उत्तराखंड नैनीताल जनपद स्थित समुद्र तट से चौदह सौ मीटर की ऊंचाई पर प्रवाहमान शिप्रा नदी के तट पर किस्मत बदलने वाले आस्था व चमत्कार के विश्व विख्यात तीर्थ स्थल, ‘श्री कैची धाम’ का भव्य स्थापना दिवस समारोह 15 जून को प्रतिवर्ष परम पूज्य बाबा श्री नीब करोरी महाराज के देश-विदेश से पहुचने वाले लाखों अनुयाइयों की उपस्थिति में मनाया जाता रहा है।
15 जून, 1964 को पहली बार ‘कैची धाम’ का स्थापना दिवस मनाया गया था। विगत 58 वर्षो मे बाबा के देश-विदेश के बढ़ते अनुयाइयों के कारण इस स्थापना दिवस ने धीरे-धीरे एक विशाल भव्य मेले का रूप धारण कर लिया है। कोरोना विषाणु संक्रमण की भयावह वैश्विक त्रासदी के बाद विगत वर्ष देश-विदेश के करीब पांच लाख के आसपास अनुयाईयों ने 15 जून स्थापना दिवस के दिन अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी। इस वर्ष 2023 मे अनुयाईयों की संख्या और भी ज्यादा बढ़ कर विकराल होने की सम्भावना जताई जा रही है।
कैची धाम ट्रस्ट द्वारा स्थापना दिवस की तैयारी इस वर्ष भी बडी सिद्धत से की जा रही है। व्यक्तिगत रूप से स्थापना दिवस के दिन देश-विदेश के अनुयाईयो के सेवार्थ दर्जनों स्वयं सेवियों द्वारा अपना रजिस्ट्रेशन करवाया गया है। पुलिस प्रशासन द्वारा 14 व 15 जून को यातायात व्यवस्था के लिए रूट प्लान जारी किया गया है। ’कैची धाम’ से होकर गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग का ट्रैफिक अन्य सम्पर्क मार्गो को मोड़ दिया गया है। ’कैची धाम’ से सात-आठ किलोमीटर पहले ही हर रूट पर कार, स्कूटर, मोटर साइकिल व बस पर्किंग स्थल बनाए गए हैं। उक्त पार्किग स्थलों से शटल सेवा कैची धाम के इर्द-गिर्द तक संचालित की जानी है। अनुयाईयों को धाम तक पहुंचने के लिए कुछ किलोमीटर पैदल भी चलना पडेगा।
स्थापना दिवस के बाद भी वर्षभर महाराज के अनुयाई बडी संख्या में कैची धाम दर्शन हेतु आते रहते हैं। मंगलवार, शनिवार व रविवार को सुबह से ही दर्शनार्थियों का लाखों की संख्या में हुजूम उमड़ पड़ता है। उक्त धाम से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर अक्सर, लम्बे जाम व अव्यवस्था का आलम देखा जाता रहा है। प्रशासन द्वारा जाम से छुटकारा दिलाने के लिए यहां से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग को नया बाईपास बना कर उससे जोड़ने का प्लान बनाने के साथ-साथ धाम के कुछ किलोमीटर इर्द-गिर्द के क्षेत्र का सौंदर्यकरण करने व बाबा के लाखों अनुयाईयों के धाम में प्रवेश करने व बाहर निकलने के लिए शिप्रा नदी के ऊपर एक और पुल बनाने की योजना भविष्य के लिए क्रियान्वित की है।
मान्यता है, कोई भी भक्त ’कैची पावन धाम’ में पहुंच कर खाली हाथ नहीं लौटता है। सच्चे मन से सोची उसकी जटिल से जटिल मुराद भी पूरी हो जाती है। विश्व की जानी-मानी हस्तियां इस सु-विख्यात पावन धाम मे पहुंच, आशीर्वाद लेकर धन्य होती रही हैं। पावन धाम की महिमा श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत श्रद्धेय और अनुकरणीय रही है।
1961 में पहली बार श्रीहनुमान जी के अनन्य भक्त परम पूज्य बाबा श्री नीब करौरी महाराज ने नैनीताल जनपद के इस रमणीक व शांतिप्रिय स्थल की प्राकृतिक छटा को निहारा था। उक्त स्थान पर एक आश्रम बनाने का विचार किया था। अपने एक स्थानीय सहयोगी की मदद से 15 जून 1964 को महाराज द्वारा श्रीहनुमान जी का भव्य मंदिर निर्माण करवा कर ’कैची पावन धाम’ की स्थापना की गई थी। स्थापित धाम में सुबह और सायं प्रार्थना का आयोजन, नवरात्रियों में विशेष पूजन व दिव्य चमत्कारी संत, महापुरुष परम पूज्य बाबा श्री नीब करौरी महाराज के चमत्कारो की बदौलत ’कैची धाम’ की महत्ता देश-विदेश के भक्तो के मध्य बढ़ते चली गई। उक्त धाम श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक बन कर ख्याति के चरम पर उभरता चला गया है।
