भाकपा माले ने किया “समान नागरिक संहिता” पर प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन, जनविरोधी कानून का नागरिक बहिष्कार किया जाना चाहिए।
उत्तराखण्ड की भाजपा सरकार द्वारा लागू की गई “समान नागरिक संहिता (यूसीसी)” पर पार्टी कार्यकर्ताओं की प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन भाकपा माले के पार्टी ऑफिस दीपक बोस भवन, कार रोड बिंदुखत्ता में किया गया। जिसमें भाकपा माले के उत्तराखण्ड राज्य सचिव कामरेड इंद्रेश मैखुरी ने मुख्य प्रशिक्षक के रूप समान नागरिक संहिता पर विस्तार से अपनी बात रखी।
माले राज्य सचिव कामरेड इंद्रेश मैखुरी ने कहा कि समान नागरिक संहिता के नाम से जो कानून उत्तराखण्ड की धामी सरकार ने बनाया है, वो असंवैधानिक, जनविरोधी, अल्पसंख्यक द्वेषी और महिला विरोधी है, उत्तराखण्ड की जनता को इसका ‘नागरिक बहिष्कार’ करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि, संविधान में व्यवस्था है कि समान नागरिक संहिता जब बनेगी तो पूरे देश के लिए होगी। लेकिन सिर्फ अपने अल्पसंख्यक द्वेषी, महिला विरोधी मंसूबों को पूरा करने के लिए उत्तराखंड पर एक ऐसा कानून थोप दिया गया है, जो समाज के हर हिस्से के लिए परेशानी पैदा करेगा।
जिस तरह से सभी के लिए विवाह के पंजीकरण की अनिवार्यता रखी गई है, वो अगले छह महीने तक सारे उत्तराखंड के सभी लोगों को लाइन में खड़ा होने के लिए विवश करेगा।
माले राज्य सचिव ने कहा कि विवाह, तलाक़, लिव इन के पंजीकरण के लिए जिस तरह की निजी जानकारी मांगी गयी है, वो न केवल लोगों के निजता के अधिकार का हनन है बल्कि सरकार का लोगों के जीवन में अवांछित हस्तक्षेप भी है। यह पूरी कवायद एक पुलिसिया निगरानी तंत्र खड़ा करने की कोशिश है।
उन्होंने कहा कि, लिव इन एक आधुनिक प्रवृत्ति है, जिसमें विवाह के औपचारिक बंधन में रहने के बजाय जोड़े स्वतंत्र रूप से साथ रहना चुनते हैं। लेकिन यू सी सी में जिस तरह के प्रावधान किए गए हैं, उससे लिव इन को अपराध बना दिया गया है। वेलेंटाइन डे पर दक्षिणपंथी समूहों द्वारा किए जाने वाले एक दिवसीय उत्पात को लिव इन रिलेशनों की नैतिक पहरेदारी के रूपी में स्थायी करने की कोशिश है।
कामरेड इंद्रेश ने कहा कि अल्पसंख्यकों के प्रति भाजपा का दुराग्रह जगजाहिर है। यूसीसी को बनाने वाली कमेटी में एक भी अल्पसंख्यक सदस्य को नामित न किया जाना, भाजपा की पुष्कर सिंह धामी सरकार के दुराग्रह की ही अभिव्यक्ति थी। अल्पसंख्यकों के धार्मिक कानूनों के प्रगतिशील हिस्से को भी रद्द कर दिया गया है और उनके विवाह आदि की तमाम परंपराओं को, जो स्त्री विरोधी नहीं भी हैं, उन्हें भी रद्द कर दिया गया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का यह दावा खोखला है कि यू सी सी अल्पसंख्यक महिलाओं को अधिकार देने के लिए है। जिस पार्टी ने गुजरात में बिलकिस बानो का सामूहिक बलात्कार करने वालों को संस्कारी बता कर जेल से रिहा करवाया और उनका फूल मालाओं से स्वागत किया, उस पार्टी के नेताओं का अल्पसंख्यक महिलाओं का हितैषी होने का दावा कोरा पाखंड है।
कामरेड मैखुरी ने कहा कि उत्तराखंड में महिलाओं के विरुद्ध अपराध में भाजपा नेताओं की संलिप्तता पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की चुप्पी, उनके महिला समर्थक होने के दावों की पोल खोलने के लिए पर्याप्त है।
कार्यशाला का संचालन करते हुए माले नैनीताल जिला सचिव डा कैलाश पाण्डेय ने कहा कि बीजेपी सरकार और संघ के अनुषांगिक संगठनों द्वारा समान नागरिक संहिता के माध्यम से जिस तरह सांप्रदायिक एजेंडे को आगे बढ़ाने का काम किया जा रहा है वह सामाजिक विभाजन को ही तेज करने का काम करेगा, इस बात से ही इस कानून की विश्वसनीयता सवालों के घेरे में आ जाती है।
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