंड का अति दुर्गम वह दूरस्थ क्षेत्र का विद्यालय है जहां इस वक्त आम भौतिक सुविधाएं भी न्यून है , यह विद्यालय इस क्षेत्र में नवाचारी रचनात्मक एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए प्रसिद्ध है। बच्चों को बेहतर शिक्षा रहे, उनका अकादमीक स्तर बढ़ता रहे और पढ़ने लिखने की संस्कृति का विकास होता रहे इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर क्षेत्र में घुमंतू लाइब्रेरी का संचालन किया जा रहा है जिसे बच्चे स्वमं संचालित करते है मैंने इसे “ग्वाला कक्षा” का नाम दिया है। यह उन बच्चों के लिए है जो किसी कारणवश विद्यालय नहीं जा पाते हैं और अपने अभिभावकों की मदद करने के उद्देश्य से घर पर ही रह कर ग्वाला इत्यादि जाते हैं ।

भाष्कर जोशी से बातचीत के दौरान वह कहते है कि एक अध्यापक का दायित्व सिर्फ उसके विद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों तक ही सीमित नहीं रहता , शिक्षक समाज मे ऊंचे आदर्शों का नेतृत्व करता है समूह भी आपसे अपेक्षा रखता है कि आप उसकी समस्याओं का समाधान करें, उत्तराखंड की भौगोलिक और समाजिक परिस्थिति कुछ इस प्रकार की है के बच्चों को यहां अभिभावकों के कार्यों में हाथ बटाना ही बटाना होता है फिर वह चाहे कृषि कार्य हो या दैनिक जीवन की अन्य समस्याएं मुख्य रूप से बेटियां इससे ज्यादा प्रभावित हैं , इस कारण उनके शैक्षिक स्तर का ह्रास होता है और वे अकादमिक में पिछड़ते चले जाते हैं ।

वह आगे कहते है कि इसी समस्या के लिए मैंने समाधान निकाला कि यदि बच्चे ग्वाला भी जाते हैं तो क्यों ना कुछ ऐसा किया जाए कि उनके लिए वही एक घुमंतू पुस्तकालय स्थापित कर दिया जाए ।

बच्चों का अकादमी किस स्तर बढ़ता रहे दिव्य अपने अभिभावकों के काम में मदद भी करते हैं तो भी वह थोड़ा ही सही कुछ तो पढ़ ही लेंगे इससे दो फायदे होंगे एक “पढ़ने लिखने की संस्कृति को बढ़ावा” मिलेगा साथ ही साथ बच्चों को पढ़ने की आदत भी पड़ जाएगी ।

गौरतलब है कि भाष्कर जोशी ने घुमन्तु लाइब्रेरी को लेकर फिलहाल अभी क्षेत्र में 1000 पुस्तको के पुस्तकालय स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। जिसमे बच्चों को प्रतियोगिता की पुस्तकों के साथ-साथ कहानी ,पत्र पत्रिकाएं, इनसाइक्लोपीडिया, विज्ञान किताबें महापुरुषों के जीवन पर आधारित पुस्तकें, धार्मिक पुस्तकें जैसे रामायण, महाभारत उपलब्ध है।

साथ ही उनका कहना है कि द्वितीय स्तर पर ग्वाला कक्षाओं को और अधिक प्रमोट करने का उद्देश्य है ताकि बच्चे अधिक से अधिक पढ़ते रहें यदि वे अपने अभिभावकों की मदद भी करते हैं तो भी उनकी शिक्षा का ह्रास ना होने पाए ।

उन्होंने कहा कि इस इस हेतु एक मुहिम चला कर हमने अपने मित्रों की मदद से नई /पुरानी पुस्तकों का एक लघु बुक बैंक बना लिया है , मेरे मित्र श्री जोगिंदर जी , मुकेश जी , राम दत्त जी , सैन्य अधिकारी मुकेश जी , IT प्रोफेशनल 3 प्रत्यूष पाटनी जी इत्यादि सहपाठियों ने पुस्तकालय हेतु किताबें दी हैं।

उत्तराखंड के हर दुर्गम क्षेत्र में जहां मूलभूत सुविधाएं या पुस्तकालय नहीं है वहां वहां इसे स्थापित करने का उद्देश्य रखा गया है। वे कहते है कि मैं कहां तक सफल हो पाऊंगा यह मुझे अभी ज्ञात नहीं है लेकिन मैं प्रयास करता रहूंगा अपनी मातृभूमि के नौनिहालों के लिए ।

भास्कर जोशी ने समाज से अपील करते हुए कहा कि हम समाज के प्रबुद्ध जनों से यह निवेदन करते हैं कि एक समृद्ध पुस्तकालय बनाने हेतु हमें अधिक से अधिक नई या पुरानी कोई भी किताब दान दे सकते हैं आप किताबों को कबाड़ी को ना दें और ना ही उन्हें फैकें उन्हें हमें दे दें हम इनका बुक बैंक बनाकर जरूरतमंदों को वितरित करेंगे और पढ़ने लिखने की संस्कृति को आगे बढ़ाएंगे ।

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