चारधाम यात्रा : हिंदू आस्था की सबसे बड़ी धार्मिक यात्रा

चारधाम यात्रा : हिंदू आस्था की सबसे बड़ी धार्मिक यात्रा

10 मई को गंगोत्री-यमुनोत्री और केदारनाथ धाम खुलने के साथ ही चारधाम यात्रा शुरू हो गई। कल बद्रीनाथ धाम के कपाट खुल भी खुल जायेंगे इसके साथ ही चारधाम यात्रा की विधिवत शुरुआत हो जाएगी।

उत्तराखंड की चारधाम यात्रा हिंदुओं के आस्था की सबसे बड़ी यात्रा है। पौराणिक मान्यता है कि चारधाम यात्रा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। सदियों से यह धार्मिक यात्रा जारी है। देश के कोने-कोने से हर साल श्रद्धालु चारधाम यात्रा के लिए उत्तराखंड पहुंचते हैं और भगवान शिव के प्रमुख स्थान केदारनाथ धाम, भगवान विष्णु के स्थान बदरीनाथ धाम, गंगोत्री और यमुनोत्री की धार्मिक यात्रा करते हैं। इस साल चारधाम यात्रा की शुरुआत 10 मई से हो गई है। चारधाम यात्रा के लिए पंजीकरण की शुरुआत 15 अप्रैल से ही गई थी। श्रद्धालुओं में इस साल चारधाम यात्रा को लेकर गजब का उत्साह देखा जा रहा है। उत्तराखंड पर्यटन विभाग और सरकार को उम्मीद है कि इस साल की चारधाम यात्रा पिछले साल का रिकॉर्ड तोड़ सकती है। साल 2023 में 56 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने चारों धामों में दर्शन किए थे।

सबसे पहले पांडवों ने किया था केदारनाथ धाम का निर्माण

उत्तराखंड के गढ़वाल स्थित केदार नामक चोटी पर बना केदारनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इसे भगवान शिव का विशेष धाम माना गया है। इस मंदिर की अपनी धार्मिक और पौराणिक मान्यताएं हैं। मंदिर नर और नारायण पर्वत के बीच में बसा हुआ है। पौराणिक कथा के मुताबिक, हिमालय के केदार श्रृंग पर भगवान विष्णु के अवतार महातपस्वी नर और नारायण ऋषि तपस्या करते थे। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए और उनकी प्रार्थनानुसार ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा वास करने का वर दिया।

पौराणिक कथा के अनुसार, महाभारत के बाद पांडवों के स्वर्ग जाते वक्त भगवान शिव ने भैंसे के रूप में उन्हें दर्शन दिए जो बाद में धरती में समा गए। धरती में पूर्णतः समाने से पहले भीम ने भैंसे की पूछ पकड़ ली। जिस स्थान पर भीम ने यह किया उसे वर्तमान में केदारनाथ धाम के नाम से जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि पांडवों के निर्माण के बाद यह मंदिर लुप्त हो गया था। आठवीं सदी में आदि गुरु शंकराचार्य ने भगवान शिव के इस मंदिर का फिर से निर्माण करवाया। केदारनाथ मंदिर 400 सालों तक बर्फ में दबा रहा था। वैज्ञानिक भी मानते हैं कि 13वीं से लेकर 17वीं सदी तक छोटा सा हिमयुग आया था जिस दौरान यह मंदिर बर्फ में दबा रहा। केदारनाथ मंदिर के पीछे आदिशंकराचार्य की समाधि है। 10वीं सदी में मालवा के राजा भोज और फिर 13वीं सदी में इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया।

