प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर जीवन जीने की कला ही वास्तु शास्त्र है – आचार्य सुशील बलूनी

प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर जीवन जीने की कला ही वास्तु शास्त्र है – आचार्य सुशील बलूनी

बजाज हिन्दुस्थान शुगर लिमिटेड, इकाई कुंदरखी में छः दिवसीय स्थापत्य एवं वास्तु ज्ञान यज्ञ का शुभारम्भ किया गया। इस अवसर पर यूनिट की सभी माताओं, बहनों तथा पुरुषों ने हर्षोल्लास व उत्साह के साथ वैदिक रीति से पूजन अर्चन के बाद वृहद्द कलश यात्रा का आयोजन किया। इसके बाद विधिवत आचार्य सुशील बलूनी द्वारा विधिवत पूजन व वरण किया गया।

इस कथा कार्यक्रम में आज के मुख्य अतिथि विधायक तरबगंज प्रेम नारायण पाण्डेय तथा डॉ. एस. के. सिंह, राज्य सलाहकार, (उत्तर प्रदेश सरकार) रहे। कथा व्यास आचार्य सुशील बलूनी ने सभी सुनने वालें तथा बजाज परिवार का इस आयोजन को करवाने के लिए धन्यवाद देते हुए अगले छः दिनों के कार्यक्रमों के बारे में श्रोताओं को अवगत कराया।

प्रथम दिवस आचार्य सुशील बलूनी ने बताया कि प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर जीवन को जीने की कला ही वास्तु शास्त्र है। वास्तु शास्त्र में आध्यात्मिक व प्रयोगात्मक पक्षों पर विशेष चर्चा हुई। प्रभु श्रीराम के जीवन पर प्रकाश डालते हुए आचार्य सुशील बलूनी ने समभाव में कैसे जीवन को जीना चाहिए तथा माताओं, बहनों को अपना समग्र विकास कर अपनी संतानों व समाज में कैसे संस्कार प्रेषित करने चाहिए, इस पर श्रद्धालुओं को अवगत कराया गया।

कथा के बीच में यूनिट के बच्चों ने सुन्दर प्रस्तुति दी तथा पूरे मनोभाव से कथा में भाग लिया। वहीं यूनिट हेड पी.एन. सिंह एवं जोनल एच.आर. हेड एन.के. शुक्ला ने संयुक्त रूप से बताया कि प्रतिदिन सायंकाल 4.00 बजे से हरि इच्छा तक कथा चलेगी।

आचार्य सुशील बलूनी ने श्रृष्टि के निर्माण में विष्णु जी तथा योग माया के बारे में बताते हुए कहा कि वास्तु पुरूष के वैज्ञानिक विषयों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि सनातन परंपरा में किस प्रकार भवन, राजप्रासाद, मंदिर तथा विद्यालयों के निर्माण के साथ-साथ कैसे नगरों के निर्माण में भी वास्तुशास्त्र का उपयोग किया जाता था।

इसके अतिरिक्त चौरासी लाख योनियों की चर्चा करते हुए आचार्य सुशील बलूनी जी ने कहा कि ‘आत्मा के परिष्कृत होने में प्रकृति उसको परिष्कृत करने के लिए कितने क्रिया कलापों से गुजरती है’ आत्मा पाषाणों से लेकर वृक्षों, जलचर, थलचर, उभयचर, नभचर फिर चतुष्पाद व द्विपाद तक की अपनी क्लिष्ट यात्रा को कैसे-कैसे पार करती है। अन्योन्य जीवों में मानव किस प्रकार भिन्न है कथा में आचार्य सुशील बलूनी जी ने आत्मा-परमात्मा से संबंधित अनेकों मार्मिक किन्तु गूढ़ विषयों पर चर्चा की। कथा समापन से पूर्व दिशाओं, कोणों, ब्रह्म स्थान, भवन वास्तु, व्यावसायिक वास्तु, कृषि वास्तु तथा संयंत्र वास्तु संबंधी नियमों पर भी प्रकाश डाला गया है। आखिरी दिन आरती व भजनों के साथ कथा का समापन किया गया।

कथा में जीएम केन एन.के. दुबे, उत्पादन हेड राघवेन्द्र श्रीवास्तव, वरिष्ठ गन्ना प्रबंधक निखिलेश सिंह, सुरक्षा प्रमुख धर्मेन्द्र मिश्रा, कमलेश कुमार, राम मूरत पाठक, अखिलेश तिवारी, अवधराज सिंह, द्वारिका प्रसाद तिवारी, निर्भय सिंह, मथंकर सिंह, सत्येंद्र सिंह, विक्रम सिंह, अरूणेश कुमार यादव, दिलीप कुमार सिंह, प्रहलाद, विष्णु पाण्डेय, परमेश्वर दत्त मिश्र, बबलू प्रधान, चीनी मिल के अधिकारियों, कर्मचारियों सहित सैकड़ों माताओं, बहनों व बच्चों ने कथा का श्रवण किया।

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