उत्तराखंड के लोकपर्व हरेला को वैश्विक बनाने में डॉ. हरीश रौतेला का महत्वपूर्ण योगदान

उत्तराखंड के लोकपर्व हरेला को वैश्विक बनाने में डॉ. हरीश रौतेला का महत्वपूर्ण योगदान

उत्तराखंड में हरेला पर्व पर वृक्षारोपण के लिए 50 लाख पौधों को लगाए जाने का लक्ष्य तय किया गया है, इसमें वन विभाग के अलावा बाकी तमाम महकमे भी शामिल होंगे। सभी विभागों को हरेला पर जिम्मेदारी दी दी गयी है।

डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला

उत्तराखंड में हरेला पर्व को सिर्फ वृक्षारोपण तक सीमित ना रखते हुए जवाबदेही को भी इसमें जोड़ा जा रहा है। इसके लिए पहली बार हरेला पर्व पर लगने वाले पौधों की जियो टैगिंग की जा रही है। यही नहीं पंचायतों को भी अधिकार देकर इन्हें वनों से जोड़ने की कोशिश की गई है। बीते दिनों वनाग्नि से निपटने में वन महकमे के पसीने छूट गए थे, जबकि स्थानीय लोगों द्वारा इसमें कोई रुचि नहीं लेने की बात सामने आ रही थी। ऐसे में अब वन विभाग नए कदम उठाकर वनों के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में निर्णय ले रहा है।

उत्तराखंड में आगामी हरेला पर्व पर वृक्षारोपण के लिए 50 लाख पौधों को लगाए जाने का लक्ष्य तय किया गया है, इसमें वन विभाग के अलावा बाकी तमाम महकमे भी शामिल होंगे। सभी विभागों को हरेला पर जिम्मेदारी दी दी गयी है। दरअसल, इस बार जंगलों से आम लोगों के टूटते रिश्ते को जोड़ने की कोशिश की जा रही है। इसमें जंगलों को बढ़ाने के लिए पारदर्शी व्यवस्था बनाई जा रही है। वहीं स्थानीय लोगों का भी इसमें परस्पर सहयोग बढ़ाने के प्रयास हो रहे हैं। हरेला पर्व पर राज्य में करीब 50 लाख पौधों को लगाया जाएगा और हर साल लाखों पौधे राज्य में इस दौरान लगाए जाते हैं, लेकिन इन पौधों का भविष्य में क्या होता है, इसके लिए कोई मॉनिटरिंग सिस्टम नहीं तैयार किया गया।

ऐसे में अब हरेला पर्व पर जियो टैगिंग की नई व्यवस्था शुरू की जा रही है। जिसमें प्रत्येक पौधे को रोपने के साथ ही इसकी जिओ टैगिंग की जाएगी और इसके साथ ही वृक्षारोपण में लगने वाले पौधे जीपीएस सिस्टम से जोड़ दिए जाएंगे। इसके तहत समय-समय पर इस पौधे की फोटो भी उपलब्ध कराई जाएगी, जिससे इसकी ग्रोथ का भी पता चल पाएगा। यानी वृक्षारोपण में यह पूरी व्यवस्था पारदर्शी बन जाएगी और रोपित होने वाले हर पौधे का हिसाब विभाग के पास होगा। वृक्षारोपण में नए कदम उठाने के साथ ही आम लोगों और वन पंचायत को भी जंगलों से जोड़ने के प्रयास हो रहे हैं। इसलिए वन पंचायत को विशेष अधिकार भी दिए गए हैं। इसके तहत प्रदेश की 11,217 वन पंचायत अधिकार संपन्न हुई है।

वन पंचायत को अब अवैध पातन समेत दूसरे अपराधों के मामले में मुकदमा दर्ज करने का अधिकार दिया गया है। इतना ही नहीं ऐसे मामलों में सरपंच को अपराध के आधार पर जुर्माना लगाने का भी अधिकार मिला है। वहीं सरपंचों को फॉरेस्ट ट्रेनिंग अकादमी के माध्यम से प्रशिक्षण दिलाए जाने की भी व्यवस्था की जा रही है। यह सब व्यवस्था वन पंचायत नियमावली में संशोधन के बाद हुई है। राज्य सरकार द्वारा इस तरह के कदम वनों को लेकर नए बदलाव के संकेत दे रहा है और जंगलों की सुरक्षा और संवर्धन में यह कदम हम भी साबित हो सकते हैं। डॉ. हरीश रौतेला का मानना है कि वर्तमान युग पढ़ने का ही नहीं बल्कि शोध का भी युग है। वह कहते हैं कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व्यक्ति निर्माण का कार्य करता है। व्यक्ति का निर्माण हो गया तो राष्ट्र का निर्माण हो जाएगा।