पहले शिव का स्थान था बदरीनाथ फिर श्रीहरि ने मांग लिया

इस साल बदरीनाथ धाम के कपाट 12 मई को खुल रहे हैं। भगवान विष्णु का यह पवित्र मंदिर नर और नारायण पर्वत श्रृंखलाओं की गोद में अलकनंदा नदी के बायीं तरफ बसा है। यह पवित्र स्थल भगवान विष्णु के चतुर्थ अवतार नर एवं नारायण की तपोभूमि है। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति बद्रीनाथ के दर्शन कर लेता है, उसे माता के गर्भ में दोबारा नहीं आना पड़ता। प्राणी जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है। भगवान विष्णु से पहले यह स्थान शिव का था। भगवान विष्णु को यह जगह तप के लिए पसंद आई तो वह बाल रूप धारण कर रोने लगे जिसे सुनकर स्वयं माता पार्वती और शिवजी उस बालक के समक्ष उपस्थित हुए और पूछा कि उसे क्या चाहिए? बालक वेशधारी विष्णु भगवान ने शिव से ध्यान के लिए यह स्थान मांग लिया। भगवान विष्णु ने शिव-पार्वती से रूप बदलकर जो स्थान प्राप्त किया, वही पवित्र स्थल बद्रीविशाल नाम से लोकप्रिय है।

पौराणिक मान्यता है कि भगवान विष्णु तपस्या में लीन थे तभी तेजी से हिमपात होने लगा। तपस्यारत श्रीहरि बर्फ से पूरी तरह ढकने लगे। तब माता लक्ष्मी ने एक विशालकाय बेर के वृक्ष का रूप धारण कर लिया और हिमपात को अपने ऊपर सहन करने लगीं। माता लक्ष्मी भगवान विष्णु को धूप, वर्षा और हिमपात से बचाने के लिए कठोर तपस्या करने लगीं। काफी वर्षों बाद जब श्रीविष्णु ने अपना तप पूर्ण किया तो देखा कि उनकी प्रिया लक्ष्मी बर्फ से ढकी हुई हैं। तब श्री हरि ने माता लक्ष्मी के तप को देखकर कहा – ’हे देवी! तुमने मेरे बराबर ही तप किया है इसलिए इस स्थान पर मुझे तुम्हारे साथ ही पूजा जाएगा और तुमने मेरी रक्षा बदरी वृक्ष के रूप में की है अतः मुझे ’बदरी के नाथ’ यानि बद्रीनाथ के नाम से जाना जाएगा। इस तरह से भगवान विष्णु का नाम बद्रीनाथ पड़ा। बद्रीनाथ धाम समुद्र तल से 10200 फीट की ऊंचाई पर है। मंदिर का बेस कैंप जोशीमठ है जहां भगवान नृसिंग का बेहद प्रसिद्ध मंदिर है। जोशीमठ से बद्रीनाथ मंदिर की दूरी करीब 45 किलोमीटर है।

चारधाम यात्रा पंजीकरण 22 लाख पार

इस साल अभी तक सबसे ज्यादा पंजीकरण केदारनाथ धाम के लिए हुआ है। चारधाम यात्रा पंजीकरण का आंकड़ा 9 मई तक 22 लाख पार हो गया। यमुनोत्री के लिए 3,56,134, गंगोत्री के लिए 4,06,263, केदारनाथ के लिए 7,83,107, बदरीनाथ के लिए 6,83,424 और हेमकुंड साहिब के लिए 48,041 पंजीकरण हो चुके हैं। वहीं, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी चारधाम यात्रा की तैयारियों को लेकर लगातार अधिकारियों के साथ बैठक कर रहे हैं। उन्होंने यात्रा से जुड़े अधिकारियों को श्रद्धालुओं के साथ शालीनता और सहनशीलता के सात पेश आने के निर्देश दिए हैं। सभी विभागों को अलर्ट मोड पर रहने के लिए कहा है।

