डॉ. रौतेला बचपन से ही भारतीय सेना में ऑफिसर बनकर अपने देश की सेवा करना चाहते थे परन्तु उनके भाग्य ने साथ नहीं दिया और सन् 1972-73 में फुटबॉल खेलते समय गिरने से उनके दाहिने पांव के कुल्हे की हड्डी में चोट लगने के कारण उनका दाहिना पैर करीब 1 से 1.5 सेमी छोटा होने साथ-साथ दाहिने कुल्हे की गति में कमी आ गयी और वह शारीरिक अपूर्णता की श्रेणी में आ गए। सन् 1979 में सी.पी.एम.टी. (उ.प्र.) की परीक्षा के द्वारा चयनित होकर मोती लाल नेहरू मेडिकल कालेज, इलाहबाद में एमबीबीएस में प्रवेश लिया।
उत्तराखंड के लोग देश के अलग अलग क्षेत्रों में अपने राज्य का नाम रौशन कर रहे हैं उनमें से एक हैं डॉ राजेश सिंह रौतेला। इनका जन्म सन् 1962 में तहसील धारचूला, जिला पिथौरागढ़, उत्तराखंड में हुआ। प्राथमिक शिक्षा गांव के ही प्राथमिक विद्यालय में ही हुई। कक्षा 5 उत्तीर्ण करने के पश्चात जूनियर एवं हाईस्कूल की शिक्षा जी.आई.सी. पिथौरागढ़ एवं जी.आई.सी. धारचूला से प्राप्त की। सन् 1978 में इंटरमीडिएट की पढाई बरेली से पूर्ण की।
डॉ. रौतेला बचपन से ही भारतीय सेना में ऑफिसर बनकर अपने देश की सेवा करना चाहते थे परन्तु उनके भाग्य ने साथ नहीं दिया और सन् 1972-73 में फुटबॉल खेलते समय गिरने से उनके दाहिने पांव के कुल्हे की हड्डी में चोट लगने के कारण उनका दाहिना पैर करीब 1 से 1.5 सेमी छोटा होने साथ-साथ दाहिने कुल्हे की गति में कमी आ गयी और वह शारीरिक अपूर्णता की श्रेणी में आ गए। सन् 1979 में सी.पी.एम.टी. (उ.प्र.) की परीक्षा के द्वारा चयनित होकर मोती लाल नेहरू मेडिकल कालेज, इलाहबाद में एमबीबीएस में प्रवेश लिया।
मेडिकल कॉलेज में पढाई के दौरान डॉ. रौतेला ने अपने पैरों की अक्षमता के होते हुए भी कॉलेज की कई सारी खेल-कूद प्रतियोगिताओं भाग लेकर कई पुरुस्कार प्राप्त किये। उनकी विशेष रूचि फुटबॉल तथा हॉकी में थी और कॉलेज की टीम के सदस्य भी रहे। कालेज में सामाजिक तथा सांस्कृतिक कार्यकलापों में सक्रिय रूप में भाग लेने के साथ ही, इलाहाबाद में तरुण हिमालय संगठन की स्थापना में भी सक्रिय योगदान दिया।
उन्होने सन् 1984 में एम.बी.बी.एस. तथा सन् 1989 में एम.डी. (एनेस्थेसियोलोजी) की परीक्षा उत्तीर्ण की। सन् 1990-1993 तक गुरु तेग बहादुर अस्पताल में सीनियर रेजिडेंट के पद पर कार्य किया और सन् 1994 में यू.पी.एस.सी. द्वारा चयनित होकर भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के असिस्टेंट प्रोफेसर, एनेस्थेसियोलोजी पद पर गुरु तेग बहादुर अस्पताल में कार्यभार ग्रहण किया। सन् 2008 में डायरेक्टर प्रोफेसर के पद पर प्रोन्नत हुए।
कोरोना महामारी के बेहद कठिन समय के दौरान जून 2020 में दिल्ली सरकार द्वारा गुरु तेग बहादुर अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर की जिम्मेदारी दी गयी। यह समय स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने एवं प्रशासनिक रूप से बहुत ही कठिन और चुनौतीपूर्ण समय था।
