पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय में 114वें कृषि कुम्भ का शुभारम्भ

पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय में 114वें कृषि कुम्भ का शुभारम्भ

विश्वविद्यालय के 114वें अखिल भारतीय किसान मेले एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी का उद्घाटन मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित राज्यपाल ले. जनरल गुरमीत सिंह द्वारा फीता काटकर किया गया।

मेले के उद्घाटन के पश्चात कुलपति, डा. मनमोहन सिंह चौहान द्वारा महामहिम राज्यपाल को मेले में लगी उद्यान प्रदर्शनी तथा विश्वविद्यालय द्वारा लगी विभिन्न प्रदर्शनियों के स्टालों का अवलोकन कराया गया। मुख्य उद्घाटन समारोह गांधी हाल सभागार में आयोजित किया गया जिसकी अध्यक्षता निदेशक प्रसार शिक्षा, डा. जे.पी. जायसवाल द्वारा की गयी। इस अवसर पर कुलपति, डा. मनमोहन सिंह चौहान, किसान आयोग के उपाध्यक्ष राजपाल सिंह, किच्छा विधायक तिलक राज बहेड़, निदेशक प्रसार शिक्षा, डा. जे.पी. जायसवाल; निदेशक शोध, डा. ए.एस. नैन, एवं अन्य अतिथि उपस्थित थे।

मुख्य अतिथि महामहिम राज्यपाल ले. जनरल गुरमीत सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि विश्वविद्यालय में आयोजित किसान मेले में आकर बड़ा हर्ष हुआ, जिसमें विद्यार्थियों द्वारा मॉडल के माध्यम से कृषि तकनीकों, ए.आई., जलवायु तकनीक के नवाचार को प्रस्तुत किया है जोकि एक प्रसंशनीय कार्य है। उन्होंने कहा कि हमें एकजुटता के साथ मिलकर आगे बढ़ना चाहिए। आज हर्ष का दिन इसलिए भी है कि विश्वविद्यालय में किसानों एवं वैज्ञानिकों को उनके उत्कृष्ट तकनीकों के लिए सम्मानित किया गया है।

उन्होंने कहा कि बीज के उत्पादन में क्रांति लाने की आवश्यकता है। किसान मेले में उत्तराखंड की स्वयं सहायता महिलाओं द्वारा पैकिंग की गुणवत्ता बहुत ही अच्छे ढंग से की गयी है जोकि एक सराहनीय कार्य है। उन्होंने आने वाला समय महिलाओं और बेटियों का बताया। खाद्य के क्षेत्र में विश्वविद्यालय की भूमिका रही है। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने नवाचार, नयी प्रजातियों, तकनीकों को किसानों तक मुहैय्या कराया है जिससे किसान उन तकनीकों को उपयोग में लाकर अपनी आय में वृद्वि कर रहें है।

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय पूर्व में आईसीएआर द्वारा तीन बार सरदार बल्लभ भाई उत्कृष्ट अवार्ड से सम्मानित किया गया है और आशा करता हूं कि अगले साल यह अवार्ड पुनः प्राप्त हो। उन्होंने विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को चुनौती दी की 100 कि.ग्रा. से अधिक का सीताफल विश्वविद्यालय में उगाया जाये। प्रधानमंत्री जी की मुहिम अन्तर्राष्ट्रीय मोटे अनाज वर्ष 2023 को 72 देशों में श्रीअन्न के रूप में मनाया जा रहा है। उन्होने मिलेट को प्रभु के भोजन का आर्शीवाद बताया। उन्होंने कहा कि मोटे अनाज में पोषक तत्वों की मात्रा अधिक होती है जिससे हमारा शरीर रोगमुक्त हो जाता है। उन्होंने बीज के क्षेत्र में क्रांति लाने की आवश्यकता पर बल दिया तथा नवीनतम तकनीकों को किसानो तक पहुंचाने का आह्वान किया।

राजपाल सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय में शोध की आवश्यकता है क्योंकि आने वाले समय में पानी की किल्लत होने की संभावना है। उन्होंने बताया कि जिस तरह मृदा में रासायनिक उर्वरक, यूरिया आदि का उपयोग हो रहा है जिससे पानी का स्तर घटता जा रहा है। उन्होंने कहा कि लघु उद्योग एवं कुटीर उद्योग को बढ़ावा देने की बात कही।

इस अवसर पर कुलपति डा. मनमोहन सिंह चौहान ने कहा कि 114वें किसान मेले में अब तक 450 स्टाल लगाये जा चुके है और रू. 36 लाख की आय हुई है जोकि अब तक का रिकार्ड है। देश में 33 करोड टन अनाज पैदा हो रहा है जो देश की 140 करोड की जनसंख्या का पेट भर रहा है। यह सब वैज्ञानिकों एवं किसानों के सहयोग से हो पाया है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष दलहन में विश्वविद्यालय में 7 प्रजातियां विकसित की गयी हैं, जो कुल मिलाकर अब तक विभिन्न फसलों की 252 प्रजातियां विकसित हुई हैं। उन्होंने वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि नवीन तकनीकों को विकसित करने की आवश्यकता है। उन्होंने सभी से सहयोग करने का आह्वान किया।

उद्घाटन सत्र के प्रारम्भ में निदेशक प्रसार शिक्षा डा. जे.पी. जायसवाल ने सभी आगन्तुकों का स्वागत किया एवं मेले के विषय में जानकारी दी। कार्यक्रम के अंत में विश्वविद्यालय के निदेशक शोध डा. ए.एस. नैन ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। इस अवसर पर मंचासीन अतिथियों द्वारा विभिन्न कृषि साहित्यों का विमोचन किया गया तथा उत्तराखंड के विभिन्न जिलों के कृषि विज्ञान केन्द्र के माध्यम से चयनित 9 कृषकों और विभिन्न फसलों की प्रजातियों को विकसित करने वाले वैज्ञानिकों को भी सम्मानित किया गया।

गांधी हाल में किच्छा विधायक तिलक राज बहेड, जिलाधिकारी ऊधमसिंह नगर, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, जिला विकास अधिकारी, एसडीएम, अधिष्ठाता, निदेशकगण, संकाय सदस्य, किसान, विद्यार्थी, वैज्ञानिक, शिक्षक, अधिकारी, विभिन्न कम्पनियों के प्रतिनिधि एवं अन्य आगंतुक उपस्थित थे। मेले में उत्तराखंड के विभिन्न जनपदों के साथ-साथ अन्य प्रदेशों तथा नेपाल के किसान भी उपस्थित थे।

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