देवभूमि उत्तराखंड के देव रतूड़ी की कहानी चीन के स्कूलों में पढ़ रहे हैं बच्चे

देवभूमि उत्तराखंड के देव रतूड़ी की कहानी चीन के स्कूलों में पढ़ रहे हैं बच्चे

कई फिल्म स्टार्स की कहानी दुनिया के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं होती। ऐसी ही एक कहानी उत्तराखंड के टिहरी जिले के केमरया सौड़ के रहने वाले देव रतूड़ी की भी है। देव रतूड़ी यहां से चीन गए तो थे एक वेटर की नौकरी करने के लिए, लेकिन आज वो वहां के दिग्गज स्टार्स में गिने जाते हैं।

उत्तराखंड के देव रतूड़ी कई वर्षों से चीन में शानक्सी प्रांत के शीआन शहर में रह रहे हैं। देव रतूड़ी का जन्म 1976 में उत्तराखंड के छोटे से गांव केमरया सौड में हुआ था। उनके पिता एक साधारण किसान थे और वह पांच भाई-बहनों के साथ बेहद गरीब परिस्थितियों में पले-बढ़े।

उनके परिवार की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर थी और कुछ रिश्तेदारों के सहयोग से देव रतूड़ी ने हाई स्कूल से स्नातक की पास की। वह बताते हैं कि आठवीं कक्षा में प्रवेश करने से पहले, मेरा परिवार इतना गरीब था कि मैं अक्सर नंगे पैर स्कूल जाने वाला एकमात्र बच्चा था, जब तक कि कभी-कभी कोई मुझे कुछ पुराने जूते दान नहीं करता था।

वह बताते हैं कि 1993 स्नातक होने के बाद, मैं राजधानी दिल्ली चला गया ताकि मैं काम की तलाश कर सकूं और उत्तराखंड में अपने परिवार का पालन पोषण करने में मदद कर सकूं और साथ ही आगे की शिक्षा के अवसर भी तलाश सकूं।

उन्होंने सफ़ाईकर्मी, दूधवाले और अन्य छोटे कर्मचारियों के सहायक के रूप में विभिन्न छोटे-मोटे काम करना शुरू कर दिया। उस समय, उन्हें प्रति माह केवल 10 अमेरिकी डॉलर के बराबर पैसा मिलता था।

उत्तराखंड के देव रतूड़ी चीनी फिल्मों के एक्टर

भारत के टिहरी के रहने वाले देव रतूड़ी आज फिल्म इंडस्ट्री का बड़ा नाम बन चुके हैं। जी नहीं, न तो बॉलीवुड के और न ही साउथ की फिल्मों के लिए बल्कि उन्होंने चीन की फिल्म इंडस्ट्री में अपने हुनर का डंका पीटा है।

चीन में एक वेटर का काम कर चुके देव रतूड़ी आज चीन की फिल्म इंडस्ट्री का अहम हिस्सा बन चुके हैं। देव ने 20 से अधिक चीनी फिल्मों, टीवी और वेब सीरीज में शानदार भूमिका निभाई है। उत्तराखंड के रहने वाले देव रतूड़ी एक किसान परिवार का हिस्सा हैं।

देव रतूड़ी मशहूर दिवंगत एक्टर और मार्शल स्टार ब्रूस ली के बहुत बड़े फैन हैं। उन्होंने बताया कि दिल्ली जाकर मार्शल आर्ट सीखा फिर कुछ समय बाद वो एक्टर बनने का सपना लिए 1998 में मुंबई रवाना हुए, लेकिन उन्हें हर ऑडिशन के बाद निराशा ही हाथ लगी। लेकिन बॉलीवुड में ज्यादा भूमिकाएं नहीं मिलने के बाद वह वापस दिल्ली आ गये और वहीं पर काम करना जारी रखा।

उन्होंने बताया कि उनके काम को देखकर उन्हें कई फिल्मों और वेब सीरीज के ऑफर मिल रहे हैं। देव रतूड़ी ने ये कभी नहीं सोचा था कि उन्हें चीनी फिल्मी इंडस्ट्री का हिस्सा बनने का मौका मिलेगा। मजेदार ये है कि शांक्सी प्रांत के शीआन शहर के स्कूलों में क्लास 7 वीं के स्टूडेंट्स को देव रतूड़ी की कहानी पढ़ाई जा रही है।

उन्होंने बताया कि वर्ष 2005 में बीजिंग के एक रेस्ट्रॉन्ट में वेटर का काम किया। उन्होंने बताया कि वहां उन्हें 10 हजार रुपये सैलरी मिलती थी और वेटर का काम करते हुए उन्होंने मंदारिन भाषा सीख ली। मार्शल आर्ट में वो ट्रेन थे ही इसलिए उन्हें खुद पर भरोसा भी था।

रेड फोर्ट नाम से रेस्ट्रॉन्ट खोला

करीब 7 साल तक देव रतूड़ी ने कड़ी मेहनत की और एक जर्मन रेस्ट्रॉन्ट के मैनेजर बने और साल 2010 में एक हॉस्पिटैलिटी चेन के एरिया डायरेक्टर बन गए। साल 2013 में देव ने रेड फोर्ट नाम से खुद का रेस्ट्रॉन्ट खोल लिया।

देव रतूड़ी को आखिरकार वो मौका मिल ही गया जिसकी उन्हें बरसों से तलाश थी। उन्हें पहला ब्रेक मिल ’स्वात’ फिल्म से जिसमें रोल तो छोटा था लेकिन इसके बाद फिर उन्होंने कभी मुड़कर नहीं देखा।

उन्होंने बताया कि अब वह उत्तराखंड और कनाड़ा में अपने रेस्टोरेंट की चेन खोलने वाले हैं और उन्हें उम्मीद है कि अगले साल उनकी यह इच्छा भी पूरी हो जायेगी।

Hill Mail
ADMINISTRATOR
PROFILE

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked with *

विज्ञापन

[fvplayer id=”10″]

Latest Posts

Follow Us

Previous Next
Close
Test Caption
Test Description goes like this