चारधाम यात्रा के लिए जरूरी है पंजीकरण

चारधाम यात्रा के लिए श्रद्धालुओं को पंजीकरण कराना जरूरी है। चारधाम की यात्रा पर आने वाले श्रद्धालु उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद की वेबसाइट, एप, टोल फ्री नंबर और वाट्सएप के जरिए पंजीकरण करा सकते हैं। पिछली बार की तरह इस बार किसी भी धाम के लिए यात्रियों की संख्या सीमित करने का प्रावधान नहीं रखा गया है। श्रद्धालु चारधाम यात्रा के लिए पंजीकरण registrationandtouristcare.uk.gov.in वेबसाइट के माध्यम से करा सकते हैं। तीर्थयात्री वाट्सएप नंबर 91-8394833833 के माध्यम से भी अपना पंजीकरण करा सकते हैं। साथ ही श्रद्धालु टोल फ्री नंबर 0135 1364 से भी पंजीकरण करा सकते हैं। तीर्थयात्री touristcareuttarakhand एप से भी अपना पंजीकरण करा सकते हैं। लैडलाइन नंबरों 0135-1364, 0135-2559898, 0135-2552627 के माध्यम से भी श्रद्धालु चारधाम यात्रा के लिए पंजीकरण करा सकते हैं। touristcare-uttarakhand@gmail.com पर मेल भेजकर भी पंजीकरण कराया जा सकता है। अगर श्रद्धालु पंजीकरण के दौरान गलत जानकारी देते हैं तो उनका पंजीकरण रद्द हो जाएगा।

हर 2 घंटे में 10 मिनट विश्राम

चारधाम यात्रा करने वाले तीर्थयात्रियों के लिए स्वास्थ्य विभाग ने एसओपी जारी है। स्वास्थ्य विभाग ने श्रद्धालुओं को सलाह दी है कि केदारनाथ और यमुनोत्री धाम में पैदल चढ़ते समय प्रत्येक एक से दो घंटे के बाद 5 से 10 मिनट तक विश्राम करें। तीर्थयात्री अपने साथ गर्म कपड़े रखें और बारिश से बचाव के लिए रेनकोट व छाता साथ लाएं। साथ ही तीर्थयात्रियों को अपने साथ पल्स ऑक्सीमीटर, थर्मामीटर साथ रखने की सलाह दी गई है। हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, अस्थमा, मधुमेह से ग्रसित श्रद्धालु अपने साथ जरूरी दवा रखें और डॉक्टर का नंबर साथ रखें। अगर तीर्थयात्रा के दौरान किसी यात्री के सीने में दर्द, सांस की तकलीफ, चक्कर आना और उल्टी होती है तो नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र या मेडिकल रिलीफ में दिखाए। स्वास्थ्य विभाग ने एसओपी में यात्रियों से कहा है कि कम से कम सात दिन के लिए चारधाम यात्रा की योजना बनाएं। तीर्थयात्रियों की स्वास्थ्य सुविधा के लिए यात्रा मार्ग पर 50 स्क्रीनिंग प्वाइंट बनाए गए हैं। मेडिकल रिलीफ प्वाइंट में दवाओं का स्टॉक, ऑक्सीजन सिलिंडर व अन्य जरूरी उपकरण मौजूद रहेंगे।

बदरीनाथ धाम के लिए भी हेली सेवा

अभी तक केदारनाथ धाम और हेमकुंड साहिब के लिए ही हेली सेवा थी लेकिन इस बार बदरीनाथ धाम के लिए भी हेलीकॉप्टर सेवा संचालित की जा रही है। बदरीनाथ धाम के लिए हेली सेवा की शुरुआत गौचर से होगी। यह सेवा पहली बार संचालित की जा रही है। बदरीनाथ धाम के लिए हेली सेवा उत्तराखंड नागरिक उड्डयन प्राधिकरण (यूकाडा) करेगी। इस हेली सेवा का संचालन वही कंपनी करेगी जो हेमकुंड के लिए हेली सेवा संचालित करती है। इस वर्ष यदि यह हेली सेवा सफलतापूर्वक संचालित होती है तो फिर अगले साल से इसे नियमित रूप से संचालित किया जाएगा। उत्तराखंड नागरिक उड्डयन प्राधिकरण (यूकाडा) के सीईओ रविशंकर का कहना है कि इस साल परीक्षण के तौर पर इस हवाई सेवा को शुरू किया जा रहा है।

 

Hill Mail
ADMINISTRATOR
PROFILE

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked with *

विज्ञापन

[fvplayer id=”10″]

Latest Posts

Follow Us

Previous Next
Close
Test Caption
Test Description goes like this