नैनीताल हाईकोर्ट ने चारधाम यात्रा में फैली अव्यवस्थाओं और लगातार हो रही घोड़े खच्चरों की मौत पर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने याचिका में उठाए गए बिंदुओं के निस्तारण के लिए सरकार व याचिकाकर्ताओं से सहमति पत्र पेश करने को कहा है।
चारधाम यात्रा में फैली अव्यवस्थाओं और लगातार हो रही घोड़ों की मौतों के मामले पर दायर जनहित याचिकाओं पर हाईकोर्ट ने सुनवाई की और समस्याओं के निस्तारण के लिए सरकार और याचिकाकर्ताओं से सहमति पत्र पेश करने के लिए कहा है।
चारधाम यात्रा में अब घोड़ों और खच्चरों से रात में काम नहीं लिया जाएगा। उनकी क्षमता के अनुसार ही भार लादा जाएगा। घोड़ों और खच्चरों से एक दिन में एक ही चक्कर लगवाया जाएगा। यह सहमति हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाले और सरकार के बीच बनी है।
मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। दिल्ली निवासी समाजसेवी गौरी मौलेखी और आचार्य अजय गौतम ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि चारधाम यात्रा में अब तक 600 घोड़ों की मौत हो गई है। इससे उस इलाके में बीमारी फैलने का खतरा बन गया है। याचिका में कहा कि जानवरों और इंसानों की सुरक्षा के साथ उनको चिकित्सा सुविधा दी जाए।
याचिका में यह भी कहा गया कि चारधाम यात्रा में भीड़ लगातार बढ़ती जा रही है जिससे जानवरों और इंसानों के भोजन और रहने की समस्या आ रही है। कोर्ट से मांग की गई कि यात्रा में कैरिंग कैपेसिटी के हिसाब से ही श्रद्धालुओं, घोड़ों और खच्चरों को भेजा जाए।
उतने ही लोगों को अनुमति दी जाए जिससे लोगों को खाने-पीने रहने की सुविधा मिल सके। जानवरों पर अत्याचार नहीं किया जाए।
सुनवाई के दौरान सचिव पशुपालन और जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग सहित कई अन्य अधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुए और उन्होंने अभी तक उठाए गए कदमों की जानकारी दी।
हाईकोर्ट ने चारधाम यात्रा में फैली अव्यवस्थाओं और लगातार हो रही घोड़ों की मौतों के मामले पर दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई की और समस्याओं के निस्तारण के लिए सरकार और याचिकाकर्ताओं से सहमति पत्र पेश करने के लिए कहा है।
गढ़वाल आयुक्त ने कुछ समय पहले पशुपालन विभाग को निर्देशित किया था कि चारधाम यात्रा में चलने वाले घोड़ा-खच्चर का स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए सभी पंजीकृत घोड़ा-खच्चर की पहले अनिवार्य रूप से टैस्टिंग की जाये तथा टैस्टिंग रिपोर्ट नेगेटिव आने के उपरांत ही संबंधित पशुधन को यात्रा में चलने की अनुमति दी जाय।
पशुधन का यात्रा दौरान स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए ऊंचाई वाले इलाकों में पीने के लिए गर्म पानी की व्यवस्था की जाये तथा उनके ठहरने के लिए शैड का निर्माण किया जाये।
उन्होंने कहा था कि पशुओं के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए पशुचिकित्सकों की जगह-जगह तैनाती सुनिश्चित हो, उनका टीकाकरण भी हो तथा उनका यात्रा में चलने का रोस्टर हो ताकि घोड़ा-खच्चर को भी पर्याप्त आराम मिल सके।
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