डॉक्टर रौतेला ने इस कोरोना महामारी के दौरान एक कुशल प्रशासक और कुशल चिकित्सक के तौर पर कार्य करते हुए गुरु तेग बहादुर अस्पताल में मरीजों के समुचित इलाज लिए बहुत सारी सुविधाएं (ओक्सीजेन, वेंटिलेटर एवं आई.सी.यू. बेड इत्यादि) बढ़ाकर मानवता की सेवा करते हुये कोरोना महामारी की सभी लहरों का डटकर मुकाबला किया और अपने समस्त स्वास्थ्य सेवा कर्मियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कोरोना से पीड़ित मरीजों को सेवा प्रदान करते हुए अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभा।
चूंकि डॉ. रौतेला चिकित्सक होने के साथ-साथ एक चिकित्सा शिक्षक भी हैं इसलिए वह कुछ समय एनेस्थेसियोलोजी विभाग में रहकर शिक्षण कार्य करना चाहते थे अतः महामारी के दौरान करीब डेढ़ वर्ष तक अपनी मेडिकल डायरेक्टर के पद की जिम्मेदारियों को बखूबी निभाने के पश्चात जब कोविड महामारी करीब-करीब समाप्त हो गयी तब सन् 2021 दिसम्बर में डॉ. रौतेला मेडिकल डायरेक्टर के पद को त्याग कर अपने मूल विभाग एनेस्थेसियोलोजी एंड क्रिटिकल केयर में डायरेक्टर प्रोफेसर के पद पर वापस आ गए।
डॉ. रौतेला को अप्रैल 2022 में एनेस्थेसियोलोजी एंड क्रिटिकल केयर विभाग गुरु तेग बहादुर अस्पताल एवं यूनिवर्सिटी कालेज ऑफ़ मेडिकल साइंसेज के विभागाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी गयी और तब से विभागाध्यक्ष पद पर रहते हुए विभाग के प्रशासनिक, चिकित्सा सेवा तथा शैक्षणिक स्तर को सुधारने का निरंतर कार्य कर रहे हैं। डॉ. रौतेला, अपने अभी तक के शिक्षण काल में 35 से अधिक शोध प्रकाशनों के लेखक रहे हैं और उनके मार्गदर्शन में 40 से अधिक एनेस्थेसिया के स्नातकोत्तर छात्रों ने शोधकार्य सम्पन्न किया है।
वह इंडियन सोसाइटी ऑफ एनेस्थेसियोलॉजिस्ट (आईएसए), नेशनल एसोसिएशन ऑफ क्रिटिकल केयर मेडिसिन (एनएसीसीएम) तथा रिसर्च सोसाइटी ऑफ एनेस्थिसियोलॉजी क्लिनिकल फार्माकोलॉजी (आरएसएसीपी) के भी सदस्य हैं। डॉ. रौतेला सन् 2001-02 में इंडियन सोसाइटी ऑफ एनेस्थेसियोलॉजिस्ट (आईएसए) दिल्ली शाखा के कोषाध्यक्ष के पद पर भी कार्य कर चुके हैं।
डॉ. रौतेला एनएसीसीएम के संयुक्त सचिव हैं, और एनएसीसीएम के आधिकारिक जर्नल एशियन आर्काइव्स ऑफ एनेस्थिसियोलॉजी एंड रिससिटेशन के एसोसिएट एडिटर के रूप में भी सक्रिय योगदान दे रहे हैं। डॉ. रौतेला ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम जैसे की पोलियो निर्मूलन (10 वर्ष) एवं मीजल्स टीकाकरण (5 वर्ष) कार्यक्रमों में टीम लीडर के रूप में योगदान दिया है।
डॉ. रौतेला को शिक्षक दिवस के अवसर पर दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन ने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य शिक्षा के क्षेत्र में असीम योगदान के लिए “प्रख्यात चिकित्सा और स्वास्थ्य शिक्षा शिक्षक पुरस्कार“ से सम्मानित किया तथा माइंड्रे हेल्थकेयर ने एनेस्थिसियोलॉजी के क्षेत्र में शिक्षण और प्रशिक्षण में अनुकरणीय योगदान के लिए प्रशंसा पुरस्कार से सम्मानित किया है।
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