असम राइफल्स के डीजी लेफ्टिनेंट जनरल विकास लखेड़ा ने आज एनएसए अजीत डोभाल से मुलाकात की। लेफ्टिनेंट जनरल विकास लखेड़ा ने हाल ही में असम राइफल्स की कमान संभाली है। उन्होंने एनएसए को उत्तर पूर्वी राज्यों के मौजूदा हालात की जानकारी दी।
असम राइफल्स के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल विकास लखेड़ा ने आज एनएसए अजीत डोभाल से मुलाकात की। लेफ्टिनेंट जनरल विकास लखेड़ा ने हाल ही में असम राइफल्स की कमान संभाली है। उन्होंने एनएसए को उत्तर पूर्वी राज्यों के मौजूदा हालात की जानकारी दी। महानिदेशक बनने के बाद यह उनकी एनएसए अजीत डोभाल से पहली मुलाकात है।
असम राइफल्स एक केंद्रीय अर्धसैनिक बल है। यह अर्धसैनिक बल पूर्वोत्तर भारत में सीमा सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा के लिए काम करता है। संघर्ष के समय में एक लड़ाकू बल के रूप में भी इसका उपयोग किया जाता है। इसे 1965 से गृह मंत्रालय द्वारा प्रशासित किया जा रहा है लेकिन 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद से यह भारतीय सेना के ऑपरेशनल कंट्रोल में है। यह भारत का सबसे पुराना अर्धसैनिक बल है। असम राइफल्स ने यूरोप, मध्य पूर्व और म्यांमार में प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध सहित कई भूमिकाओं और संघर्षों में काम किया है।
असम राइफल्स के लिए आज एक खास दिन भी है। राइफलमैन मोरेन एओ चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ सचिवालय में सेवा देने वाले असम राइफल्स के पहले सैनिक हैं। यह असम राइफल्स के लिए एक गौरवपूर्ण विशेषाधिकार है। इतने सालों बाद असम राइफल्स का जवान भारतीय सेना में अपनी सेवा देगा, यह असम राइफल्स के लिए बड़ी खुशी की बात है।
टिहरी गढ़वाल के रहने वाले लेफ्टिनेंट जनरल विकास लखेड़ा ने 01 अगस्त 2024 को असम राइफल्स के महानिदेशक का पदभार संभाला था। वह असम राइफल्स के 22 महानिदेशक बने। असम राइफल्स के महानिदेशक नियुक्त होने से पहले लेफ्टिनेंट जनरल विकास लखेड़ा असम राइफल्स के इंस्पेक्टर जनरल (नॉर्थ) की अहम जिम्मेदारी संभाल रहे थे। उन्हें 5 जून 2022 को आईजीएआर (नॉर्थ) नियुक्त किया गया था। वह सेना के वरिष्ठ अधिकारी हैं और उन्होंने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खडकवासला में डिविजनल ऑफिसर और सामरिक प्रशिक्षण अधिकारी, जीओसी-इन-सी के सैन्य सलाहकार, मुख्यालय पूर्वी कमांड, स्टाफ ऑफिसर और सेना प्रमुख के उप सैन्य सलाहकार के रूप में भी कार्य किया है।
आतंकवाद विरोधी अभियानों में निभाई अहम भूमिका
वह सेना के तेज-तर्रार और पराक्रमी योद्धा हैं। लेफ्टिनेंट जनरल विकास लखेड़ा ने वेलिंगटन के डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज से स्नातकोत्तर किया है और यूनाइटेड किंगडम के लंदन स्थित रॉयल कॉलेज ऑफ डिफेंस स्टडीज में नेशनल डिफेंस कॉलेज कोर्स में भी भाग लिया है। उन्हें उनकी वीरता और पराक्रम के लिए कई सेना के कई शीर्ष पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें आतंकवाद विरोधी अभियानों के सफल संचालन में दक्षता हासिल है और सेना का लंबा अनुभव है। उन्होंने सेना में कई शीर्ष दायित्वों को निभाया है। उन्हें अवैध सीमा पार गतिविधियों और विद्रोहियों की गतिविधियों को विफल करने के लिए भी जाना जाता है। देवभूमि उत्तराखंड से ताल्लुक रखने वाले लेफ्टिनेंट जनरल विकास लखेड़ा 9 जून 1990 को भारतीय सेना की सिख लाइट इंफैंट्री में कमीशन हुए थे। संघर्षविराम से पूर्व वह नगालैंड में भी सेवाएं दे चुके हैं। उन्हें जम्मू-कश्मीर और असम में आतंकवाद विरोधी अभियानों की योजना बनाने और संचालन का व्यापक अनुभव है।
भारत म्यांमार सीमा पर दे चुके सेवाएं
उन्होंने सिकंदराबाद के कॉलेज ऑफ डिफेंस मैनेजमेंट से उच्च रक्षा प्रबंधन पाठ्यक्रम की पढ़ाई भी की है। इसके साथ ही वह उस्मानिया विश्वविद्यालय से प्रबंधन अध्ययन में स्नातकोत्तर भी हैं। लेफ्टिनेंट जनरल विकास लखेड़ा ने असम में काउंटर इंसर्जेंसी एनवायरनमेंट में अपनी यूनिट और पश्चिमी क्षेत्र में एक ब्रिगेड की कमान संभाली है। वह अवैध सीमा पार गतिविधियों और विद्रोहियों की गतिविधियों को विफल करने के लिए नागालैंड और दक्षिण अरुणाचल प्रदेश में भारत म्यांमार सीमा पर भी सेवाएं दे चुके हैं। कुछ समय पहले लेफ्टिनेंट जनरल विकास लखेड़ा ने खोंसा समर कैंप को हरी झंडी दिखाकर शुरुआत की थी। असम राइफल्स की खोंसा बटालियन ने अरुणाचल प्रदेश के उग्रवाद प्रभावित तिरप जिले में यह शिवर लगाया था। यह शिविर दूरदराज के गांवों के बच्चों के लिए लगाया गया था।
लेफ्टिनेंट जनरल विकास लखेड़ा को सेना के कई विशिष्ट मेडलों से भी सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें उनकी बेहतरीन सेवा के लिए अति विशिष्ट सेना मेडल, सेना मेडल, चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ कमेंडेशन कार्ड और दो जीओसी-इन-सी कमेंडेशन कार्ड से सम्मानित किया गया है। हाल ही में उन्हें राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु द्वारा एवीएसएम से सम्मानित किया गया है।
टिहरी गढ़वाल में हुआ जन्म
लेफ्टिनेंट जनरल विकास लखेड़ा का जन्म 26 फरवरी 1969 को टिहरी गढ़वाल के एक छोटे से गांव जखण्ड में हुआ उनकी माता का नाम ऊषा लखेड़ा तथा पिता विष्णु प्रसाद लखेड़ा है। विष्णु प्रसाद लखेड़ा सिक्ख रेजिमेन्ट के पूर्व कैप्टेन तथा बीएसएफ के डीआईजी के पद से सेवानिवृत हुए। वह टिहरी जिले के रहने वाले हैं उन्होंने डीएवी पीजी कॉलेज देहरादून से स्नातक किया और उसके बाद वह भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून से पास आउट होकर सेना में शामिल हुए। उनकी पत्नी विभा लखेड़ा सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता और गृहिणी हैं। उनके दो बेटे अर्जुन लखेड़ा और कृष्ण लखेड़ा है।
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