लेफ्टिनेंट जनरल विकास लखेड़ा ने गढ़वाल के सांसद अनिल बलूनी से मुलाकात, कई मुद्दों को लेकर की चर्चा

लेफ्टिनेंट जनरल विकास लखेड़ा ने गढ़वाल के सांसद अनिल बलूनी से मुलाकात, कई मुद्दों को लेकर की चर्चा

असम राइफल्स के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल विकास लखेड़ा ने आज दिल्ली में गढ़़वाल के सांसद अनिल बलूनी से मुलाकात की। लेफ्टिनेंट जनरल विकास लखेड़ा ने हाल ही में असम राइफल्स की कमान संभाली है।

असम राइफल्स के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल विकास लखेड़ा ने आज दिल्ली में गढ़वाल के सांसद अनिल बलूनी के घर पर उनसे मुलाकात की। लेफ्टिनेंट जनरल विकास लखेड़ा ने 01 अगस्त में असम राइफल्स का पदभार संभाल था। असम राइफल्स के महानिदेशक बनने के बाद यह उनकी अनिल बलूनी से पहली मुलाकात है।

लेफ्टिनेंट जनरल विकास लखेड़ा ने गढ़वाल के लोक सभा सांसद अनिल बलूनी को बताया कि उत्तराखंड के 60,000 से ज्यादा भूतपूर्व सैनिक असम राइफल्स में थे और वर्तमान में 10,000 हजार से ज्यादा जवान असम राइफल्स में देश की सेवा कर रहे हैं। लेफ्टिनेंट जनरल विकास लखेड़ा ने सांसद अनिल बलूनी को बताया कि आने वाले समय में उत्तराखंड में असम राइफल्स की यूनिट कैसे स्थापित की जा सकती है उस पर भी बातचीत की गई। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में असम राइफल्स के जवानों के लिए क्या कुछ कर सकते हैं उस पर भी चर्चा की गई।

लेफ्टिनेंट जनरल विकास लखेड़ा ने सांसद अनिल बलूनी को मणिपुर का साल ओढ़कर उनका स्वागत किया और बातचीत के लिए समय निकालने के लिए उनका आभार जताया। गौरतलब रहे कि असम राइफल्स एक केंद्रीय अर्द्वसैनिक बल है। यह अर्द्वसैनिक बल पूर्वोत्तर भारत में सीमा सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा के लिए काम करता है। असम राइफल्स ने यूरोप, मध्य पूर्व और म्यांमार में प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध सहित कई भूमिकाओं और संघर्षों में काम किया है।

देवभूमि उत्तराखंड से ताल्लुक रखने वाले लेफ्टिनेंट जनरल विकास लखेड़ा 9 जून 1990 को भारतीय सेना की सिख लाइट इंफैंट्री में कमीशन हुए थे। संघर्षविराम से पूर्व वह नागालैंड में भी सेवाएं दे चुके हैं। उन्हें जम्मू-कश्मीर और असम में आतंकवाद विरोधी अभियानों की योजना बनाने और संचालन का व्यापक अनुभव है। लेफ्टिनेंट जनरल विकास लखेड़ा ने असम में काउंटर इंसर्जेंसी एनवायरनमेंट में अपनी यूनिट और पश्चिमी क्षेत्र में एक ब्रिगेड की कमान संभाली है। वह अवैध सीमा पार गतिविधियों और विद्रोहियों की गतिविधियों को विफल करने के लिए नागालैंड और दक्षिण अरुणाचल प्रदेश में भारत म्यांमार सीमा पर भी सेवाएं दे चुके हैं।

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