‘बुरांश के बाद अब गुलाब के शरबत से महिलाएं कर रही है अपनी आर्थिकी मजबूत’

‘बुरांश के बाद अब गुलाब के शरबत से महिलाएं कर रही है अपनी आर्थिकी मजबूत’

महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से महिला सत्तत आजीविका योजना के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्र विकास समिति की ओर स्वयं सहायता समूह की महिलाएं गर्मी के सीजन को देखते हुए बुरांश के बाद अब गुलाब के पत्तों से बने शरबत की शुरुआत कर रही है।

राज्य सरकार द्वारा महिलाओं को आत्मनिर्भर एवं सशक्त बनाने हेतु कई योजनाएं संचालित की जा रही हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी नेतृत्व एवं जिलाधिकारी मयूर दीक्षित के मार्गदर्शन में जनपद टिहरी की महिलाएं योजनाओं का लाभ लेकर तथा स्वरोजगार अपनाकर अपनी आर्थिकी को मजबूत कर सशक्त हो रही हैं। स्वयं सहायता समूह की महिलाएं दिन प्रतिदिन बढ़ती गर्मी को देखते हुए पहाड़ों में प्राकृतिक रूप से उपलब्ध संसाधनों का बेहत्तर रूप से उपयोग करना जान गई हैं।

वे स्वरोजगार की राह पर चल कर बुरांश के बाद अब गुलाब का शरबत बनाकर अपने व्यापार को सशक्त कर रही है। महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से महिला सत्तत आजीविका योजना के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्र विकास समिति की ओर स्वयं सहायता समूह की महिलाएं गर्मी के सीजन को देखते हुए बुरांश के बाद अब गुलाब के पत्तों से बने शरबत की शुरुआत कर रही है।

चंबा ब्लॉक के ग्राम सभा जगधार रानीचोरी की महिलाओं ने महिला सशक्त आजीविका योजना के अंतर्गत सर्वप्रथम 2022 में प्रशिक्षण लिया। इसके तहत उन्होंने बुरांश व गुलाब से शरबत बनाने की प्रक्रिया को सीखा। ग्रामीण क्षेत्र विकास समिति की सचिव कुंभीभाला भट्ट ने बताया कि गर्मी के सीजन आते ही ग्रामीण महिलाएं देसी गुलाब की पत्तियों से बिना चीनी, कलर और प्रिजर्वेटिव के गुलाब का शरबत बना रही है। इस दौरान उनके द्वारा साफ-सफाई व शुद्धता का विशेष ध्यान रखकर शरबत तैयार किया जाता हैं।

उन्होंने बताया कि वे शरबत को मार्केट में 120 रूपये प्रति लीटर बेचकर प्रतिदिन लगभग 500 रूपये कमा रही हैं। उन्हें ग्रामीण क्षेत्र विकास समिति से जुड़कर वर्ष 2025 में बुरांश व गुलाब के जूस बनाने के लिए बर्तन और मशीन उपलब्ध कराई गई। बाजार से मिल रहे चीनी की चाशनी से बने गुलाब के शरबत के मुकाबले महिलाओं द्वारा बनाए जा रहे शरबत की मांग बाजार में अधिक है। महिलाएं अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर जनपद के विकास में अपना सहयोग प्रदान कर रही हैं।

ग्रामीण क्षेत्र विकास समिति के अध्यक्ष सुशील बहुगुणा ने बताया कि अब तक 130 ग्रामीण महिलाओं को समिति से जोड़ा जा चुका है। उन्होंने नई उमंग कृषक उत्पादक संगठन भी स्थापित किया है, जिसमें उन्होंने 125 ग्रामीण महिलाओं को जोड़ा है। महिलाएं जैविक उत्पाद, पारंपरिक खाद्य सामग्री और महिला-निर्मित वस्तुओं को बाजार में आउटलेट के माध्यम से बेच रही है। उन्होंने बताया कि समिति का उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से सक्षम बनाना है।

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