डॉ. हरीश रौतेला पर्यावरण सुरक्षा और प्रदूषण मुक्त भारत के स्वप्न को साकार करने में जुटे हैं। उनकी शख्सियत चकाचौंध से दूर रहकर अपने कार्य में जुटे रहने वालों की है। उत्तराखंड के लोकपर्व हरेला को वैश्विक बनाने में भी डॉ. हरीश रौतेला का महत्वपूर्ण योगदान है। उन्हें इस लोकपर्व से बेहद लगाव है और वह चाहते हैं कि हरेला से हर व्यक्ति सीख ले और पर्यावरण का संरक्षण करे। डॉ. हरीश रौतेला हरेला पर वृक्षारोपण करते हैं और लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करते हैं।

कई साल पहले उन्होंने हरेला पर्व के सप्ताह में 25 लाख पेड़ लगाए और लोगों को भी इसके लिए प्रेरणा दी। उनके ही प्रयासों से अब देश और विदेश में बड़ी तादाद में उत्तराखंड समाज हरेला का त्योहार मनाता है और इस त्योहार से जुड़ा है। वह नई पीढ़ी को भी हरेला से जोड़ने के प्रयास में जुटे रहते हैं। उनके प्रयासों की बदौलत ही 2020 में भी लगभग 50 से ज्यादा देशों में हरेला पर्व मनाया गया।

डॉ. हरीश रौतेला उत्तराखंड के प्रवासियों में शिक्षा की अलख भी जगा रहे हैं। वह हर जगह प्रवासी उत्तराखंडियों को सुपर-10 विद्यार्थी तैयार करने की सलाह देते हैं। उनका कहना है कि शिक्षा से परिवार, समाज और देश बदलता है। युवाओं को शिक्षित करने से उनका आने वाला कल समृद्ध होगा। इसलिए लोग चाहें कुमाऊं के हो या गढ़वाल के, कुछ ऐसे युवाओं को तैयार करने की जरूरत है जो आगे प्रांत ही नहीं देश का नाम रोशन कर सकें। डॉ. हरीश रौतेला कहते हैं कि ऐसे युवा तैयार करो जो आगे चलकर उत्तराखंड की पहचान को प्रसारित करेंगे। ये ही युवा आगे चलकर स्वामी विवेकानंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ जैसे योग्य व्यक्ति बन सकते हैं। वह कहते हैं कि अच्छी शिक्षा से ही रोजगार का सृजन होता है। आपकी अच्छी शिक्षा होगी तो आप अच्छे स्टार्टअप शुरू कर सकेंगे।

डॉ. हरीश रौतेला का मानना है कि साल 2050 तक भारत को सर्वाधिक स्टार्टअप देने वाला देश बनाना है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम सहित अन्य संस्थाओं का उल्लेख करते हुए पर्यावरण संवर्धन को बहुत ही महत्वपूर्ण विषय बताया और जिस प्रकार मनुष्य का तापमान सिर्फ 2 डिग्री बढ़ जाये तो वह अस्वस्थ हो जाता है इसी तरह निरंतर प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंद दोहन से पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है जिससे विश्व में कई जटिल समस्याएं उत्पन्न हो रही है, जैसे कि आकस्मिक समुद्र का जलस्तर बढ़ जाना, हिमखंडों का पिघलना, जलस्रोतों का सुख जाना इत्यादि। इसी तरह निरंतर कार्बन उत्सर्जन और अन्य प्रदूषण के कारण विश्व में 235 करोड़ से भी अधिक लोग अस्थमा जैसी जटिल बीमारी के शिकार हो गए हैं। उन्होंने भारत को पृथ्वी (पिण्ड) की आत्मा बताया और आज पर्यावरण जैसी जटिल समस्याओं के समाधान के लिए पूरा विश्व हमारी तरफ देख रहा है इसीलिए हरेला जैसा महान पर्व जो कि अध्यात्म एवं प्रकृति के बीच का गहन चिंतन है उसको विश्व पटल पर ले जाना प्रासांगिक हो गया है। उन्होंने “दश कूप समा वापी, दशवापी समोह्नद्रः। दशह्नद समः पुत्रों, दशपुत्रो समो द्रमुः।।“ का उल्लेख करते हुए अनुरोध किया कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में कम से कम 2 वृक्षों का रोपण करना चाहिए।

यह लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं और वह दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked with *

विज्ञापन

[fvplayer id=”10″]

Latest Posts

Follow Us

Previous Next
Close
Test Caption
Test Description goes like this