नैनीताल की घोड़ा लाइब्रेरी को पीएम मोदी ने सराहा, मन की बात कार्यक्रम में युवाओं की तारीफ

नैनीताल की घोड़ा लाइब्रेरी को पीएम मोदी ने सराहा, मन की बात कार्यक्रम में युवाओं की तारीफ

नैनीताल में दुर्गम इलाकों तक घोड़े के जरिए किताबें पहुंचाने की पहाड़ी युवा की नायाब पहल को प्रधानमंत्री मोदी ने भी सराहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में नैनीताल की घोडा लाइब्रेरी का जिक्र किया और इसे संचालित करने वाले युवाओं की सराहना की है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारे देश में शिक्षा को हमेशा एक सेवा के रूप में देखा जाता है। मुझे उत्तराखंड के कुछ ऐसे युवाओं के बारे में पता चला है, जो इसी भावना के साथ बच्चों की शिक्षा के लिए काम कर रहे हैं। नैनीताल जिले में कुछ युवाओं ने बच्चों के लिए अनोखी घोड़ा लाइब्रेरी की शुरुआत की है। इस लाइब्रेरी की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि दुर्गम से दुर्गम इलाकों में भी इसके जरिए बच्चों तक पुस्तकें पहुंच रही हैं और इतना ही नहीं, ये सेवा, बिल्कुल निशुल्क है।

उन्होंने कहा कि अब तक इसके माध्यम से नैनीताल के 12 गांवों को कवर किया गया है। बच्चों की शिक्षा से जुड़े इस नेक काम में मदद करने के लिए स्थानीय लोग भी खूब आगे आ रहे हैं। इस घोड़ा लाइब्रेरी के जरिए यह प्रयास किया जा रहा है, कि दूरदराज के गांवों में रहने वाले बच्चों को स्कूल की किताबों के अलावा ‘कविताएं’, ‘कहानियां’ और ‘नैतिक शिक्षा’ की किताबें भी पढ़ने का पूरा मौका मिले। ये अनोखी लाइब्रेरी बच्चों को भी खूब भा रही है।

किताबों को इंसान का सबसे अच्छा दोस्त माना जाता है। एक तो यह हमारे ज्ञान को बढ़ाती हैं, साथ ही मानसिक और भावनात्मक रूप से बढ़ने में मददगार साबित होती हैं। दुर्भाग्य से आज की व्यस्तता भरी जिंदगी में इंसान की किताबों से दूरी बढ़ रही है। बच्चों की बात करें तो स्मार्ट फोन्स, टीवी और लैपटॉप के कारण वे किताबें पढ़ने की आदत भूल रहे हैं और लगातार फोन में अपना समय बर्बाद करते रहते हैं।

बच्चों के बीच पढ़ने की आदत को बढ़ावा देने के लिए उत्तराखंड के युवाओं ने अनूठी पहल की है जिससे दूरस्थ क्षेत्रों में भी बच्चों को आसानी से किताबें मिल पा रही हैं। इन युवाओं ने जून में घोड़े पर चलती-फिरती लाइब्रेरी यानी ‘घोड़ा लाइब्रेरी’ शुरू की है जो कि गांवों में पहुंचकर बच्चों को किताबें मुहैया करा रही है। इस लाइब्रेरी के जरिये सामान्य ज्ञान, प्रेरक-मनोरंजक कहानियों और नैतिक शिक्षा संबंधी पुस्तकों तक बच्चों की पहुंच संभव हुई है।

उत्तराखंड के पहाड़ों की वादियों में चलती फिरती घोड़ा लाइब्रेरी को बच्चे खूब पसंद कर रहे हैं। बच्चे पढ़ाई से महरूम ना रहें, इसके लिए ये कवायद शुरू की गई है। ग्रामीण युवकों की पहल रंग लाने लगी है, जिसे लोगों का भी सहयोग मिल रहा है। बेशक छुट्टियों में बच्चे विद्यालयों से दूर हो रहे हों लेकिन पुस्तकें, बच्चों से दूर नहीं हैं।

नैनीताल जिले के शुभम बधानी ने कुछ अन्य युवाओं के साथ मिलकर बच्चों को साहित्य और नैतिक शिक्षा से जोड़ने की मुहिम तहत यह घोड़ा लाइब्रेरी शुरू की है। उन्होंने बताया कि स्थानीय लोगों को हमारा विचार पसंद आया और उन्होंने हमारे लिए अपने घोड़े का प्रस्ताव किया। नैनीताल जिले के सुदूरवर्ती कोटाबाग विकासखंड के गांव बाघनी, जलना, महलधुरा, आलेख, गौतिया, ढिनवाखरक, बांसी में भयंकर बरसात के बाद हुई छुट्टियों में भी, हिमोत्थान द्वारा संकल्प यूथ फाउंडेशन संस्था की मदद से बच्चों तक बाल साहित्यिक पुस्तकें पहुंचाई जा रही हैं। जून माह में शुरू होने के बाद से यह घोड़ा लाइब्रेरी 50 पहाड़ी गांवों को कवर कर चुकी है।

गर्मियों की छुट्टियों से शुरू हुआ घोड़ा लाइब्रेरी का यह सिलसिला, बरसात की कठिनाईयों में भी जारी है और पहाड़ के बच्चों के लिए एक संजीवनी का काम कर रहा है। जहां एक ओर उत्तराखंड में मूसलाधार बरसात, अतिवृष्टि के कारण विद्यालय बंद है, वहीं कई गांव में बादल फटने के कारण जन जीवन तबाह हो चुका है। पर्वतीय गांवों का संपर्क ब्लॉक मुख्यालय से कट चुका है। ऐसी परिस्थितियों में बच्चों की शिक्षा को लेकर भी एक बहुत बड़ा संकट सभी के सामने है। इस परिस्थिति में पहाड़ के बच्चों के घर तक पुस्तकें पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया।

इस परिस्थिति में इन दुर्गम पहाड़ी इलाकों में बच्चों तक पुस्तकें पहुंचाने का केवल एक रास्ता बचा था जोकि घोड़ा है। इसलिए संस्था के प्रोजेक्ट एसोसिएट/लाइब्रेरी कार्डिनेटर शुभम बधानी ने पहल शुरू की और एक चलती फिरती लाइब्रेरी जिसके कदम पहाड़ों की चढ़ाई में भी निरंतर आगे बढ़ें और नाम दिया गया घोड़ा लाइब्रेरी। इस मुहिम की सबसे खास बात यह है कि इसमें घोड़ों का सहयोग कम्युनिटी द्वारा दिया जा रहा है। अभिभावकों के बीच से ही किसी एक अभिभावक द्वारा हफ्ते में एक दिन के लिए अपने घोड़े का सहयोग, घोड़ा लाइब्रेरी के लिए दिया जाता है।

Hill Mail
ADMINISTRATOR
PROFILE

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked with *

विज्ञापन

[fvplayer id=”10″]

Latest Posts

Follow Us

Previous Next
Close
Test Caption
Test Description goes like this