नरेश सजवाण पहले मसूरी में डीआरडीओ में संविदा पर नौकरी करते थे पिता के निधन के बाद उन्होंने गांव में ही स्वरोजगार करने की ठानी और आज वह अपने इस प्रयास में सफल हुए हैं। वह गांव में रहकर ही अच्छी आमदनी कमा रहे हैं और वह यहां के युवाओं के लिए एक प्रेरणा बनकर उभरे हैं।
उत्तराखंड में अब युवाओं का रूझान किसानी और बागवानी की ओर बढ़ रहा है। इनमें जनपद टिहरी क्षेत्रान्तर्गत जौनपुर ब्लॉक के ग्राम पंचायत थापला सूरीधार निवासी नरेश सजवाण भी शामिल हैं। नरेश सजवाण बताते हैं कि पिता का साया उठने के बाद उन्होंने मसूरी स्थित डीआरडीओ में संविदा की नौकरी छोड़कर अपने गांव में आकर एकीकृत खेती करने का निर्णय लिया, ताकि गांव में रहकर स्वरोजगार के क्षेत्र में अपनी एक नई पहचान बना सकें। स्वरोजगार की ओर कदम बढ़ाया तो पशुपालन, उद्यान, मत्स्य और कृषि विभाग की सब्सिडी योजनाओं ने बड़ा सहारा दिया।
नरेश सजवाण बताते है कि वर्ष 2020 में उन्होंने कृषि विभाग से 80 प्रतिशत सब्सिडी पर गांव में आटा चक्की की शुरुआत की। आटा चक्की से लगभग 03 से 04 हजार मासिक कमा लेते हैं। इसके बाद उन्होंने कृषि, उद्यान, पशुपालन विभागों के सेमिनार में प्रतिभाग किया तथा विभिन्न योजनाआें/सब्सिडी की जानकारी हांसिल की। नरेश सजवाण धीरे-धीरे एकीकृत खेती की ओर बढ़ते रहे और आटा चक्की तक सीमित न रहकर अपने कारोबार को आगे बढ़ाने की सोची और योजनाओं का लाभ लेते हुए मुर्गी पालन, बागवानी, मत्स्य पालन का काम शुरू किया। उन्होंने पशुपालन विभाग से 30 रूपये की कीमत पर 100 मुर्गी के बच्चे लेकर उनका पालन पोषण किया और प्रतिदिन लगभग 25 अंडे 10 रूपये के भाव से बेचकर अच्छी कमाई की।
उन्होंने घर में बायोगैस का प्लांट बनाया है, जिसकी लागत 35 हजार है, जिसमें स्वच्छ जल परियोजना से 13 हजार तथा 22 हजार मनरेगा से प्राप्त हुआ। वह बताते है कि 03 साल से लगातार तीनों टाइम के भोजन बनाने में प्लांट से उत्पन्न गैस का ही उपयोग कर रहे हैं। इसके साथ ही गोबर गैस से जो स्लरी निकलती है, उसे वह अपने बागवानी के काम में लाते हैं।
नरेश सजवाण ने बताया कि वर्ष 2023 में उद्यान विभाग ने 90 प्रतिशत 01 लाख 35 हजार रूपये की सब्सिडी पर पॉलीहाउस तैयार करके दिया गया, जिसमें उन्होंने केवल 12 हजार 800 रूपये जमा किये। उन्होंने वर्ष 2023 में ही उद्यान विभाग के 6 लाख के एप्पल मिशन प्रोजेक्ट में प्रतिभाग किया तथा 80 प्रतिशत की सब्सिडी के साथ रूट स्टॉक डी-9 प्रजाति के 500 पौधे सेब की बागवानी शुरु की। बताते है कि उद्यान विभाग के द्वारा उन्हें कीवी के 10 पौधे दिए गए, जिसमें कि दो से तीन पौधे खराब हो गए थे और 7 पौधे अच्छे ग्रोथ में है। इसके अलावा उनके द्वारा आडू़, खुमानी, प्लूम, अनार, अमरूद के पौधे भी लगाये गये हैं, जिनमें कुछ पेड़ फल देने लगे हैं तथा कुछ से जल्द ही अच्छे परिणाम मिलने की उम्मीद है। सालभर में बागवानी से लगभग 40 हजार की कमाई हो जाती है।
नरेश पॉलीहाउस और खेतों में जैविक खेती को प्रोत्साहित करते हुए पत्तागोभी, बींस, टमाटर, हरी मिर्च, कद्दू, खीरा, धनिया, ब्रोकली, बैंगन, मूली आदि सब्जियां उगा रहे है। खेतों में मिलट्स आधारित कई तरह की दालें, कोदा, झंगोरा, तिलहन आदि की खेती भी कर रहे हैं। इसके साथ ही गाय पालन, बकरी पालन का कार्य भी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि कृषि विभाग से 80 प्रतिशत सब्सिडी में पानी की पाइपलाइन दी गई। इसके साथ ही चारा मशीन भी सब्सिडी में उपलब्ध कराई गई है। उन्हांने बताया कि सब्जी और दाल उत्पादन से उन्हें लगभग 15 से 20 हजार मासिक मुनाफा हो जाता है। वह अपने उत्पादों की बिक्री थत्यूड़, मसूरी के अलावा ऑनलाइन माध्यम से भी करते हैं। उन्होंने बगीचे के समीप मत्स्य पालन हेतु तालाब बनाया है, जिसमें वर्तमान में मत्स्य विभाग से बीज सब्सिडी में लेकर ट्राउट प्रजाति की 100 मछलियां पाल रहे हैं।
नरेश बताते हैं कि 25 फरवरी, 2023 को मुख्यमंत्री द्वारा उन्हें उक्त क्षेत्रों में अच्छे कार्यो के लिए सम्मानित किया जा चुका है। इसके साथ ही आत्मा परियोजना के अंतर्गत उन्हें दो बार क्षेत्रीय विधायक द्वारा ब्लॉक स्तर पर 10-10 हजार की धनराशि से पुरस्कृत किया गया है।
नरेश सजवाण मेहनती और संघर्षशील है। वे अपनी जड़ों से जुड़कर मां और पत्नी के साथ गांव में रहकर सरकारी योजनाओं का लाभ लेकर एकीकृत खेती पर जोर दे रहे हैं। नरेश अच्छी खासी कमाई कर अपनी आजीविका चला रहे है तथा अपने कारोबार को बड़े पैमाने पर ले जाने के लिए प्रयासरत है। वह कहते हैं कि किसी भी काम को करने में समस्याएं तो आती हैं किंतु हमें अपना धैर्य और विश्वास कभी नही खोना चाहिए। वह युवाओं को भी प्रेरित करने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा उन्हें पूरा सहयोग दिया जा रहा है। उनके द्वारा शासन-प्रशासन को विभिन्न योजनाआें की जानकारी, सहयोग और सब्सिडी दिये जाने को लेकर धन्यवाद ज्ञापित किया।
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