अकबर पुर, जिला फिरोजाबाद, (उ.प्र.) के किरहीन गांव के नजदीक, निवासरत दुर्गा प्रसाद शर्मा के सम्पन्न ब्राह्मण कुल में सन् 1900 के आसपास नीब करौरी महाराज का जन्म हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा किरहीन गांव के स्कूल मे हुई थी। बीसवीं शताब्दी के इस सु-प्रसिद्ध महान संत के बचपन का नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा था। ग्यारह वर्ष की छोटी उम्र में ही विवाह के बाद संसारिक वस्तुआें से मोह छूट जाने से जल्द ही उन्होंने घर छोड़ दिया था। पिता द्वारा सात-आठ वर्ष की निरंतर खोज के बाद सीधे-सादे स्वभाव के पुत्र को गुजरात के बवानिया मोरबी नामक गांव के एक आश्रम में साधना करते हुए ढूंढ लिया गया था, जहा महाराज तलैया वाले बाबा के नाम से मशहूर थे। पिता द्वारा पुत्र को गृहस्त जीवन के पालन की हिदायत दिए जाने के बाद महाराज द्वारा गृहस्त, धार्मिक व सामाजिक जीवन को एक साथ तन-मन से जीने का काम निभाने की जुगत भिड़ाई गई। उनके गृहस्त जीवन में दो बेटे व एक बेटी हुई।
पुनः कुछ समय बाद गृहस्त जीवन से महाराज को विरक्ति हो गई थी। 1958 के इर्दगिर्द महाराज ने अपना घर त्याग दिया था। उत्तर भारत में साधुओं की तरह वे अलग-अलग जगहों पर विचरण करने लगे थे। उन्हे भ्रमण के दौरान विभिन्न स्थानों मे अलग-अलग नामों लक्ष्मण दास, हांडी वाला बाबा, तिकोनिया वाला बाबा, चमत्कारी बाबा इत्यादि नामों से जाना जाने लगा। नीब करौरी नामक गांव जिला फरुखाबाद (उ.प्र.) के रेलवे स्टेशन पर महाराज द्वारा दिखाए गए चमत्कार के बाद महाराज को नीब करौरी नाम से जाना गया। यही नाम बाद के दिनों में नीम करौली नाम से भी पुकारा जाने लगा। इस नाम से भी महाराज को बहुतायत में वैश्विक फलक पर जाना जाता है।
जन ज्ञान के मतानुसार 17 वर्ष की उम्र में महाराज को ज्ञान प्राप्त हो गया था। बचपन से ही संत बन चुके नीब करौरी महाराज जहां भी गए भक्तों से यज्ञ भगवान को प्रसन्न करने और भंडारा लोगों को खिलाने व प्रसन्न रखने के लिए करवाते रहते थे। देश के विभिन्न स्थानों में श्रीहनुमान जी के मंदिर निर्मित करवाने में वे तत्पर रहा करते थे।
9 सितंबर 1973 को अंतिम बार महाराज जी ने ’कैची पावन धाम’ से आगरा को प्रस्थान किया था। 11 सितंबर 1973 को महाराज ने वृंदावन में शरीर त्याग दिया था। महाराज की समाधि वृंदावन मे निर्मित की गई। साथ ही ’कैची धाम’ भवाली (नैनीताल), वीरा पुरम (चैन्नई) तथा लखनऊ (उ.प्र) में भी महाराज के अस्थि कलशों को भू-समाधि दी गई थी। भक्तों की महाराज के प्रति आस्था ही है कि वे लाखों की संख्या में आज भी उनकी समाधि की तरफ खिचे चले आते हैं, बाबा के अदृश्य आशीर्वाद ग्रहण करने के लिए।
आम आदमी की तरह जिंदगी जीने व आडंबरो से दूर रहने वाले परम पूज्य बाबा श्री नीब करौरी महाराज माथे पर तिलक व गले में कंठी माला डालने से परहेज किया करते थे। किसी को अपने पैर नही छूने देते थे। कहते थे श्रीहनुमान जी के पैर छुओ। हनुमान के उपासक, जप मे केवल राम-राम का नाम अनवरत जपने वाले बीसवीं शताब्दी के दिव्य संतो व प्रचंड क्षमताओं वाले भारतीय महापुरुषों में नीब करौरी महाराज की चमत्कारिक सिद्धियां व महिमाएं अत्यंत श्रद्धेय व अनुकरणीय रही हैं। सिद्ध आत्मा के साथ-साथ कई प्रकार की सिद्धियों के वे स्वामी रहे हैं। बिना शिक्षा के बोझ मुक्त दिव्यदर्शी होने से भक्तों द्वारा समस्या व्यक्त करने से पूर्व उनकी समस्याओं का निदान करने की वे अलौकिक सिद्धि प्राप्त संत थे। अपनी देवीय ऊर्जा से अचानक कही भी भक्तो के मध्य प्रकट हो जाते थे, उसी प्रकार लुप्त भी।
