आधुनिक युद्ध तकनीक संचालित है और पिछले चार दिनों की घटनाओं ने एक बार फिर भारत की तकनीकी क्षमता को सही साबित किया है।
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने अंबेडकर अंतरराष्ट्रीय केंद्र में “राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस” समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि “आधुनिक युद्ध पूरी तरह से प्रौद्योगिकी संचालित है और पिछले चार दिनों में भारत की सर्वोच्चता साबित हुई है।” उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पिछले एक दशक के शासन के दौरान स्वदेशी प्रौद्योगिकी विकास में भारत की तीव्र प्रगति और आधुनिक युद्ध पर इसके प्रभाव पर प्रकाश डाला।
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि आधुनिक युद्ध तकनीक संचालित है और पिछले चार दिनों की घटनाओं ने एक बार फिर भारत की तकनीकी क्षमता को सही साबित किया है। उन्होंने गर्व के साथ कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत ने घरेलू प्रौद्योगिकियों को सफलतापूर्वक विकसित और तैनात किया है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा क्षमताओं में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “आज रक्षा क्षेत्र में उपयोग की जाने वाली अधिकांश प्रौद्योगिकियां स्वदेशी रूप से विकसित हैं और यह प्रधानमंत्री मोदी ही हैं जिन्होंने हममें आत्मनिर्भर भारत बनाने का विश्वास जगाया है।”
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस की उत्पत्ति को याद करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह दिवस पहली बार 1998 में पोखरण में सफल परमाणु परीक्षण की याद में मनाया गया था, जिसकी संकल्पना तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा की गई थी। उन्होंने कहा, “जिस विचार ने 1998 में हमें प्रेरित किया था, वह प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में परिपक्व हो गया है और भारत को वैश्विक प्रौद्योगिकी नेता के रूप में परिवर्तित कर रहा है।”
डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस बात पर प्रकाश डाला कि 2014 से ही स्वदेशीकरण सर्वोच्च प्राथमिकता रही है, तथा प्रधानमंत्री मोदी लगातार आत्मनिर्भरता पर जोर दे रहे हैं। उन्होंने कहा, “भारत अब बाहरी ताकतों पर निर्भर नहीं है। आधुनिक युद्ध में हमारी सफलता 2047 तक विकसित भारत की दिशा में प्रगति का प्रतिबिंब है।”
वैज्ञानिक प्रगति पर संतोष व्यक्त करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने बीटिंग रिट्रीट समारोह के दौरान 1000 ड्रोन शो सहित अग्रणी पहलों का समर्थन करने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के तहत प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) की सराहना की। उन्होंने कहा कि ड्रोन, जो कभी प्रतीकात्मक थे, अब भारत के विकसित होते रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र के केंद्र में हैं।
उन्होंने गर्व के साथ कहा कि भारत ने पिछले दशक में अपनी रक्षा क्षमता में काफी वृद्धि की है और वैज्ञानिक विकास के लिए अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र उपलब्ध कराने का श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को दिया। उन्होंने कहा, “भारत में प्रतिभा की कभी कमी नहीं थी, लेकिन अब हमारे पास ऐसा नेतृत्व है जो नवाचार को बढ़ावा देता है।”
विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार में भारत की उल्लेखनीय प्रगति पर प्रकाश डालते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कई प्रमुख उपलब्धियों का उल्लेख किया जो देश के बढ़ते वैश्विक कद को दर्शाती हैं। उन्होंने वैश्विक नवाचार सूचकांक में भारत की प्रभावशाली छलांग की ओर इशारा किया, जो 81वें स्थान से 39वें स्थान पर पहुंच गया है, तथा इस तथ्य की ओर भी ध्यान दिलाया कि अब लगभग 56% पेटेंट निवासी भारतीयों द्वारा दायर किए जाते हैं – जो घरेलू नवाचार में उछाल को दर्शाता है।
अपने संबोधन का समापन करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “27वां राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारत के नेतृत्व की अंतर्राष्ट्रीय मान्यता का प्रतीक है, जो 2047 के भारत के लिए आधार तैयार करता है।”
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