आज अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस है। जानकारी के मुताबिक इस धरा पर (पृथ्वी) 27 प्रतिशत हिस्से में पहाड़ स्थित हैं और दुनियां की कुल आबादी का 15 प्रतिशत लोग पहाड़ों में रहते हैं।
लोकेंद्र सिंह बिष्ट, उत्तरकाशी
पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाले लगभग 900-950 मिलियन लोगों के बराबर है। दुनियां में समुद्रतल से पर्वतीय क्षेत्रों को समुद्र तल से 2,000 फीट यानि 610 मीटर से अधिक की ऊंचाई वाले क्षेत्रों को पहाड़ी क्षेत्र माना गया है।
पर्वतीय क्षेत्रों में आबादी बहुत कम होती है क्योंकि पहाड़ों में तीव्र ढलान है और उपजाऊ मिट्टी की बहुत कमी है। यहां की परिस्थितियां कृषि के लिए ज्यादा अनुकूल नहीं होती हैं। दूसरी ओर यहां का वातावरण खड़ी ढलानें, परिवहन यातायात और भौतिक संचार को कठिन बना देती हैं।
पृथ्वी के लगभग 27 प्रतिशत हिस्से पर पहाड़ विराजमान हैं और ये भी ध्यान देने की बात है कि ये पहाड़ एक टिकाऊ आर्थिक विकास की तरफ़ दुनिया की बढ़त में बहुत अहम भूमिका निभाते हैं।
इसी भारी जनसंख्या को देखते हुए पहाड़ों के लिए अलग से नीति बनाने, पहाड़ों के पर्यावरण को बचाए रखने के लिए, यहां के पारस्थितिकी तंत्र को बचाए रखने के उद्देश्य को मध्यनजर रखते हुए। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को सतत पर्वतीय विकास के महत्त्व को उजागर करने के लिए दुनियाभर के लोगों को भी प्रोत्साहित किया जाये।
पहली बार पहाड़ों के संरक्षण को लेकर दुनिया का ध्यान 1992 में गया, जब पर्यावरण और विकास पर यूएन सम्मेलन में एजेंडा 21 के अध्याय 13 के तहत “नाज़ुक पारिस्थितिकी तंत्र का प्रबंधनः सतत पर्वतीय विकास“ पर जोर दिया गया। इस तरह से व्यापक समर्थन के साथ संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2002 को अंतर्राष्ट्रीय पर्वत वर्ष घोषित किया।
इस घोषणा के बाद दुनियाभर में पहली बार 11 दिसंबर 2003 को पहला अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस मनाया गया था। इसके बाद से इस खास दिवस को मनाने की परंपरा चली आ रही है।
अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस ने पहाड़ों की पारिस्थितिकी के मुद्दे को गंभीरता से लेने के लिए अहम भूमिका निभाई। इसका असर पर्वतीय पर्यटन पर भी पड़ता है। उसी का नतीजा है कि पिछले कुछ सालों में पर्वतीय पर्यटन की लोकप्रियता में इजाफा देखा गया है। पर्यटन पहाड़ों में रहने वाले लोगों के लिए आर्थिक महत्व रखता है क्योंकि इससे इन लोगों के साथ सतह पहाड़ी राज्यों की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में भी मदद मिलती है।
हालांकि वर्तमान में ये महसूस किया जा रहा है की पहाड़ों में पर्यटकों की घोर लापरवाही और जहां तहां कूड़ा कचरा फैलाने से पर्यावरण को नुकसान के साथ पर्वतीय पारिस्थितिक तंत्र के कमजोर पड़ने का भी खतरा बढ़ा है। ऐसे में हर नागरिक का कर्तव्य है कि वो अपने पर्यावरण की रक्षा कर जैव विविधता को बनाए रखने में योगदान दे।
जीवन के लिए पहाड़ों के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करने, पहाड़ के विकास में अवसरों और बाधाओं को उजागर करने और गठबंधन बनाने के लिए हर साल 11 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय पर्वतीय दिवस मनाया जाता है जो दुनिया भर में पहाड़ के लोगों के व्यवहार के साथ साथ पहाड़ों में प्रतिवर्ष आने वाले करोड़ों पर्यटकों और तीर्थयात्रियों और घुम्मक्कड़ियों के व्यवहार में बदलाव लाने से पहाड़ के पर्यावरण में सकारात्मक बदलाव आएगा।
इसी के चलते संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2002 को संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय पर्वत वर्ष घोषित किया और 11 दिसंबर 2003 से अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस के रूप में नामित किया। संयुक्त राष्ट्र का खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) पर्वतीय मुद्दों के बारे में अधिक जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए इस दिवस को वार्षिक उत्सव का समन्वय करता है।
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