महाराज जी का मुख्य उद्देश्य मानव जाति का कल्याण था। उनके कल्याणकारी व चमत्कारी कार्यो के अनगिनत किस्सो ने उन्हे देश-विदेश में ख्याति अर्जित करवाई थी। महाराज के प्रति आस्था ही मुख्य कारण रहा है प्रतिवर्ष उनके आम आदमी से लेकर अरबपति तक लाखों भक्त ’कैची पावन धाम’ में दर्शन करने के लिए आते हैं। देश-विदेश की बडी-बडी हस्तियां खुद को यहां आने से नहीं रोक पाती हैं, महाराज की प्रेरणा पाने हेतु।
हिंदू आध्यात्मिक गुरु के रूप में पूजे जाने वाले और श्रीराम का नाम जपने वाले परम पूज्य श्री नीब करौरी महाराज को हनुमान का अवतार माना जाता रहा है। महाराज जी को श्रीहनुमान जी की उपासना से अनेक चमत्कारिक सिद्धिया प्राप्त थी। महाराज द्वारा स्थापित धाम श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक है। महाराज के लाखों भक्त हैं जिनकी मुराद ’कैची पावन धाम’ में आकर पूरी होती है।
’कैची पावन धाम’ में महाराज का समाधि स्थल भव्य मूर्ति के साथ-साथ अन्य कई देवी-देवताओं के मंदिर भी हैं। देश-विदेश में 108 मंदिर व आश्रम स्थापित हैं। इन सब में सबसे बड़ा ’श्री कैची धाम’ भवाली (नैनीताल) व अमेरिका के न्यू मैक्सिको सिटी स्थित ’टाउस आश्रम’ है। ’कैची पावन धाम’ में कनाडा, यूएस, जर्मनी, फ्रांस समेत अनेकों देशों से भक्त आते रहते हैं। विदेशी भक्तों में सबसे अधिक संख्या अमेरिकन की होती है।
महाराज के श्रद्धालु भक्तों मे अमेरिकन, एप्पल सीईओ स्टीव जाब्स, सबसे बडी सोशल साइड फैसबुक संस्थापक मार्क जुकरबर्ग, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा, सु- विख्यात लेखक, रिचर्ड अल्बर्ट, हालिवुड अभिनेत्री जूलिया राबर्टस इत्यादि का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है। रिचर्ड अल्बर्ट ने महाराज जी के चमत्कारी कार्यो व विचारों से प्रभावित होकर महाराज के सानिध्य में 1967 के आसपास कुछ वक्त गुजार अपने जीवन की दशा व दिशा में अप्रत्याशित बदलाव कर महाराज के व्यक्तित्व व कृतित्व पर ’मिरेकल आफ लव’ नामक शीर्षक से पुस्तक की रचना की थी जिसमें महाराज के चमत्कारों का विस्तार से वर्णन किया गया है। महाराज द्वारा ही रिचर्ड अल्बर्ट को ’रामदास’ नाम दिया गया था जिस नाम से वैश्विक फलक पर इस लेखक को अपार ख्याति अर्जित हुई थी।
पश्चिमी दुनिया में बाबा रामदास और बाबा भगवान दास द्वारा नीब करौरी महाराज के विचारों, कार्यो व चमत्कारों को अपने वक्तव्यों तथा प्रभावशाली लेखनी से इतना प्रचारित व प्रसारित किया कि महाराज की महिमा को वैश्विक फलक पर बडी संख्या मे जाना पहचाना गया। महाराज के भक्तो की संख्या में अपार वृद्धि होती चली गई। महाराज के अनुयायी उनके द्वारा बताए सिद्धांतों से आज भी मार्ग दर्शन प्राप्त कर प्रगति के पथ पर अग्रसर होते नजर आते हैं।
असाधारण काबिलियत, अनमोल विचारों के धनी, एक अद्भुत गुरु, अलौकिक रूप से अपने भक्तों के साथ सदैव विराजमान रहने वाले, परम पूज्य बाबा श्री नीब करौरी महाराज द्वारा स्थापित ’श्री कैची धाम’ में भक्तों द्वारा केवल कंबल चढ़ाने की परम्परा का निर्वाह किया जाता है। धाम की रसोई में शाकाहारी भोजन भक्तों के लिए बनाया जाता है। बाबा का पसंदीदा चना अनुयाईयों को प्रसाद स्वरूप दिया जाता है।
– सी एम पपनैं
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